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    Bihar Election 2025: 'पहले परखेंगे, तब वोट देंगे', चाय की चुस्की के साथ तय हो रहे विधायक और बन रही सरकार

    Updated: Sat, 11 Oct 2025 04:02 PM (IST)

    बिहार में 2025 के चुनावों को लेकर मतदाता सजग हैं। वे चाय की चुस्की के साथ विधायकों का मूल्यांकन कर रहे हैं, स्थानीय मुद्दों पर ध्यान दे रहे हैं, और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं। युवा मतदाता भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। चाय की दुकानों पर चुनावी चर्चाएँ ज़ोरों पर हैं, जहाँ विधायक और सरकार तय हो रहे हैं।

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    चाय की चुस्की के साथ चल रही चर्चा। (फोटो जागरण)

    त्रिभुवन चौधरी, हेमजापुर (मुंगेर)। मुंगेर मुख्यालय से 14 किमी पश्चिम हम अभी लखीसराय मुंगेर सीमांत की एक चाय दुकान पर बैठे हैं। समय सुबह के सात बजे रहे हैं। बहुत लोग पहले से बैठे चाय पी रहे हैं तो कुछ को हाथ मे ग्लास आने का इंतजार हैं। कुछ दुकान में अभी प्रवेश ही कर रहे हैं।

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    दुकान से रह-रह करके सुर- सुर की आवाज आ रही है। यहां गांव की इस दुकान में भी चुनावी चर्चा जारी है। इसी बीच नाथू बाबा ने चाय दूकानदार की तरफ पैसे बढ़ाते हुए कहा- पैसा लो बेटी! पता नहीं, इस बार कौन जीतेगा। पुराना नेताजी भी जोर लगा रहे हैं। नयका भी हाथ जोड़ रहा है।

    सिकंदर बाबू चाय की एक लंबी चुस्की खींच कर बोले- पहले परखेंगे। तब वोट देंगे। वोट है कोई खेल नहीं है। पांच साल लग जाता है इस समय के आने में। तभी बुजुर्ग हरि बाबू की पांच साल की पोती उनके गोद में आकर खेलते हुए चाय पीने की जिद करने लगती है।

    हरि बाबू अपनी पोती के सिर पर हाथ फिराते हुए कहा- देखो भाय! हम एतना जानै हिये की नीतीश सरकार बेटी के खूब फैदा देलेखिन! पढ़ाई-लिखाई के सारा खर्चा खुदे उठाय रहलखिन। इतना कहकर वे चुप हो जाते हैं। उनको चुप जान मैंने चर्चा को आगे बढ़ाने का प्रयास किया।

    अच्छा बाबा! सरकार कौन अच्छा? सामने रंजु सहनी चाय की अंतिम चुस्की लेते हुए तपाक से कहा- जिसके राज में चोर बदमाश तंग नहीं करे। गरीब गुरबा के भला हो वही राज न अच्छा। तभी दुकानदार हरिबोल ने मुझसे पूछा- आप भी चाय लेंगे क्या? मैंनें हामी भरी। तबतक वहां एक वार्ड सदस्य प्रतिनिधि भी चुनावी चर्चा सुनने के लिए बैठ गए। उसने भी ऑर्डर किया।

    बात आगे बढ़ी। हां! तो हम कह रहे थे कि जो रोजगार, बिजली, पानी और शिक्षा आदि की व्यवस्था करेंगे। वोट उन्हें ही मिलेगा। एक ही सांस में वार्ड प्रतिनिधि भी बोल गए। समय गुजर रहा था। इधर दुकान के सामने भी महिलाएं कुछ चुनावी चर्चा में ही व्यस्त नजर आ रही है। सामने कुछ बच्चे उछल कूद मचाए हुए हैं।

    मुंगेर लखीसराय का मुख्य मार्ग होने के कारण रह रहकर गाड़ियों के हॉर्न की आवाज भी सुनाई पड़ रही है। इधर चुनावी चर्चा खत्म ही नहीं हो रही है। अब दुकानदार की बारी है। नहीं रहा गया तो हुए भी चर्चा में कूद गए। चाय विक्रेता ने चुटकी लेते हुए कहा कि सबलोग अभी चाय का पैसा दीजिए और अच्छी सरकार को वोट कीजिए।

    अभी हम लोग दस बजे रात तक चाय बेचते हैं। किसी बात का डर नहीं रहता। इस बात से सामने बैठी उसकी बेटी मुस्कुरा पड़ी। कुछ भी कुछ भी हो जाए चाय की इस दुकान पर एक बात तो स्पष्ट लगा कि लोग अच्छी और काम करने वाली सरकार चाहते है।