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Bihar Train News: हेलो,हेलो! कंट्रोल रूम, पैसेंजर ट्रेन डिरेल हो गई है, जल्द पहुंचे; ये है पूरा मामला

जमालपुर में मालदा रेल मंडल में एक माकड्रिल किया गया जिसमें रेलवे ने अपने रिस्पांस सिस्टम को परखा। माकड्रिल में एक ट्रेन की कोच को बेपटरी कर दिया गया और एक कोच को क्रेन के सहारे दूसरे कोच के ऊपर चढ़ा दिया गया। माकड्रिल में 500 से ज्यादा कर्मी और सभी विभागीय पदाधिकारी शामिल थे। मॉक ड्रिल के दौरान कर्मचारियों को बहुत कुछ सीखने को मिला।

By Kunal Amrit Raj Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Fri, 22 Nov 2024 04:16 PM (IST)
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जमालपुर में डीआरएम के सामने मॉकड्रिल (जागरण)
संवाद सहयोगी, जमालपुर (मुंगेर)। दिन शनिवार, समय 12 बजे। मालदा रेल मंडल कंट्रोल रूम को अचानक सूचना मिलती है कि जमालपुर से भागलपुर के लिए खुली पैसेंजर बाइलेग के पस दुर्घटनाग्रस्त हो गई है। दो कोच पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। एक कोच एक-दूसरे के ऊपर है। कोच में 20 से 25 यात्री खिड़की, दरवाजे से निकल गए हैं। लगभग 50 यात्री फंसे हुए हैं।

यह सूचना प्रसारित होने के साथ ही हड़कंप मचा गया। अफरा-तफरी की स्थिति बन गई। सायरन की आवाज सुनकर फटाफट रेलवे अधिकारी दुर्घटना राहतयान (एआरटी) के साथ घटनास्थल पर पहुंचते हैं। देखते ही देखते घटनास्थल पर कम्युनिकेशन के लिए सेटेलाइट फोन से लेकर अन्य साजोसामान तैयार हो जाते हैं। खिड़कियों को काटकर स्ट्रेचर से उनको बाहर निकाला गया।

दुर्घटनाग्रस्त कोच को उठाने के लिए 140 टन की क्रेन भी पहुंच गया। क्रेन की मदद से कोच को हटाया गया। लगभग एक घंटे तक राहत-बचाव चला। दरअसल, रेल हादसे के बाद टीम को किस तरह काम किया जाना चाहिए, सूचना के बाद कितने समय के अंतराल पर एआरटी पहुंची। राह और बचाव कार्य किस तरह से किया जाता है। ट्रेन हादसे के बाद कैसे रेलवे की टीम अलर्ट होकर काम करती है। इस परखने के लिए माकड्रिल किया गया। 

500 से ज्यादा कर्मी, विभागीय पदाधिकारी भी थे

मालदा रेल मंडल प्रबंधक मनीष कुमार गुप्ता की देखरेख में माकड्रिल किया गया। जिसमें रेलवे ने अपने रिस्पांस सिस्टम को परखा। किसी भी ट्रेन हादसे के समय एआरटी की ही मुख्य भूमिका होती है। ऐसे में मालदा रेल मंडल प्रशासन ने अपनी एआरटी की तत्परता को परखने के लिए एक माकड्रिल की। माकड्रिल के लिए रेलवे ने ट्रेन की कोच को बेपटरी कर दिया।

एक कोच को क्रेन के सहारे दूसरे कोच के ऊपर चढ़ा दिया। डीआरएम ने कहा कि क्षतिग्रस्त कोच को टिल्टिंग जैक से पटरी पर लाने, हाइड्रोलिक रिफिलिंग उपकरण से कोच को ट्रैक पर फिर लाने को लेकर भी होने वाली कार्रवाई की जांच की गई।

डीआरएम ने बताया कि एआरटी का किसी भी दुर्घटना में रेस्क्यू करने में अहम जिम्मा होता है। ऐसे में अब एआरटी की कार्यकुशलता को माकड्रिल से परखा जाता है। उन्होंने बताया कि माकड्रिल में रिस्पांस टाइम मानकों के अनुसार हुआ। इसमें पांच सौ से ज्यादा कर्मी और सभी विभागीय पदाधिकारी भी थे।

आरपीएफ और एनडीआरएम अलर्ट

माकड्रिल में बताया गया कि हादसे में जख्मी हुए लोगाें को किस तरह अस्पताल ले जाया जात है। दूसरे कोच में सवार सुरक्षित यात्रियों को दूसरी ट्रेन और सड़क मार्ग से गंत्वय तक पहुंचाया गया। माकड्रिल में एनडीआरफ की पूरी टीम अपनी व्यवस्था के साथ थीं। रेल दुर्घटना को व्यवस्थित करने में सभी दिखे। विधि व्यवस्था बहाल करने को लेकर आरपीएफ जीआरपी व स्थानीय पुलिस भी अलर्ट दिखीं।

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