'जननायक' के सहारे चुनावी राजनीति की नैया खे रहे दिग्गज, NDA और महागठबंधन में से किसने खेला मास्टरस्ट्रोक?
Bihar Assembly Election 2025: अति पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को को साधने के लिए दोनों प्रमुख गठबंधनों की ओर से कर्पूरी ठाकुर को खूब याद किए जा रहा है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार अपनी पहली ही सभा जननायक की जन्मभूमि पर की। वहां से उन्होंने महागठबंधन और तेजस्वी यादव पर प्रश्न खड़े किए। वहीं दूसरी ओर तेजस्वी ने दावा किया कि कर्पूरी ठाकुर के कार्य को लालू प्रसाद ने आगे बढ़ाया।

यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।
दिलीप कुमार जायसवाल, मुजफ्फरपुर। Bihar Assembly Election 2025: चुनावी राजनीति में खेल और गुणा-भाग देखिए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बुधवार को एक तरफ दरभंगा में पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को याद कर बता रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ही उन्हें भारत रत्न देकर मिथिला व बिहार की धरती को सम्मान दिया।
वोट के लिए नाम लेने का आरोप
दूसरी तरफ समस्तीपुर में तेजस्वी यादव भाजपा को आरक्षण विरोधी करार देते हुए कह रहे थे कि इन लोगों ने ही कर्पूरी ठाकुर की सरकार गिरा दी थी। आज वोट के लिए उनका नाम ले रहे हैं।
आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे
जननायक कर्पूरी ठाकुर ने लालू की गोद में अंतिम सांस ली थी। कर्पूरी ठाकुर इस बार के विधानसभा चुनाव में जिस तरह याद किए जा रहे। उन्हें लेकर राजनीति हो रही। उनकी विरासत को भुनाने के लिए आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे।
अपना बताने की होड़
यह सारा उपक्रम अति-पिछड़ों (जनसंख्या लगभग 36 प्रतिशत) का वोट पाने और साधने के लिए हो रहा। इसी के चलते उन्हें अपना बताने की होड़ मची है। इसके सहारे चुनावी नैया पार करने की कोशिश हो रही।
समस्तीपुर से प्रचार की शुरुआत
जननायक पर विधानसभा चुनाव के लिए राजनीति की पृष्ठभूमि पिछले बीते वर्ष उस समय तैयार हुई, जब केंद्र सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया। इसके बाद चुनाव की अधिसूचना जारी हुई तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कर्पूरी ठाकुर की जन्मस्थली समस्तीपुर से ही राज्य में विधानसभा चुनाव प्रचार के अभियान की शुरुआत की।
पीएम की पहली सभा
इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री ने इस बार बिहार में चुनावी सभाओं की शुरुआत भी कर्पूरी ठाकुर की जन्मभूमि से 24 अक्टूबर को की। बिहार की अपनी पहली सभा में वे कर्पूरी ठाकुर के गांव और उनके घर गए। उनके स्वजनों से मिले।उन्होंने सभा में जननायक को याद करते हुए कहा कि उनकी ही देन है कि हम जैसे गरीब व पिछड़े परिवार के लोग इस मंच पर हैं। हम उनके विचारों पर काम कर रहे।
उपाधि की चोरी का आरोप
विपक्ष के नेता जननायक की उपाधि की चोरी में जुटे हैं। प्रधानमंत्री ने यह याद दिलाना नहीं भूला कि उनकी सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया। उनका यह बयान अन्य पिछड़ा वर्ग को साधने का मास्टरस्ट्रोक माना जा सकता है।
इसके बाद भाजपा के अन्य नेताओं की ओर से जननायक की उपाधि चोरी करने के बयान आने लगे। महागठबंधन की ओर से जननायक की उपेक्षा करने और चुनाव के समय याद करने का आरोप लगाया जाने लगा।
जनसुराज भी पीछे नहीं
उन्हें सामाजिक न्याय का जनक बताया जाने लगा। इस पूरे मुद्दे पर जन सुराज पार्टी की इंट्री न हो, यह संभव नहीं है। प्रशांत किशोर ने कर्पूरी ठाकुर की पोती डा. जागृति ठाकुर को मोरवा सीट से टिकट दिया है। इसका भी उद्देश्य कर्पूरी को भुनाना ही है।
‘जननायक’ और ‘नायक’
उपाधि चोरी का आरोप तब सामने आया जब तेजस्वी यादव को ‘जननायक’ और ‘नायक’ के रूप में पेश किया गया। इस पर न केवल भाजपा, बल्कि उनकी अपनी पार्टी राजद के एक वरिष्ठ नेता ने भी आपत्ति जताई।
कड़ी मेहनत लगेगी
राजद के राष्ट्रीय महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी ने इस तरह के नामों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि तेजस्वी को यह उपाधि पाने में समय और कड़ी मेहनत लगेगी। इतना ही नहीं, तेजप्रताप यादव ने इस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सच्चे जननायक कौन हैं? जो खुद को ‘जननायक’ कह रहे उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।

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