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    Bhojpuri song की बदनामी की क्या है बड़ी वजह, लोकगायिका Anupama Yadav ने साफगोई से रखीं अपनी बातें

    Updated: Mon, 28 Jul 2025 03:34 PM (IST)

    Bihar News लोक गायिका अनुपमा यादव ने कहा कि कुछ लोग अपना बाजार बनाए रखने के लिए भोजपुरी गीतों को अश्लील बताकर बदनाम करते हैं। उन्होंने भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की। अनुपमा ने कहा कि कुछ कलाकार अश्लील गाने गाकर संस्कृति को बदनाम कर रहे हैं जिन पर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने महेंद्र मिश्र और भिखारी ठाकुर जैसे कलाकारों का उदाहरण दिया।

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    दैनिक जागरण की ओर से आयोजित भजन संध्या में प्रस्तुति देतीं अनुपमा यादव।

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। लोकगायिका अनुपमा यादव ने कहा कि हिंदी गीतों का बाजार बनाए रखने के लिए कुछ लोग जानबूझकर भोजपुरी गीतों को अश्लील बताकर बदनाम करते हैं। उन्होंने कहा कि भोजपुरी जन्म से लेकर हर संस्कार तक के गीतों से जुड़ी है।

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    हिंदी गीतों पर भी सवाल

    वह रविवार को दैनिक जागरण द्वारा आयोजित बाबा गरीबनाथ भजन संध्या में शामिल होने मुजफ्फरपुर पहुंची थीं। उन्होंने मंच से कहा, हम ‘चोली के पीछे क्या है’ जैसे गीत नहीं गाते, फिर भी सवाल भोजपुरी पर उठते हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल की जाए।

    चंद कलाकार ऐसा कर रहे

    उन्होंने कहा कि कुछ श्रोताओं की मांग पर चंद कलाकार अश्लील गीत लिख और गा रहे हैं, जो पूरी संस्कृति को बदनाम कर रहा है। ऐसे लोगों पर सख्ती होनी चाहिए। हमारे भोजपुरी के भीष्म पितामह कहे जाने वाले महेंद्र मिश्र और भिखारी ठाकुर को लोग आज भी आदर से सुनते हैं।

    अश्लील भाषा व सामग्री हानिकारक

    सिर्फ लाइक और कमेंट के पीछे भागने वाले अच्छे गायक नहीं बन पाते। भोजपुरी गीत हमेशा से समृद्ध और सांस्कृतिक रहे हैं। भोजपुरी गानों पर अश्लीलता के आरोप अक्सर लगते रहते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इन गानों में अश्लील भाषा और अश्लील सामग्री का उपयोग किया जाता है, जो समाज के लिए हानिकारक हो सकता है।

    इन आरोपों के प्रमुख कारण:

    • भोजपुरी गानों में अक्सर अश्लील भाषा का उपयोग किया जाता है, जो कुछ लोगों को आपत्तिजनक लगती है।
    • कुछ भोजपुरी गानों में अश्लील सामग्री का उपयोग किया जाता है, जैसे कि अश्लील इशारे या अश्लील दृश्य।
    • कुछ लोगों का मानना है कि भोजपुरी गाने समाज के मूल्यों और संस्कृति को खराब कर रहे हैं।