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    नेपाल के Gen Z आंदोलन से चौपट हुआ मुजफ्फरपुर के कपड़ा मंडी का कारोबार, सामान्य होने में लगेगा वक्त

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 05:45 PM (IST)

    नेपाल में हुए आंदोलन का असर मुजफ्फरपुर के कपड़ा और लहठी बाजार पर देखने को मिला है। यहां से नेपाल को भेजे जाने वाले कपड़ा चावल गेहूं हार्डवेयर मक्का और लहठी के कारोबार में लगभग 150 से 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। व्यापारियों के अनुसार त्योहारों के सीजन में नेपाल से व्यापारियों की कमी के कारण बाजारों में मंदी छाई हुई है।

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    त्योहार के समय भी कपड़ा मंडी को ग्राहक का इंतजार। जागरण

    अमरेन्द्र तिवारी, मुजफ्फरपुर। Nepal Gen Z Protest: नेपाल में चले जेन-जी आंदोलन का असर बिहार की सबसे बड़ी कपड़ा मंडी सूतापट्टी व लहठी मंडी इस्लामपुर पर पड़ा है। यहां से नेपाल कपड़े, चावल, गेहूं, हार्डवेयर, मक्का व लहठी मुख्य रूप से जाता है।

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    व्यापारियों के अनुसार सभी सेक्टर से डेढ़ से दो सौ करोड़ रुपये तक के नुकसान का अनुमान है। सूतापट्टी के प्रमुख कपड़ा व्यवसायी राजकुमार मुंशी ने बताया नवरात्र व दशहरा जैसे बड़े त्योहारों से पहले मंडी में रौनक रहती है, लेकिन इस बार आंदोलन से सन्नाटा है।

    नेपाल से आने वाले सैकड़ों थोक व्यापारी अब तक मुजफ्फरपुर नहीं पहुंच पाए हैं। इसका सीधा असर मंडी के कारोबार पर पड़ा है और व्यापारी चिंता में हैं। आठ सितंबर से ही कारोबार प्रभावित है। यहां करीब 750 से अधिक थोक व खुदरा दुकानें प्रभावित हुई हैं।

    नेपाल में अब रास्ते खुलने लगे हैं और आवाजाही शुरू हो गई है। बाजार की स्थिति सामान्य होने में एक सप्ताह का समय लगेगा। नेपाल के व्यापारी हर साल सूतापट्टी मंडी से कपड़ा थोक में खरीदकर अपने देश में खुदरा बिक्री करते हैं।

    चैम्बर आफ कामर्स के मीडिया प्रबंधन सभापति सज्जन शर्मा ने बताया यहां से कपड़े, चावल, गेहूं, हार्डवेयर, मक्का व लहठी तक का कारोबार नेपाल से जुड़ा है। दशहरा नेपाल के लिए बड़ा पर्व है, जहां नए वस्त्र धारण करना अनिवार्य माना जाता है।

    इसीलिए इस समय सबसे अधिक रौनक रहती है। सूतापट्टी मंडी से कपड़े रक्सौल, जयनगर, जनकपुर, सोनवर्षा, वैरगनिया, आदापुर, घोड़ासहन व वीरपुर तक भेजा जाता है। वहां से व्यापारी भंसार कराकर माल लेकर नेपाल जाते हैं।

    नेपाल के कलैया निवासी व्यापारी ओमप्रकाश प्रसाद ने बताया वे पिछले पांच दिनों से मुजफ्फरपुर आने की सोच रहे थे। अब आर्डर देंगे और यदि स्थिति यथावत रही तो सामान नेपाल पहुंचने में तीन से चार दिन और लग जाएंगे। बताया कि अभी वहां से व्यापारी नहीं आ रहे।

    इस्लामपुर के लहठी कारोबारी सैफ आलम ने कहा दशहरा से लेकर छठ तक नेपाल के काठमांडू सहित कई इलाकों में लहठी की बड़ी मांग रहती है। लहठी कारोबारियों के अनुसार आंदोलन के चलते पिछले एक सप्ताह में करीब 10 से 15 लाख रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ है।