Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Bihar Election: उत्तर बिहार में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस, 70 सीटों में से सिर्फ एक विधायक

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 03:04 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर से मिली खबर के अनुसार, उत्तर बिहार में कांग्रेस की स्थिति नाजुक है। 71 सीटों में से केवल एक विधायक है। पार्टी ने विजेंद्र चौधरी को फिर से मैदान में उतारा है, पर उनकी जीत आसान नहीं है। पिछले ढाई दशक से कांग्रेस जिले में हाशिए पर है। 2010 में सभी उम्मीदवार हार गए थे। पिछले चुनाव में केवल विजेंद्र चौधरी ही जीत पाए थे, जिससे जिले में कांग्रेस फिर से स्थापित हुई।

    Hero Image

    कांग्रेस नेता राहुल गांधी। फाइल फोटो

    प्रमोद कुमार, मुजफ्फरपुर। उत्तर बिहार की 71 सीटों में कांग्रेस के महज एक विधायक हैं, मुजफ्फरपुर विधानसभा क्षेत्र से विजेंद्र चौधरी। पार्टी ने उन्हें दोबारा मैदान में उतारा है। इसके अलावा सकरा से उमेश कुमार राम कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं। दोनों सीटों पर अभी जो स्थिति दिख रही, उसमें उनका जीतना आसान नहीं है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इसके अलावा बेनीपट्टी से नलिनी रंजन झा रूपम, फुलपरास सुबोध मंडल, रीगा से अमित कुमार टुन्ना, बथनाहा (सुरक्षित) इं. नवीन कुमार, सुरसंड से सैयद अबू दोजाना, रक्सौल श्याम बिहारी प्रसाद, गोविंदगंज से शशिभूषण राय, नौतन से अमित कुमार, चनपटिया से अभिषेक रंजन, बेतिया से वसी अहमद, नरकटियागंज से शाश्वत केदार, वाल्मीकिनगर से सुरेंद्र प्रसाद, बगहा से जयेश मंगल सिंह, बेनीपुर से मिथिलेश चौधरी, जाले से ऋषि मिश्रा और रोसड़ा (सु) से बीके रवि मैदान में हैं, इनकी जीत भी आसान नहीं है।

    कुल 18 कांग्रेस प्रत्याशी उत्तर बिहार में हैं। पिछले चुनाव में 20 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। जहां तक मुजफ्फरपुर जिले के सभी 11 विधानसभा क्षेत्रों की बात है, वर्ष 1977 से पहले कांग्रेस का अभेद्य दुर्ग था, लेकिन अब विजेंद्र चौधरी के नाम पर अवशेष बचा है।

    जिस विजेंद्र चौधरी ने मुजफ्फरपुर विधानसभा क्षेत्र से 1995 के चुनाव में कांग्रेस विधायक रघुनाथ पांडेय को हराकर जिले से कांग्रेस का पूरी तरह सफाया कर दिया था, उन्होंने ही 25 साल बाद पिछले चुनाव में कांग्रेस का दामन थाम जीत हासिल की थी।

    जिले में 90 के बाद हारती रही कांग्रेस

    पिछले ढाई दशक से जिले के 11 विधानसभा क्षेत्रों में पंजे की छाप हाशिए पर रही। जिस कांग्रेस से 1972 तक सभी पार्टियां हार मानती थी, वो धीरे-मेरे इतनी बीमार हो चली की जिले में अब कोई हाथ मिलाने तक को तैयार नहीं।

    2010 के चुनाव में कांग्रेस ने जिले के सभी 11 विधानसभा क्षेत्रों से अपना उम्मीदवार खड़ा किया था, लेकिन एक भी उम्मीदवार जीत तो दूर दूसरे स्थान पर भी नहीं रहा। यही कारण रहा कि वर्ष 2015 के चुनाव में कांग्रेस जिले में अपने बूते चुनाव लड़ने का साहस नहीं कर पाई।

    देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी ने जिले से एक भी उम्मीदवार नहीं उतारा।

    पिछले चुनाव में पार्टी ने जिले के तीन विधानसभा, मुजफ्फरपुर से बिजेंद्र चौधरी, पारू ने अनुनय प्रसाद सिन्हा एवं सकरा से उमेश कुमार राम को मैदान में उतरा। तीनों में सिर्फ बिजेंद्र चौधरी भाजपा के सुरेश कुमार को पराजित कर जिले में ढाई दशक बार कांग्रेस को फिर से स्थापित किया।

    जिले में कांग्रेस को अंतिम बार मिली जीत

    विधानसभा क्षेत्र जीते कांग्रेस उम्मीदवार साल
    पारू वीरेंद्र कुमार सिंह 1972
    साहेबगंज नवल किशोर सिन्हा 1985
    बरुराज जमुना सिंह 1980
    कांटी शंभु शरण ठाकुर 1972
    कुढ़नी शिवनंदन राय 1985
    सकरा फकीरचंद राम 1980
    मुजफ्फरपुर विजेंद्र चौधरी 2020
    औराई राम बाबू सिंह 1972
    गायघाट वीरेंद्र कुमार सिंह 1985
    मीनापुर जनक सिंह 1969
    बोचहां कोई नहीं आज तक नहीं