इस तरह साफ हुआ सुशीला कार्की के अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री बनने का रास्ता, पूरे दिन चलता रहा मंथन
Nepal Gen Z Protest वर्तमान संकट को खत्म करने को लेकर राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल प्रधानमंत्री के नामित सुशीला कार्की और प्रधान सेनापति अशोक राज सिग्देल के बीच हुई निर्णायक बैठक के बाद संसद को विघटन करने पर सहमति बन गई है। इसके बाद सुशीला कार्की के नेतृत्व में नई अंतरिम सरकार का गठन हो जाएगा।

बृजेश दुबे, वीरगंज (नेपाल)। जेन जी आंदोलन में सुलग रहे नेपाल में नई सुबह के लिए गहराती रात तक अंतरिम सरकार के गठन और प्रधान के रूप में पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की के नाम पर सर्वपक्षीय सहमति बनाने के लिए शुक्रवार को दिन भर मंथन होता रहा।
मांग को निर्णायक रूप दिया
जेन जी समूहों की मांगों को संविधान के नियमों में रहते हुए किस प्रकार निर्णायक रूप दिया जा सका है। इसे लेकर राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल, वरिष्ठ कानूनविद ओमप्रकाश अर्याल समेत देश के कई संविधान व कानूनविद वह राजनीतिक विश्लेषक विमर्श में जुटे हुए थे।
सेना मुख्यालय के सामने हो गई थी भिड़ंत
गुरुवार को अंतरिम प्रधान को लेकर जेन जी समूहों में मतभेद और सेना मुख्यालय के सामने उनके समर्थकों की भिड़ंत के बाद स्थिति अनियंत्रित होती दिख रही थी। रात्रि तक किसी निर्णय पर नहीं पहुंच सकने की स्थिति में शुक्रवार सुबह से आंदोलन तेज करने की जेन दी की चेतावनी से स्थिति गंभीर हो गई।
सभी पक्ष रास्ता निकालने पर सहमत
इसके बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल और कानूनविद ओमप्रकाश आर्याल के साथ जेन जी समूहों से बात की। सभी पक्ष संविधानिक मर्यादा के अनुरूप रास्ता निकालने पर सहमत थे।
लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्राथमिकता
स्थानीय जनता ने भी राष्ट्र भावना, संविधानिक संस्थानों की रक्षा को सर्वोपरि रखने और हर स्थिति में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्राथमिकता देने की बात कही। सभी से बातकर सुशीला कार्की के नाम पर अंतिम सहमति बनाने का सफल प्रयास किया।
संविधान में संशोधन के विकल्प पर विचार
इन सभी बिंदुओं को समाहित करते हुए कई संविधानविदों ने सुझाव दिया कि आवश्यकता पड़ने पर संक्रमणकालीन व्यवस्था अपनाकर गैर-संसदीय व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है। यदि संसद भंग करने की आवश्यकता पड़ी तो उससे पूर्व बैठक बुलाकर संविधान में संशोधन के माध्यम से नागरिक सरकार के विकल्प पर विचार किया जा सकता है। बैठक मे संक्रमण काल बढ़ने से उत्पन्न होने वाली स्थिति और संभावित खतरों पर भी चिंता व्यक्त की गई और सेना प्रमुखों से सतर्कता बरतने का आग्रह किया गया।
संविधानिक उपचार पर बात
गुरुवार देर रात्रि बनी इस सहमति के अनुरूप व्यवस्था बनाने के लिए शुक्रवार सुबह से ही प्रयास शुरू हो गए। इसके बाद दोपहर दो बजे सेना प्रमुख व देश के प्रमुख संविधानविद शीतल निवास पहुंचे, जहां वर्तमान संकट से निकलने के लिए संविधानिक उपचार पर बात हुई।
2011 के संविधानिक संकट की भी चर्चा
सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में वर्ष 2011 के संविधानिक संकट की भी चर्चा हुई, जिसमें संविधान सभा अपना कार्यकाल नहीं पूरा कर सकी थी और नौ माह पहले संसद भंग हो गई। तब तत्कालीन राष्ट्रपति ने अपनी संविधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश खिलराज रेग्मी को मंत्रि परिषद का अध्यक्ष बनाया और उनके नेतृत्व में गैर दलीय सरकार बनाई गई, जिसका दायित्व तत्कालीन संविधान सभा का कार्यकाल खत्म होने से पूर्व देश में चुनाव करा लेना था।
अंतरिम सरकार के लिए देखा गया नया स्थान
संसद भवन को चलाने के बाद अंतरिम सरकार की बैठक और सभाओं के लिए कोई स्थान नहीं बचा है। शुक्रवार को नेपाल के मुख्य सचिव ने अंतरिम प्रधानमंत्री के कार्यालय के लिए स्थान चिह्नित कर लिया। साथ ही कार्यालय के लिए आवश्यक वस्तुओं को भी व्यवस्था की जा रही है। नेपाल प्रशासन का मानना है कि अंतरिम सरकार के गठन में जितना देरी होगी, लोगों के मन में शंका-आशंका बनी रहगी। इसलिए एक-दो दिन में ही सारी व्यवस्थाएं कर ली जाएं।
रात्रि में बढ़ाई गई सैन्य सुरक्षा
इस बीच गुरुवार रात पूर्व राजा के लौटने की अफवाह फैलने लगी और सोशल मीडिया पर कुछ विश्लेषणों के कारण लोगों में आशंकाएं गहराने लगी। हालांकि मध्यरात्रि के बाद अंतरिम प्रधान तय होने की खबरों के बीच ये आशंकाओं के बादल छंटने लगे।
वहीं किसी भी आपात स्थिति से निपटने और नागरिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से नेपाली सेना ने बख़्तरबंद वाहन, नाइट-विजन हेलीकाप्टर और अतिरिक्त सैनिक तैनात कर सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया। जनता से संयम बरतने और अफवाहों से बचने की अपील की गई है।
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