Shameful: बिहार के इस मेडिकल कालेज में क्यों लावारिश शव को कफन तक नहीं नसीब?
मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में लावारिस शवों की हालत चिंताजनक है, जहाँ उन्हें कफ़न भी नसीब नहीं हो रहा। डीप फ्रीजर खराब होने से शव जल्दी गल रहे हैं। प्रशासन और पुलिस द्वारा अंत्येष्टि की व्यवस्था में भी कमियाँ हैं। पुरानी योजनाओं के तहत शीतगृह बनाने का काम भी अधूरा है, और कफ़न की उपलब्धता भी मुश्किल बनी हुई है। रोगी कल्याण समिति द्वारा राशि उपलब्ध कराने के बावजूद कफ़न का अभाव है।

यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। एसकेएमसीएच में लावारिस शव को कफन भी नसीब नहीं हो रहा है। मृत के बाद पोस्टमार्टम हाउस में जैसे - तैसे पोस्टमार्टम गृह में शव को रखें जा रहे हैं। 18 लाख की लागत से लगा डीप फ्रीज़र भी खराब है। गर्मी अधिक है।
इसके वजह से कीड़े लगने के साथ ही शव जल्द ही गलने लग रहे हैं। शव को रखें जाने संबंधित कोई पूख्ता व्यवस्था भी एसकेएमसीएच प्रशासन के पास नहीं है। गल्ले- कीड़े लगे शव की ढ़ेर इकट्ठा होने के बाद एसकेएमसीएच ओपी पुलिस समेत अन्य थाना की पुलिस शव का अंतेष्टि कर अपने जवाबदेही का कोरम पूरा करने में लगे हैं।
बताया जा रहा है कि एसकेएमसीएच प्रशासन प्रति शव दो हजार रुपए अंत्येष्टि के लिए उपलब्ध पुलिस को करवाती है, पर पुलिस अलग-अलग शव की अंत्येष्टि के लिए राशि एक साथ मोटी लेते हैं, पर अंत्येष्टि मोटरी भर करती है।
लोगों की मानें तो एक शव की अंत्येष्टि करने में किया खर्च से आधा राशि में ही मोटरी भरे शव की अंत्येष्टि में खर्च होती है। सूत्रों की मानें तो अंत्येष्टि की संपूर्ण व्यवस्था सिकंदरपुर में ही पुलिस करती।अगर वरीय आलाधिकारियों चाहें तो यह जवाबदेही नगर निगम को मिल जाएं तो मशीन के जरिए होने वाले अंत्येष्टि स-समय नियमपूर्वक हो सकेगा।
सुरक्षित रखने का होता रहता पत्राचार
एसकेएमसीएच के पोस्टमार्टम हाउस में शव को सुरक्षित रखने के लिए डीप फ्रीजर रहता है। पर डीप फ्रीज़र लंबे समय से खराब पड़ा है। कालेज प्रशासन द्वारा महंगी और बड़ी कंपनी की खरीदारी की गई डीप फ्रीज़र कुछ शव रखें जाने के बाद भी खराब हो गए।
इसके बाद डीप फ्रीज़र के बनवाने या नयी खरीदारी के लिए एफएमटी विभाग और कालेज प्रशासन पत्राचार पर पत्राचार करते रहे, लेकिन न बना और नहीं नया उपलब्ध हो सका। इसके बाद भी जिला के सभी थाना में लावारिस हालत में मिले शव को 72 घंटे तक सुरक्षित रखें जाने के लिए एफएमटी विभागाध्यक्ष को पत्राचार होता है और एफएमटी विभाग बैगर संसाधन के शव सुरक्षित रखने की जवाबदेही उठा ले रही हैं।
बताया जा रहा है कि एसकेएमसीएच में कुछ वर्ष पूर्व निर्मित पोस्टमार्टम गृह सदर अस्पताल के रोडमैप पर बना था। जिसके बाद एसकेएमसीएच के पूराने पोस्टमार्टम हाउस को लावारिस शव के लिए छोड़ दिया गया।
जिला में लावारिस शव की संख्या के मुताबिक पूराने पोस्टमार्टम हाउस को शीतगृह में तब्दील होना था, लेकिन अधिकारियों की तबादला होते ही योजना फाइलों में रह गई। एफएमटी विभागाध्यक्ष डा. नीतीश कुमार की मानें तो नवनिर्मित पोस्टमार्टम हाउस में शव का पोस्टमार्टम के साथ मेडिकल स्टूडेंट्स का पढ़ाई और प्रशिक्षण दोनों होता। इसलिए लावारिस शव यहां रखना मुश्किल है। एमबीबीएस और डीएनबी के छात्र संक्रमण के बीच पढ़ाई नहीं कर सकते हैं।
रोगी कल्याण समिति के तहत गया डिमांड अधर में
लावारिस शव की अंत्येष्टि को लेकर रोगी कल्याण समिति राशि तो उपलब्ध करा रही है, लेकिन अंत्येष्टि पूर्व उसे कफ़न मुहैया कराने में पिछे है। तीन माह पूर्व उसके द्वारा भेजा गया डिमांड के बाद भी कफ़न मुहैया हो पाना मुश्किल बना है। नौबत यह है कि एसकेएमसीएच में भर्ती के दौरान मृत लावारिस मरीजों को कफन भी नसीब हो पाना मुश्किल हो गया है। बताया जा रहा है कि अंत्येष्टि राशि के आलावा अस्पताल से पोस्टमार्टम हाउस तक शव को पहुंचाने के लिए तीन सौ रुपए भी खर्च रोगी कल्याण समिति के तहत हो रहा है, लेकिन तीन सौ रुपए की कफन मुहैया नहीं।
शिकायत मिलने पर रोगी कल्याण समिति के डिलिंग क्लर्क को कफन का डिमांड भेजने को कहा गया था, आया या नहीं यह उन्हें पता नहीं है। डिलिंग क्लर्क से बातचीत कर कफन मुहैया कराया जाएगा। साथ ही एफएमटी विभागाध्यक्ष से लावारिस शव के रखरखाव को लेकर समुचित जानकारी लेकर खामियां को दूर की जाएगी।
डा. आभा रानी सिन्हा, प्राचार्य सह अधीक्षक, एसकेएमसीएच
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