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    इस्लामपुर में होगी विरासत की जंग, तीसरी पीढ़ी बनाम दूसरी पीढ़ी में किसके सिर सजेगा जीत का सेहरा

    Updated: Sat, 11 Oct 2025 04:09 PM (IST)

    इस्लामपुर में आने वाले चुनावों में विरासत की लड़ाई होगी, जिसमें तीसरी और दूसरी पीढ़ी के नेता आमने-सामने होंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि जीत का ताज किसके सिर पर सजेगा। दोनों उम्मीदवार अपनी पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण हैं, और मतदाताओं को इस बार एक मुश्किल फैसला लेना होगा कि वे किसे अपना नेता चुनते हैं।

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    इस्लामपुर में होगी विरासत की जंग

    राजीव प्रसाद सिंह, एकंगरसराय। इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र की सियासत इस बार एक नए और दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई है। यहां तीसरी पीढ़ी नेतृत्व की कमान संभालने के लिए तैयार खड़ी है। राजनीति में परंपरा और विरासत की अहम भूमिका रही है, और इस्लामपुर इसका एक जीवंत उदाहरण बनता जा रहा है।

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    बताते चलें कि इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र में स्व. रामशरण प्रसाद सिंह ने दो बार चुनाव जीतकर इस क्षेत्र का नेतृत्व किया था। उनके बाद उनके पुत्र राजीव रंजन ने 2010 में जनता का विश्वास जीतकर इस्लामपुर से विधायक बने और क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 

    तीसरी पीढ़ी पूरी मजबूती के साथ मैदान में

    अब उसी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 2020 में स्व. राजीव रंजन के पुत्र रुहेल रंजन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भरोसा जताते हुए उन्हें नेतृत्व करने का मौका प्रदान किया था। इस तरह इस्लामपुर की सियासत में तीसरी पीढ़ी पूरी मजबूती के साथ मैदान में उतर चुकी है।


    वहीं, दूसरी ओर वर्तमान विधायक राकेश कुमार रौशन भी दूसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनके पिता कृष्ण बल्लभ प्रसाद यादव भी इस्लामपुर का कई बार नेतृत्व कर चुके हैं। इस प्रकार क्षेत्र में दो पूर्व विधायकों के पुत्र अब आमने-सामने हैं और नेतृत्व की दौड़ में अपने-अपने पक्ष को मजबूत कर रहे हैं।

    नता का विश्वास हासिल करने की कोशिश 

    राजनीतिक हलकों में इस मुकाबले को लेकर जबरदस्त चर्चा है। एक ओर जहां रुहेल रंजन अपने पिता की राजनीतिक विरासत और नई ऊर्जा के साथ जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटे हैं, वहीं राकेश रौशन बतौर वर्तमान विधायक अपनी उपलब्धियों और अनुभव के दम पर फिर से जनता का विश्वास हासिल करने की कोशिश में हैं।


    यदि राजनीतिक समीकरण इसी तरह बने रहे तो इस बार इस्लामपुर का चुनाव न सिर्फ दलों के बीच बल्कि दो राजनीतिक घरानों की अगली पीढ़ी के बीच नेतृत्व की प्रतिस्पर्धा में तब्दील हो सकता है। 

    अब देखना दिलचस्प होगा कि इस ऐतिहासिक मुकाबले में जनता किसे नेतृत्व का सौभाग्य सौंपती है। पूर्व में पति पत्नी क्रमशः पंकज कुमार सिन्हा एवं उनकी पत्नी प्रतिमा सिन्हा इस्लामपुर का नेतृत्व कर चुके हैं।