Nalanda vidhan sabha Chunav Result: नालंदा में किसके सिर सजेगा ताज, आज होगा फैसला
Nalanda election Result: नालंदा में हमेशा से नीतीश कुमार की पार्टी जदयू का प्रभाव रहा है। इस बार भी जदयू और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर है। जदयू के श्रवण कुमार और कांग्रेस के कौशलेंद्र कुमार चुनावी मैदान में हैं। आज इनकी किस्मत का फैसला होगा।

बिहार विधानसभा चुनाव रिजल्ट।
डिजिटल डेस्क, नालंदा। Nalanda vidhan sabha Election Result 2025 / Bihar vidhan sabha chunav Result:अपनी गौरवशाली विरासत से परे नालंदा विधानसभा क्षेत्र 1977 में स्थापित हुआ। यह एक अलग कहानी बयां करता है- जो जातीय राजनीति और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रभाव से प्रभावित है। इस बार भी जदयू और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर है।
Nalanda vidhan sabha Election Result अपडेट-
श्रवण कुमार (JDU)-
कौशलेंद्र कुमार (कांग्रेस)-
पूनम सिन्हा (JSP)-
नीतीश का रहा है दबदबा
शुरुआती सालों में नालंदा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के श्यामसुंदर प्रसाद और निर्दलीय उम्मीदवार राम नरेश सिंह ने बारी-बारी से जीत दर्ज की। दोनों ने पहले चार चुनावों में दो-दो बार जीत हासिल की। हालांकि, यह स्थिति तब बदल गई जब नीतीश कुमार का राजनीतिक दबदबा बढ़ा, जिससे इस क्षेत्र की राजनीतिक दिशा पूरी तरह बदल गई।
श्रवण कुमार चुनावी मैदान में
नीतीश कुमार की सरकार में वरिष्ठ मंत्री श्रवण कुमार ने जनता दल (यूनाइटेड) और उसके पूर्ववर्ती दल, समता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नालंदा सीट पर लगातार सात बार जीत हासिल की है। उनकी जीत हमेशा भारी अंतर से हुई, सिवाय 2015 के। जब उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार को मात्र 3,000 से कम वोटों के अंतर से हराया। यह वह समय था जब जेडीयू ने बीजेपी का साथ छोड़कर राजद-नीत महागठबंधन से हाथ मिलाया था।
लगातार 9 बार जदयू ने दर्ज की है जीत
जनता दल (यूनाइटेड) और उसकी पूर्ववर्ती समता पार्टी ने 1996 से नालंदा लोकसभा सीट पर लगातार नौ चुनाव जीते हैं, जो इस क्षेत्र में नीतीश कुमार की गहरी पकड़ को दर्शाता है. 2024 के लोकसभा चुनावों में, जेडीयू और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने नालंदा की सात में से छह विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि राजद केवल एक सीट पर आगे रही.
कुर्मी जाति का इस जिले में महत्वपूर्ण प्रभाव है। कुशवाहा और अति पिछड़ी जातियों (EBC) भी अपना व्यापक असर रखते हैं। इसके अलावा, अनुसूचित जाति और मुस्लिम मतदाता भी लगातार चुनावी परिणाम में अपना रोल निभाते रहे हैं।

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