अतिक्रमण का दंश: 12 से सिमटकर 5 बीघे का हुआ तालाब, उद्घाटन के बाद भी नहीं हो सका जीर्णोद्धार
एक तालाब, जो कभी 12 बीघे में फैला था, अतिक्रमण के कारण अब केवल 5 बीघे का रह गया है। जीर्णोद्धार के लिए उद्घाटन होने के बावजूद, कोई काम नहीं हुआ है। स् ...और पढ़ें

तालाब उड़ाही योजना का शिलापट्ट की ओर संकेत करते ग्रामीण। फोटो जागरण
संवाद सूत्र, हरनौत। हरनौत प्रखंड के लोहरा पंचायत के किचनी गांव स्थित 12 बीघे का तालाब का तालाब अतिक्रमण के कारण लगभग पांच बीघे में सिमटकर रह गया है। इसकी उड़ाही नहीं हो सकी। तालाब में लगभग सात बीघे में अतिक्रमण किया जा चुका है। स्थानीय कुछ लोगों ने तालाब में अवैध निर्माण कर लिया है।
ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में इस तालाब में स्वच्छ पानी रहता था। सिंचाई होती थी। छठ में अर्घ्य अर्पण होता था। लेकिन अतिक्रमण के कारण इस जल स्रोत का अस्तित्व मिटता जा रहा है। तालाब गांव के बीच में है। गांव के नाली का पानी इसी में संग्रह होता है।
मुखिया उषा देवी ने बताया कि तालाब का जीर्णोद्धार के लिए इसका चयन अमृत सरोवर के तौर पर हुआ था। 17 मई 2022 को कार्य का उद्घाटन हुआ था। सब कुछ इतनी जल्दबाजी में हुई थी कि प्राक्कलन भी नहीं बनाया गया था। मोटे तौर पर लागत दर्शा दिया गया था।
जल- जीवन - हरियाली के तहत मनरेगा से कार्य होना था। तीन वर्ष बीत जाने के उपरांत भी जीर्णोद्धार कार्य नहीं हो सका। ग्रामीण बताते हैं कि उद्घाटन के बाद कार्य आगे नहीं बढ़ा। मुखिया के प्रतिनिधि सुमिंदर कुमार बताते हैं कि उद्घाटन के समय तालाब में गंदा पानी रहने के कारण कार्य को रोक दिया गया था।
उन्होंने कहा, शासन के सहयोग से अगर तालाब से पानी निकलवाकर व अतिक्रमण हटवाकर कार्य कराया जाता तो लोगों को अमृत सरोवर के तहत इस तालाब से लाभ भी मिलता।
उन्होंने बताया कि यह कार्य जल-जीवन-हरियाली योजना से मनरेगा के तहत मुखिया के अनुशंसा से लगभग 5.88 लाख रुपए की लागत से कराया जाना था। स्थानीय स्तर पर यह योजना आगे नहीं बढ़ सका।
जिसके कारण इसका कार्य अभी तक शुरू हीं नहीं कराया जा सका है। वहीं, मनरेगा पीओ आनंद कुमार ने बताया कि इस योजना की जानकारी हमे नहीं है।

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