Nawada News: निराश्रितों का आश्रयस्थल बना एंबुलेंस ड्राइवरों का ठिकाना, पेड़-पौधे और दीवार की ओट का सहारा ले रहे मजदूर
नवादा में निराश्रितों का ठिकाना एंबुलेंस ड्राइवरों के लिए आश्रयस्थल बन गया है। मजदूर पेड़-पौधे और दीवारों के सहारे जीवन यापन कर रहे हैं। इससे बेघर लोग ...और पढ़ें

संवाद सहयोगी, नवादा। नवादा सदर अस्पताल में निराश्रितों के लिए बना एक ऐसा आश्रयस्थल है, जहां वे पहुंचते ही नहीं! नगर परिषद क्षेत्र में पेड़-पौधे और भवनों की ओट का सहारा लेकर रात काटते हैं और फिर दिन में मेहनत मजदूरी करके रोजी-रोटी का जुगाड़ करते हैं।
नवादा रेलवे स्टेशन का नया भवन हो या फिर पुराना। पूस की ठंडी रात में ये निराश्रित भवन की दीवालों के सहारे फटे-पुराने गेंदरा(कपड़ों से बना एक गद्दा), कंबल या फिर फटे-पुराने बैनर में लिपट कर सोते हैं।
सदर अस्पताल परिसर में बने निराश्रितों के आश्रयस्थल में एंबुलेंस वाहनों के ड्राईवर, मेडिकल टेक्नीशियन और सुपरवाईजर ने ठिकाना बना रखा है। हालांकि ये आश्रयविहीन नहीं है, बावजूद निराश्रितों के आश्रयस्थल में इनका ही ठौर-ठिकाना बना है। भवन के दूसरे तल पर इनके बिस्तर लगे रहते हैं। ऐसे में सरकार द्वारा निर्धारित लक्षित वर्ग को लाभ नहीं मिल रहा।
निराश्रितों के आश्रयस्थल की निगरानी नहीं होती, इसके अभाव में साधन-संपन्न लोग ही इस सरकारी योजना का नाजायज फायदा उठा रहे हैं। स्थिति यह है कि सदर अस्पताल के वार्डों में भर्ती मरीजों के स्वजन भी यहां तक नहीं पहुंच पाते। जिससे उन्हें रात में सिर छिपाने की जगह मिल सकें। जानकारी के अभाव में निराश्रितों का आश्रयस्थल अपने लक्ष्य से भटका नजर आ रहा है।
राज्य स्तरीय आश्रयस्थल अनुश्रवण समिति भी नहीं लेती सुध
सर्वोच्च न्यायालय ने एक प्रमुख वाद डब्ल्यूपी(सी) 55/2003 ई.आर. कुमार एवं अन्य बनाम भारत संघ के आलोक में निराश्रितों के लिए आश्रयस्थल संचालन की निगरानी को लेकर राज्य स्तरीय आश्रयस्थल अनुश्रवण समिति का गठन किया है, जो समय-समय पर इसकी निगरानी करती है।
बावजूद सरकार की योजना लक्षित वर्ग को लाभ पहुंचाने में विफल साबित हो रही है। इस आश्रयस्थल में प्रतिदिन आठ से नौ लोग ठहरते हैं, लेकिन वे निराश्रित नहीं होते। बल्कि एंबुलेस चलाने वाले ड्राईवर, ईएमटी और अन्य सक्षम लोग होते है।
कभी-कभार कोई निराश्रित आश्रयस्थल पहुंच भी जाता है, तो फिर अगली बार इधर की रूख नहीं करता। विभागीय निगरानी के अभाव में आश्रयस्थल में लक्षित वर्ग के इतर अन्य लोगों का ठहराव हो रहा है।
नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा होता है आश्रयस्थल का संचालन
केन्द्र सरकार की दीन दयाल अन्त्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन( डीएयू-एनयूएलएम) के तहत राज्य के प्रत्येक जिले में निराश्रितों के लिए आश्रयस्थल का निर्माण हुआ है। नवादा नगर परिषद क्षेत्र स्थित सदर अस्पताल परिसर में करीब 49 लाख रुपये की लागत से तीन मंजिला निराश्रितों का आश्रयस्थल बनाया गया है।
पूर्व में यहां करीब 50 लोगों के आवासन की व्यवस्था थी, साथ में एक निर्धारित शुल्क देकर भोजन भी उपलब्ध कराया जाता था। जानकारी होने पर लोगों ने यहां ठहरना भी शुरु किया था, इसी बीच कोविड-19 संक्रमण काल प्रारंभ हो गया और संसाधन के अभाव में इस भवन का उपयोग कोविड-19 केयर वार्ड में किया गया। इसके बाद से इसकी स्थिति बद से बदतर होते चली गई।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।