Rajballabh Yadav: निर्दलीय चुनाव जीतकर विधानसभा में ली एंट्री, जेल जाने के बाद भी कम नहीं हुआ दबदबा
नवादा के पूर्व विधायक राजबल्लभ प्रसाद जिन्हें 2018 में दोषी ठहराया गया था हाल ही में जेल से रिहा हुए। उन्हें पहले भी अपने पिता के निधन और मां के इलाज के लिए पैरोल मिली थी। 1995 में निर्दलीय चुनाव जीतकर उन्होंने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी और बाद में राजद सरकार में मंत्री भी रहे।

संवाद सहयोगी, नवादा। नवादा विधानसभा के पूर्व विधायक व पूर्व श्रम राज्य मंत्री राजबल्लभ प्रसाद को पटना के एमपी-एमएलए विशेष न्यायालय में 21 दिसंबर,2018 को दोषी करार दिया गया था।
इसके पूर्व 19 अगस्त 2016 को वे अपने पिता जेहल प्रसाद यादव के निधन पर पूर्व विधायक पैरोल पर बाहर आए थे, जबकि दोषी करार दिए जाने के बाद वे 6 अगस्त से 22 अगस्त 2023 तक 15 दिनों के पैरोल पर बाहर निकले।
उन्होंने अपनी मां के इलाज को लेकर पैरोल को आवेदन दिया था, जो स्वीकार किया गया। तीसरी बार इसी वर्ष जून महीने की 11 तारीख को 15 दिन की पैरोल पर राजबल्लभ प्रसाद जेल से बाहर आए।
वृद्ध मां और स्वयं की बीमारी का इलाज कराने एवं पुश्तैनी जमीन का भाईयों के बीच बंटवारा कराने को लेकर उन्होंने पैरोल के लिए आवेदन दिया था। अपने चाचा की रिहाई पर नवादा के एमएलसी अशोक कुमार ने कहा कि अंतत: सत्य की जीत हुई है।
लंबे समय तक कारागार में बंदी जीवन बिताया
2016 में नौ फरवरी को बिहारशरीफ के महिला थाने में राजबल्लभ प्रसाद के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई। जिसके बाद उन्हें 10 मार्च, 2016 को कोर्ट में सरेंडर करना पड़ा। 15 सितंबर, 2016 को कोर्ट में गवाही शुरु हुई।
इस दौरान पटना हाईकोर्ट ने 20 सितंबर,2016 को राजबल्लभ प्रसाद को जमानत दे दी। 164 दिनों तक जेल में रहने के बाद राजबल्लभ पहली बार अपने पिता जेहल प्रसाद के निधन पर दाहसंस्कार कार्य को लेकर बाहर निकले।
राज्य सरकार ने पटना हाईकोर्ट द्वारा दिए गए जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई, जहां राजबल्लभ प्रसाद की जमानत को खारिज कर दिया गया। जिसके बाद उन्हें फिर से जेल जाना पड़ा। दिसंबर,2018 में दोषी करार दिए जाने के बाद वे लगातार जेल में रहे।
1995 में निर्दलीय चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे
राजबल्लभ प्रसाद ने सबसे पहले 1995 में निर्दलीय चुनाव लड़ा और वे विजयी हुए। इसके साथ ही उन्होंने पहली बार बिहार विधानसभा का चौखट लांघी।
साल 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें आरजेडी से टिकट मिला और वे चुनाव जीते और सरकार में श्रम राज्य मंत्री बनाए गये। इसके बाद लगातार तीन विधानसभा चुनावों में उन्हें शिकस्त मिली।
2015 में जेडीयू-आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन से राजबल्लभ प्रसाद एक बार फिर चुनाव जीते। इसी दौरान फरवरी 2016 में नाबालिग के दुष्कर्म मामले में उन पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई और मामले के विचारण के दौरान विशेष न्यायालय ने 21 दिसंबर, 2018 को उन्हें दोषी करार दिया।
जिसके बाद बिहार विधानसभा से उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई। 2019 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में जदयू से कौशल यादव विजयी हुए, जबकि अगले ही साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में राजबल्लभ प्रसाद की पत्नी राजद से उम्मीदवार बनी और विजयी हुई।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।