Bihar Weather: राजधानी पटना में होगी बूंदाबांदी, इन जिलों में बिजली गिरने और बारिश का अलर्ट
प्रदेश में मानसून सक्रिय है। पटना समेत कई इलाकों में हल्की बारिश हुई जिससे लोगों को उमस से राहत मिली। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में पटना में आंशिक बादल और हल्की वर्षा की संभावना जताई है। गयाजी और नवादा में भारी वर्षा की चेतावनी जारी की गई है। अररिया के रानीगंज में सबसे अधिक वर्षा दर्ज की गई।

जासं, पटना। प्रदेश में मानसून की सक्रियता बनी हुई है। रविवार को पटना सहित आसपास इलाकों के अलावा भागलपुर, पूर्णिया, वाल्मीकि नगर, फारबिसगंज, भोजपुर, बेगूसराय, मुंगेर आदि जगहों पर छिटपुट वर्षा हुई। राजधानी में रुक-रुक कर वर्षा होने से लोगों को उमस से राहत मिली है।
मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार, अगले 24 घंटों के दौरान पटना सहित आसपास इलाकों में आंशिक रूप से बादल छाए रहने के साथ कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा की संभावना है।
प्रदेश के दो जिलों के गयाजी और नवादा में मेघ गर्जन के साथ भारी वर्षा को लेकर चेतावनी जारी की गई है। प्रदेश के अधिसंख्य भागों में तेज हवा के साथ मेघ गर्जन, वज्रपात को लेकर चेतावनी जारी की गई है।
बीते 24 घंटों के दौरान अररिया के रानीगंज में सर्वाधिक वर्षा 160.0 मिमी दर्ज की गई। राजधानी में रविवार को 0.6 मिमी वर्षा दर्ज की गई। राजधानी का अधिकतम तापमान 32.0 डिग्री सेल्सियस, जबकि 36.2 डिग्री सेल्सियस के साथ गोपालगंज में सर्वाधिक अधिकतम तापमान दर्ज किया गया।
प्रमुख शहरों में वर्षा की स्थिति
स्थान | वर्षा (मिमी में) |
लखीसराय | 145.6 |
खगड़िया | 134.6 |
गयाजी | 128.6 |
पूर्णिया | 122.8 |
बांका | 117.0 |
भागलपुर | 107.4 |
बेगूसराय | 98.2 |
नालंदा | 90.8 |
किशनगंज | 82.4 |
प्रमुख शहरों का तापमान
शहर | अधिकतम | न्यूनतम |
पटना | 32.0 | 29.1 |
गयाजी | 32.2 | 25.4 |
भागलपुर | 29.2 | 25.7 |
मुजफ्फरपुर | 31.4 | 29.1 |
(तापमान डिग्री सेल्सियस में)
रोहतास: सोन में बाढ़ के चलते तटीय क्षेत्र में तेजी से हो रहा कटाव
अनुमंडल क्षेत्र में सोन में आने वाली बाढ़ के चलते तटीय भूमि का तेजी से कटाव हो रहा है। प्रतिवर्ष तटीय गावों की दर्जनों एकड़ कृषि भूमि नदी में समाहित हो जाती है। इस वर्ष बाढ़ के कारण सोन की तेज धारा के प्रवाह में आकर बेलौंजा, सिंहपुर, बांदू , रसूलपुर, कमरनगंज समेत नौहट्टा, रोहतास, तिलौथू व डेहरी प्रखंड के दर्जनों एकड रैयती भूमि का कटाव हुआ है, जिससे किसान चिंतित हो उठे हैं।
पिछले सात वर्षों के अंतराल में जलसंसाधन विभाग द्वारा कटाव निरोधक कोई कार्य भी नहीं किए गए है। जिसके कारण हर साल कटाव बढता जा रहा है। यदुनाथपुर से डेहरी तक 80 किलोमीटर मे सोन नदी जगह जगह पांच से दस फीट अपनी चौड़ाई बढा लेती है।
ऐसे में किसानो की रैयती भूमि सोन मे विलीन होती जा रही है। वर्ष 2003 से अबतक सोन में आई बाढ से बांदू,तियरा,कमरनगंज,रसूलपुर समेत कई गावो की एक हजार एकड से अधिक रैयती भूमि का कटाव हो गया। जिसका राजस्व लगान आज भी उन किसानों से राजस्व विभाग वसूल रहा हैं।
पहले बांदू गांव और सोन नदी की दूरी तीन सौ मीटर थी, कटाव से वह अब दस मीटर भी नही बच पाई है। इस गभीर स्थिति को देखते हुए जलसंसाधन विभाग ने बांदू गांव बचाने के लिए वर्ष 2006 एवं 2018 में आवश्यकतानुसार बोल्डर पीचिंग और जिओ बैग से कटाव निरोधक कार्य कराया था।
हालांकि वर्ष 2016 में ही बांदू गांव के पास कोयल नदी नई धारा तैयार करने लगी थी। यदि नई धारा बन जाती, तो बांदू गांव का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता। इस गांव के पास कटाव से दारानगर भदारा खैरवा शेखपुरा सिंहपुर आदि करीब पंद्रह गांव पर खतरा बढ़ गया है।
रसूलपुर गांव के निकट सोन नदी से कटाव।
यदुनाथपुर मटियांव नावाडीह कला, अमहुआ, नावाडीह खूर्द, तिअरा कला, तिअरा खूर्द. परछा, पंडुका पडरिया तिउरा, नौहट्टा, उल्ली मे भी सोन नदी की धारा प्रभावित करने लगी है। बांदू गांव के सामने ही सोन नदी मे कोयल नदी मिलती है। दोनो नदी के मिलान बिंदु के कारण तेज कटाव होता है।
कोयल की धारा काफी तेज होती है। सोन के साथ कोयल मिलकर बांदू, भदारा, दारानगर बेलौंजा सिंहपुर बलिआरी मे तेज कटाव करती है। उस कटाव को रोकने के लिए वर्ष 2017 मे तत्कालीन विधायक ललन पासवान ने जलसंसाधन विभाग से मांग की थी।
रसूलपुर गांव के पास सोन तट पर भीषण कटाव को लेकर 2018 में कटाव निरोधक किया गया था। हाल के वर्षों में तटबंध कटाव का कोई कार्य दोनों प्रखंड में नहीं होने से स्थिति विकराल रूप लेती जा रही है। रसूलपुर निवासी पूर्व प्रमुख कामेश्वर सिंह कहते हैं कि इस वर्ष कई किसानों की लगभग दस एकड़ भूमि सोन में समाहित हो गई है।
कटाव निरोधक कार्य अगर नहीं किए गए, तो कई किसान भूमिहीन हो जाएंगे। इस संबंध में अंचलाधिकारी नौहट्टा हिंदुजा भारती ने बताया कि कटाव का जायजा लेकर जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों से बातकी जाएगी। ताकि कटाव निरोधक कार्य कराया जा सके।
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