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    बिहार चुनाव में AI के गलत इस्तेमाल पर प्रशासन की पैनी नजर, फर्जी प्रचार पर होगी कार्रवाई

    Updated: Sat, 11 Oct 2025 11:52 PM (IST)

    आगामी विधानसभा चुनाव में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के संभावित दुरुपयोग को लेकर जिला प्रशासन सतर्क है। फर्जी प्रचार, डीपफेक वीडियो और भ्रामक खबरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सोशल मीडिया पर निगरानी रखी जा रही है और गलत सूचना फैलाने वालों के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। मतदाताओं से संदिग्ध सामग्री की सूचना देने की अपील की गई है।

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    बिहार चुनाव में AI का दुरुपयोग करने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, पटना। विधानसभा चुनाव में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से फर्जी प्रचार, डीपफेक वीडियो व भ्रामक मीडिया रिपोर्टिंग बढ़ने की आशंका कई गुना बढ़ गई है।

    जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह डीएम डॉ. त्यागराजन ने इसे देखते हुए सख्त निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म्स पर नकली वीडियो, फोटो, टेक्स्ट मैसेज पोस्ट कर किसी प्रत्याशी या दल की छवि बिगाड़ने व मतदाताओं को गुमराह करने की कोशिश करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा।

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    उन्हें इलेक्ट्रानिक मीडिया मानते हुए आइटी एक्ट के तहत मुकदमा कर कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए कोषांग में 21 लोगों की टीम लगाई गई है।

    चुनाव आयोग व जिला प्रशासन ने स्वीकार किया है कि अब एआई-जनित डीपफेक वीडियो में उम्मीदवारों के नकली बयानों को वायरल कर मतदाताओं को भ्रमित करने के मामले बढ़ सकते हैं।

    इसके अलावा, हजारों फर्जी अकाउंट्स और बाट्स से सोशल मीडिया पर पक्षपातपूर्ण प्रचार भी कराया जा रहा है। कुछ ऑनलाइन पोर्टल्स पर जानबूझकर भ्रामक रिपोर्टिंग कराने की आशंका है।

    डॉ. त्यागराजन ने कहा कि एआइ व इलेक्ट्रानिक मीडिया से चुनौतियां बढ़ी हैं लेकिन प्रशासन सक्षम है। कानून का उल्लंघन करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा।

    उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर सोशल मीडिया मानिटरिंग सेल सक्रिय है जो हर पोस्ट, वीडियो व रिपोर्ट की निगरानी कर रही है। फैक्ट चेक यूनिट के साथ समन्वय कर हर संदिग्ध कंटेंट की सत्यता जांची जा रही है। शिकायत मिलने पर तुरंत प्राथमिकी, तकनीकी टेकडाउन व ईसीआइ नोटिस जारी कर ऐसी सामग्री हटवाई जा रही है।

    सख्त कार्रवाई का है प्रविधान

    यदि कोई उम्मीदवार या एजेंट डीपफेक या फर्जी प्रचार से चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करता है, तो रिप्रजेंटेशन आफ पीपल एक्ट के तहत उनके खिलाफ चुनावी अयोग्यता, मुकदमा या सजा तक की कार्रवाई की जा सकती है।

    आईटी एक्ट व आइपीवीस की धाराओं जैसे कि सेक्शन 505 भ्रामक सूचना, 66सी- व 66डी साइबर फ्राड व 499 व 500 मानहानि के तहत मुकदमा कराया जा सकता है।

    उन्होंने मतदाताओं से इसे वायरल करने के बजाय संदिग्ध वीडियो, पोस्ट या मीडिया क्लिप की जानकारी तुरंत वोटर हेल्पलाइन 1950 पर देने की अपील की है। साक्ष्य के रूप में स्क्रीनशाट, लिंक व तारीख-समय जरूर अपने पास रखना होगा।