ठंड और प्रदूषण से बचाएंगे ये आयुर्वेदिक उपाय, बिना खर्च फेफड़े होंगे साफ; बढ़ जाएगी इम्यूनिटी
सर्दियों में ठंड और प्रदूषण से बचने के लिए आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic Remedies) बहुत ही कारगर साबित हो सकते हैं। इन उपायों से बिना किसी खर्च के फेफड़ो ...और पढ़ें

ठंड और प्रदूषण से बचने के आयुर्वेदिक उपाय। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, पटना। प्रदेश में खासी ठंड उतर आयी है। इसके साथ ही राजधानी सहित कई जिलों में वायु प्रदूषण खतरनाक हो चला है। लोगों में छींक, खांसी, गले में खराश, कब्ज और श्वसन संबंधी दिक्कतें बढ़ रही हैं।
खासकर जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है या जिन्हें पहले से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या अन्य श्वसन संबंधी रोग हैं, उनकी परेशानी और अधिक बढ़ गई है।
राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के रोग एवं विकृति विभाग के डॉ. अमरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि सर्दियों में यदि ऋतु के अनुकूल भोजन और सही दिनचर्या अपनाई जाए तो ठंड व प्रदूषण दोनों के दुष्प्रभाव काफी हद तक कम हो सकते हैं।
तेल मालिश, सूर्यस्नान और योग प्रभावी उपाय
डॉ. अमरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इस मौसम में रोजाना सिर से पांव तक सरसों के तेल की हल्की मालिश करें। सुबह नाक में अणु तेल या सरसों तेल की 1–2 बूंदें अवश्य डालें।
आधा घंटा सुबह की धूप (सूर्यस्नान) से शरीर में ताप और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। साथ ही विशेषज्ञ की सलाह से अनुलोम-विलोम, कपालभाति या शाम्भवी का अभ्यास करें। रात को भाप (स्टीम) लेने से श्वसन तंत्र ठीक रहता है।
सर्दी में सही भोजन-सेहत की ढाल
आयुर्वेद में हेमंत और शिशिर ऋतु के लिए उष्ण (गरम), प्रवाही (तरल) और स्नेही (वसायुक्त) पदार्थों को लाभकारी बताया गया है। बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा. अरविंद कुमार चौरसिया ने बताया कि ठंड की शुरुआत में सर्दी-खांसी, बुखार होने की आशंका बढ़ जाती है।
ऐसे में पौष्टिक भोजन मजबूती देता है। आंवले का मौसम है। इसको डाइट में शामिल करना चाहिए। बच्चों को हर दिन हल्दी दूध दें। साथ ही रात में सरसों तेल में लहसुन, आजवाइन को पकाने के बाद हल्का गर्म रहने पर उसमें कपूर मिलाएं। इससे बच्चों की मालिश करें।
स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ
गुड़ युक्त कच्ची हल्दी या अदरक का हलुआ शरीर को गर्माहट देता है। तिल-सोंठ के गुड़ वाले लड्डू सीमित मात्रा में लेने से शरीर में ऊर्जा और चिकनाई बनी रहती है। आंवला विटामिन-सी और आयरन का श्रेष्ठ स्रोत है, यह इम्युनिटी बढ़ाता है। बीपी या हृदय रोगियों के लिए सहजन का सूप, हल्की सोंठ, या अदरक का सीमित उपयोग उपयुक्त रहता है।
पाचन तंत्र ठीक रहेगा तो दूर रहेंगे कई रोग
राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रभारी अधीक्षक डा. अरुण कुमार सिंह ने बताया कि ठंड में एंजाइमों की सक्रियता कम हो जाती है, शारीरिक गतिविधि घटती है और पानी कम पीने से पाचन तंत्र सबसे पहले प्रभावित होता है। इससे कब्ज, भारीपन और गैस जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं।
बताया कि इन उपायों को नियमित दिनचर्या में शामिल करके सर्दियों और प्रदूषण के संयुक्त प्रभाव से स्वयं को काफी हद तक सुरक्षित रखा जा सकता है। नियमित व्यायाम, सूर्यस्नान और संतुलित आहार इस मौसम में शरीर को ऊर्जावान रखते हैं।
पाचन सुधारने के सरल उपाय
दिनभर गुनगुना पानी लें और भोजन में हरी सब्जियां, सलाद तथा ताजे खाद्य पदार्थ शामिल करें। रात को सोने से पहले गुनगुना पानी या गाय के दूध में एक चम्मच घी लेना पाचन में सहायक है।
एक चम्मच मेथी दाना रात में भिगोकर सुबह खाने से वात-कफ संतुलित रहते हैं। कम तेल-मसाले वाला घर का ताजा भोजन, दाल में लहसुन, जीरा, हरी मिर्च का तड़का पाचन को बेहतर बनाता है।
खराश, जुकाम और प्रदूषण के दुष्प्रभावों से ऐसे पाएं राहत
- सोंठ या कच्ची हल्दी गुड़ का हलवा
- आजवाइन या सोंठ मिला गुनगुना पानी
- गले में खराश होने पर मुलेठी चूसना
- पिपरी-सोंठ-काली मिर्च का समान भागों में लिया गया पाउडर
- सामान्य टानिक के रूप में कंठकारी अवलेह, च्यवनप्राश या हल्दी वाला दूध

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