बिहार ने रचा इतिहास: 63 साल बाद 67% मतदान, पिछले 4 चुनाव में महिलाओं ने वोटिंग में पुरुषों को पछाड़ा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में 67 प्रतिशत मतदान हुआ, जो पिछले 63 सालों का रिकॉर्ड तोड़ता है। युवाओं की सक्रिय भागीदारी और जागरूकता अभियानों के चलते मतदान प्रतिशत में भारी वृद्धि हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि यह लोकतंत्र के लिए एक अच्छा संकेत है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में 67 प्रतिशत मतदान, 63 साल का टूटा रिकॉर्ड (ANI)
राज्य ब्यूरो, पटना। देश की आजादी के उपरांत बिहार विधानसभा चुनाव में 2025 में मतदाताओं ने इतिहास रच दिया। पहली बार रिकॉर्ड 67 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने मतदान किया है। पहले चरण में छह नवंबर को 65.08 प्रतिशत मतदान हुआ था। वहीं, मंगलवार को दूसरे चरण में 68.89 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। इसके साथ ही सभी 243 विधानसभा क्षेत्र में छिटपुट घटनाओं के बीच शांतिपूर्ण मतदान संपन्न हो गया है।
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) विनोद सिंह गुंजियाल ने प्रेसवार्ता में देर शाम यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि रात नौ बजे बताया कि दूसरे चरण के करीब दो हजार बूथों से अभी आंकड़े लिया जाना शेष है। देर शाम तक मिले आंकड़ों के अनुसार, दूसरे चरण वाले 20 जिले में सर्वाधिक कटिहार में 78.63, किशनगंज में 78.06 एवं पूर्णिया में 76.04 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है।
अब 14 नवंबर को भारत निर्वाचन अयोग की ओर बिहार के 46 मतगणना स्थलों पर सुबह आठ बजे मतगणना कराया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि बंपर वोटिंग पीछे एनडीए सरकार की ओर से जीविका समूह से जुड़े महिलाओं को मुख्यमंत्री रोजगार योजना के तहत हर परिवार की महिला को 10 हजार रुपये एवं लगभग दो करोड़ परिवार को प्रतिमाह 125 यूनिट बिजली मुफ्त दिया जाना है। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य कारण भी है।
मतदान कार्य में 1.80 करोड़ हजार से अधिक जीविका दीदी व महिला कार्यकर्ताओं को पर्दानशीं महिलाओं की पहचान के लिए लगाया गया था। मतदान के उपरांत हर बूथ पर उपस्थित चुनाव एजेंट को फार्म-सी दिया गया जिसमें मतदान से संबंधित सभी सूचनाएं दर्ज हैं। सभी बूथों पर लाइव वेबकास्टिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की गई।
बंपर वोटिंग के प्रमुख कारण:
भारत निर्वाचन आयोग की ओर से चलाए गए मतदाता जागरूकता अभियान के साथ ही मतदान प्रतिशत बढ़ने के पीछे वैसे तो कई कारण बताए जा रहे हैं। किंतु, इनमें 2 मुख्य हैं।
पहला व मुख्य कारण दिवाली एवं छठ में विभिन्न राज्यों में प्रवास करने वाले मतदाताओं के लिए दीवाली एवं छठ पर 13 हजार से अधिक ट्रेनें चलाने एवं आए हुए लोगों का मतदान के लिए रुकना है।
दूसरा मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) के अतिरिक्त राजनीतिक दलों की ओर मतदाताओं को दिए गए लाभ एवं घोषणा वगैरह सम्मिलित है।
1962 से अब तक के चुनाव में महिला-पुरुष की सहभागिता
| वर्ष | महिला | पुरुष | कुल |
|---|---|---|---|
| 1962 | 32.47 | 54.94 | 44.47 |
| 1967 | 41.09 | 60.82 | 51.51 |
| 1969 | 41.43 | 62.86 | 52.79 |
| 1972 | 41.3 | 63.06 | 52.79 |
| 1977 | 38.32 | 61.49 | 50.51 |
| 1980 | 46.86 | 66.57 | 57.28 |
| 1985 | 45.63 | 65.81 | 56.27 |
| 1990 | 53.25 | 69.63 | 62.04 |
| 1995 | 55.80 | 67.13 | 61.79 |
| 2000 | 53.28 | 70.71 | 62.57 |
| 2005-फरवरी | 42.52 | 49.95 | 46.50 |
| 2005-अक्टूबर | 44.49 | 47.02 | 45.85 |
| 2010 | 54.49 | 51.12 | 52.73 |
| 2015 | 60.48 | 53.32 | 56.91 |
| 2020 | 59.69 | 54.45 | 57.29 |
| 2025 | 71.6 | 62.8 | 66.91 |
यूं चढ़ा मतदान का ग्राफ
प्रथम चरण
- 9 बजे 13.13
- 11 बजे 27.65
- 01 बजे 42.31
- 03 बजे 53.77
- 05 बजे 60.18
- 07 बजे 65.08
द्वितीय चरण
- 9 बजे 14.55
- 11 बजे 31.28
- 01 बजे 47.62
- 03 बजे 60.40
- 05 बजे 67.14
- 07 बजे 68.76

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