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    Bihar Election 2025: टिकट बंटवारे के खेल ने तोड़ी कांग्रेस की एकजुटता, हर जिले में खेमेबंदी तेज

    Updated: Wed, 22 Oct 2025 01:10 PM (IST)

    बिहार कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर घमासान मचा है। कार्यकर्ताओं में असंतोष है, क्योंकि बाहरी लोगों को टिकट दिए गए और संगठन का ढांचा कमजोर है। जिलों में खेमेबंदी तेज हो गई है, जिससे केंद्रीय नेतृत्व सक्रिय हो गया है। अशोक गहलोत को बिहार भेजा गया है। आरोप है कि टिकट बंटवारे में पैसे का खेल हुआ है और वर्षों से काम करने वाले कार्यकर्ताओं की अनदेखी की गई है। बिना संगठन के चुनाव लड़ने से पार्टी संकट में है।

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    टिकट बंटवारे के खेल ने तोड़ी कांग्रेस की एकजुटता

    सुनील राज, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के बाद कांग्रेस में मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा। जिलों में असंतोष उबाल पर है। एक ओर पैराशूट उम्मीदवारों को टिकट देने को लेकर नेता-कार्यकर्ता नाराज हैं तो दूसरी ओर संगठन का ढांचा समय पर न बनाए जाने को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

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    हर जिले में प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ खेमेबंदी तेज होने लगी है। जिसके खबरें अब कांग्रेस मुख्यालय तक आने लगी है। जिसके बाद पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व सक्रिय हो गया है। इस नाराजगी को दूर करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने बिहार में कुछ नेताओं को सक्रिय भी कर दिया है। इसी कड़ी में पार्टी के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बिहार भेज भी दिया गया है।

    टिकट बंटवारा बना मुसीबत और कलह की जड़

    बिहार कांग्रेस में कलह का सबसे बड़ा मुद्दा टिकट बंटवारा है। पार्टी सूत्रों की माने तो इस पर दर्जन भर ऐसे लोगों को टिकट दिए गए जिनका कांग्रेस से दूर तक का कोई संबंध में नहीं था। जिसके बाद नाराज नेता लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि प्रदेश नेतृत्व में शामिल बड़े नेताओं ने पैराशूट उम्मीदवारों ने पैसे लेकर टिकट बांटा है। वर्षों से पार्टी के लिए दिन-रात एक करने वाले नेता-कार्यकर्ताओं से उम्मीदवारों के बारे में राय तक लेना मुनासिब नहीं समझा गया। कांग्रेस के भीतर हर जिले में अब दो या तीन खेमे सक्रिय हो गए हैं।

    प्रदेश और जिला कमेटियों का गठन न होने से भी गुस्सा

    बिहार कांग्रेस के एक वरिष्ठ नाराज नेता कहते हैं कि जिलों में नाराजगी की वजह यह भी है कि 10 वर्ष से पार्टी की न तो प्रदेश कमेटी का गठन हुआ है न ही जिला कमेटियों का। इस बात से भी लोग काफी नाराज हैं। जिलों से भी यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि जो पार्टी कमेटी तक का गठन नहीं कर सकी वह जिलों में किस बूते बाहरी उम्मीदवारों को टिकट देकर जीत की उम्मीद करती है। नेताओं का आरोप है कि चुनाव के पहले तक कार्यकर्ताओं को सिर्फ आश्वासन दिया गया, लेकिन संगठन का कोई ढांचा तैयार नहीं हुआ।

    2015 में अंतिम वर्ष गठित हुई थी प्रदेश कार्य समिति

    कांग्रेस के पुराने नेताओं से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2013 में जिस वक्त डा. अशोक चौधरी प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे एस वक्त प्रदेश कार्य समिति का गठन किया गया। जिसके बाद 2015 में उन्होंने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में दोबारा कमेटी का गठन किया। जिसका कार्यकाल 2017 में समाप्त हो गया। इसके बाद कई अध्यक्ष और प्रभारी बदले परंतु प्रदेश कार्य समिति या फिर जिला समिति का गठन नहीं किया गया। प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, बिना संगठन के चुनाव लड़ा जा रहा है। यह ऐसा है जैसे बिना इंजन के ट्रेन चलाने की कोशिश हो रही हो।

    टिकट बंटवारे में खेल, संगठन का अभाव बिगाड़ सकता है खेल

    पार्टी के एक वरिष्ठ नाराज नेता ने कहा कि कुल मिलाकर, बिहार कांग्रेस इस समय गहरे संकट में है। टिकट बंटवारे में खेल, संगठन का अभाव, और शीर्ष नेतृत्व की चुप्पी ने कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ दिया है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि सवाल यह है कि क्या पार्टी अब भी आत्ममंथन करेगी या चुनाव परिणामों के बाद एक और दौर की अंदरूनी लड़ाई के लिए तैयार रहेगी।

    यह निर्णय प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व को करना है। बहरहाल इस चुनाव कांग्रेस की नाव मंझधार में है। एक ओर महागठबंधन की आपसी खींचतान और पार्टी संगठन में नाराजगी उसके लिए मुसीबत का सबब है इससे पार कैसे पार पाया जा सकता है इसके कोई उपाय होते नहीं दिखते।