Bihar Politics: तेजस्वी से हुई इस दिग्गज नेता की मीटिंग, 24 सीटों का रखा प्रपोजल; CM Face कर दिया फाइनल
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी. राजा ने तेजस्वी यादव से मिलकर महागठबंधन में सीट बंटवारे पर चर्चा की और 24 सीटों की मांग रखी। उन्होंने तेजस्वी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बताया और मतदाता पंजीकरण में सुधार की मांग की। डी. राजा ने मुख्य न्यायाधीश पर हुए हमले की भी कड़ी निंदा की इसे न्यायपालिका की गरिमा पर हमला बताया।

राज्य ब्यूरो, पटना। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी. राजा ने मंगलवार को महागठबंधन के संयोजक तेजस्वी प्रसाद यादव से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा हुई।
डी. राजा ने भाकपा को 24 सीटों की सूची तेजस्वी यादव को सौंपते हुए कहा कि हमारी पार्टी को सम्मानजनक सीटें मिलनी चाहिए।
इस दौरान राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल, विधान पार्षद अब्दुल बारी सिद्दीकी, भाकपा के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय, राष्ट्रीय सचिव संजय कुमार और राष्ट्रीय परिषद के सदस्य अजय कुमार सिंह मौजूद थे।
डी. राजा ने बताया कि महागठबंधन में मुख्यमंत्री उम्मीदवार को लेकर कोई समस्या नहीं है। बिहार चुनाव में महागठबंधन की जीत होगी और तेजस्वी प्रसाद यादव ही मुख्यमंत्री होंगे।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा कर दी है, लेकिन मतदाता पंजीकरण प्रक्रिया को लेकर गंभीर चिंताएं बनी हुई हैं। मतदाता सूची के विशेष गहनपुनरीक्षण पर सवाल उठाए गए थे और सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही आधार और अन्य दस्तावेजों को पंजीकरण के लिए अनुमति दी गई थी। फिर भी, कई पात्र मतदाता, विशेष रूप से हाशिए पर पड़े समुदायों और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोग वंचित हैं।
उन्होंने कहा कि यह चुनाव आयोग का संवैधानिक कर्तव्य है कि वह अपने प्रयासों को तेज करे और सुनिश्चित करे कि कोई भी पात्र मतदाता छूट न जाए।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने की निंदा
डी. राजा ने सर्वोच्च न्यायालय के अंदर देश के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने की घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि यह न्यायपालिका की गरिमा पर सीधा हमला है। यह केवल एक न्यायाधीश पर हमला नहीं है, बल्कि पूरी न्यायपालिका और देश के संविधान पर हमला है।
दक्षिणपंथी द्वारा फैलाया गया सांप्रदायिक और जातिवादी जहर इस हद तक पहुंच गया है कि दलित मुख्य न्यायाधीश को खुलेआम निशाना बनाया गया। समाज में न्याय की रक्षा के लिए इस मानसिकता को उजागर कर अलग-थलग और परास्त किया जाना चाहिए।
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