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    Bihar Elections 2025: तब तो रात में ही दौड़ पड़ते थे लोग, क्‍योंक‍ि भरोसा नहीं था, किस बात की याद दिला रहे नीतीश कुमार

    By Bhuwaneshwar Vatsyayan Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Fri, 31 Oct 2025 07:55 PM (IST)

    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार चुनाव 2025 के संदर्भ में पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि पहले लोगों को भरोसा नहीं होता था। वे रात में ही दौड़ पड़ते थे क्योंकि उन्हें चुनाव प्रक्रिया पर संदेह था। नीतीश कुमार ने वर्तमान चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर जोर दिया, जिससे लोगों का विश्वास बढ़ा है।

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    मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार। जागरण आर्काइव

    राज्य ब्यूरो, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने एक्स हैंडल पर शुक्रवार को लिखा कि बिजली के क्षेत्र में बिहार को आत्मनिर्भर बनाकर हमलोगों ने ऊर्जस्वित बिहार के संकल्प को पूरा किया। आरंभ से ही उपभोक्ताओं को अनुदानित दर पर बिजली उपलब्ध करा रहे। पुराने दिनों को याद कराते हुए मुख्यमंत्री ने लिखा कि वर्ष 2005 से पहले पूरा प्रदेश अंधेरे में डूबा रहता था।

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    सीएम ने लिखा- राज्य के गांवों की बात तो दूर, राजधानी पटना में मुश्किल से लोगों को सात से आठ घंटे ही बिजली मिल पाती थी। कभी-कभी रात में बिजली आने पर सोये हुये लोग जल्दी से उठकर पानी का मोटर चलाने के लिये दौड़ पड़ते थे क्योंकि लोगों को यह भरोसा नहीं रहता था कि बिजली फिर कितने घंटे बाद आएगी। बिजली के खंभों पर जो तार थे, वह भी बेहद जर्जर अवस्था में थे। ट्रांसफार्मर जले रहते थे। राज्य के ग्रामीण इलाकों में नहीं के बराबर बिजली की आपूर्ति होती थी। ऐसे में खंभों पर बिजली की तारों को लोग कपड़े सुखाने के उपयोग में लाते थे।

    थोड़ी-बहुत बिजली की आपूर्ति होती भी थी, तो इतना कम वोल्टेज होता था कि बल्ब भी ठीक से नहीं जल पाते थे। वर्ष 2005 से पहले राज्य में बिजली की अधिकतम आपूर्ति 700 मेगावाट तक होती थी, जबकि राज्य में बिजली का उत्पादन नगण्य था। किसानों के लिए बिजली की कोई व्यवस्था नहीं थी। कृषि कार्य के लिए कोई डेडिकेटेड फीडर नहीं थे। बिजली के अभाव में उद्योग-धंधे दम तोड़ चुके थे एवं राज्य का आर्थिक विकास पूरी तरह थम गया था। वो दौर था बदइंतज़ामी का, लापरवाही का और ऐसी सरकार का, जिसने न कभी योजना बनाई, न नीयत दिखाई।

    नीतीश ने लिखा कि 15 अगस्त 2012 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पटना के गांधी मैदान में मैंने कहा था कि ‘हम बिजली की स्थिति सुधारेंगे। अगर बिजली की स्थिति में हम सुधार नहीं लायेंगे तो 2015 के चुनाव में मैं वोट मांगने लोगों के बीच नहीं आऊंगा’। इसके लिए 31 अक्टूबर 2012 को तत्कालीन बिहार राज्य विद्युत बोर्ड को समाप्त कर 5 विद्युत कंपनियां बनायीं गयीं तथा बिजली के क्षेत्र में संरचनात्मक सुधार किये गये। हमारी सरकार ने वर्ष 2015 में ‘हर घर बिजली‘ निश्चय की शुरुआत की, जिसके तहत निर्धारित समय के दो माह पूर्व ही अक्टूबर 2018 में सभी इच्छुक घरों को विद्युत कनेक्शन दे दिया गया। इस काम को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर आधारभूत संरचनाओं का निर्माण किया गया।

    बड़ी संख्या में नये ग्रिड उपकेंद्र तथा नये विद्युत शक्ति उपकेंद्रों की स्थापना की गयी। साथ ही नये ट्रांसफार्मर एवं तार लगाये गये। नीतीश ने कहा कि किसानों के खेत तक सस्ती बिजली पहुंचाने के लिए डेडीकेटेड कृषि फीडर का निर्माण कराया गया है। किसानों को अनुदानित दर पर मात्र 55 पैसे प्रति यूनिट की दर से सस्ती बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है तथा कृषि के लिए निःशुल्क विद्युत कनेक्शन दिये गये हैं। इसके लिए हमारी सरकार ने वर्ष 2024-25 में 4 हजार 395 करोड़ रूपये का अनुदान दिया है।

    अब राज्य में बिजली की अधिकतम आपूर्ति 700 मेगावाट से बढ़कर 8 हजार मेगावाट से भी ज्यादा हो गयी है तथा बिजली उत्पादन क्षमता 540 मेगावाट से बढ़कर 8 हजार 850 मेगावाट से भी अधिक हो गयी है। प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत 5 गुणा से भी ज्यादा बढ़कर 363 यूनिट हो गयी है तथा विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या 12 गुणा से भी ज्यादा बढ़कर करीब सवा दो करोड़ हो गयी है। राज्य में फिलहाल ग्रिड उपकेंद्रों की संख्या चार गुणा बढ़कर 172 हो गयी है, जबकि विद्युत शक्ति उपकेंद्रों की संख्या तीन गुणा बढ़कर 1 हजार 260 हो गयी है।

    बिजली वितरण ट्रांसफार्मर की संख्या 10 गुणा बढ़कर 3 लाख 50 हजार हो गया है। विद्युत संचरण लाइन की कुल लंबाई तीन गुणा बढ़कर 20 हजार किलोमीटर से भी अधिक हो गयी है, जबकि 33 केवी वितरण लाइन की लंबाई तीन गुणा बढ़कर 19 हजार किलोमीटर हो गयी है।
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