Bihar Chunav: महागठबंधन में नहीं थमा घमासान, नामांकन का अंतिम दिन आज
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन में सीटों का बंटवारा अभी तक नहीं हो पाया है। राजद, कांग्रेस और वीआईपी के बीच खींचतान जारी है, जिससे गठबंधन की एकता पर सवाल उठ रहे हैं। कई सीटों पर सहयोगी दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे हैं। टिकट बंटवारे को लेकर भी विवाद सामने आए हैं, जिससे महागठबंधन में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

बिहार विधानसभा चुनाव। सांकेतिक तस्वीर
सुनील राज, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण के नामांकन का आज (सोमवार को) अंतिम दिन है। लेकिन महीनों चले बैठकों के दौर और आपसी तालमेल के दावे सीट बंटवारे में तार-तार हो गए। महागठबंधन के प्रमुख सहयोगी राजद, कांग्रेस और वीआइपी के बीच सीटों को लेकर चली खींचतान ने गठबंधन की एकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आलम कुछ ऐसा रहा की गठबंधन आधिकारिक रूप से सीटों का एलान तक नहीं कर सका। यहीं नहीं दलों में संवादहीनता भी ऐसी बढ़ी कि सहयोगी दल एक-दूसरे के खिलाफ ही लड़ाई लडऩे तक पर आ गए हैं।
अब तक जारी उम्मीदवारों की सूची भी आधी अधूरी
विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के पहले तक चट्टानी एकता का दावा करने वाले राजद-कांग्रेस-वीआइपी आज तक उम्मीदवारों की पूरी सूची तक नहीं जारी कर सके। कौन सी दल कितनी सीटों पर लड़ेगा यह आज तक स्पष्ट नहीं हो पाया। राजद ने अब तक करीब 60 उम्मीदवारों की सूची ही जारी की है। कांग्रेस ने दूसरे चरण के नामांकन के पहले तक 54 उम्मीदवारों और विकासशील इंसान पार्टी ने नौ प्रत्याशियों के नाम जारी किए। यह आंकड़ा लड़ी जाने वाली कुल सीटों से काफी कम है। अलबत्ता वाम दलों ने 30 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर इस मामले में बाजी जरूर मार ली।
एक सीट पर दो-दो सहयोगियों की दावेदारी से मुश्किल
महागठबंधन में सीटों का मामला उलझना समस्या तो है ही कुछ सीटें ऐसी भी जहां सहयोगी दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ ही उम्मीदवार देकर परेशानी को और बढ़ा दिया है। लालगंज, वैशाली, राजापाकड़, बछवाड़ा, रोसड़ा, बिहारशरीफ, गौड़ाबौराम और कुटुंबा जैसी सीटें इसका बेहतर नमूना हैं। इन सीटों पर कहीं राजद-कांग्रेस आमने-सामने है तो कई वीआइपी-राजद तो कहीं कांग्रेस और वाम दल। सीटों की इस खींचतान को लेकर लोगों के बीच चर्चा आम हो चली है कि यह सिर्फ सीटों की लड़ाई नहीं है, बल्कि वर्चस्व की जंग है। महागठबंधन ने जमीन पर एकजुटता की बजाय भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगर यही स्थिति बनी रही, तो इस बार महागठबंधन का सबसे बड़ा विरोधी कोई बाहरी दल नहीं, बल्कि उसकी अपनी अंदरूनी राजनीति साबित होने जा रही है।
जिद ने गिराई महागठबंधन की एक दीवार
सीटों की जिद ही वह बड़ी वजह है जिसकी वजह से महागठबंधन की एक मजबूत दीवार ढह गई। महागठबंधन में इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) का शामिल होना करीब-करीब तय था। लेकिन, अंतिम समय तक सीट बंटवारे का मामला उलझा ही रहा। अंतत जेएमएम ने राजद पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए बिहार की छह विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तक की घोषणा कर दी। जिन सीटों पर जेएमएम ने उम्मीदवार देने का फैसला किया है वे हैं धमदाहा, चकाई, कटोरिया, जमुई, मनिहारी और पीरपैंती। जिसके बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि हेमंत सरकार में राजद कोटे के मंत्री पर भी यह आंच आएगी या या फिर मामला सिर्फ बिहार तक की सीमित रहेगा। नतीजे जो भी हो, लेकिन यह साफ है कि सीटों की जिद ने एक दीवार जरूर गिरा दी है।
एक पक्षीय घोषणा ने पार्टी नेताओं को उकसाया
इस विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की एकता सवालों के घेरे में आई ही साथ ही टिकटार्थियों ने पार्टियों की कलई खोलने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। इसी क्रम में राजद महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष रितु जायसवाल ने आजिज आकर परिहार से निर्दलीय चुनाव लडऩे का एलान कर दिया। पहले उन्हें टिकट दिए जाने की बात थी। दूसरी ओर कांग्रेस के कस्बा के विधायक अफाक आलम ने प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावारू, अध्यक्ष राजेश राम और विधानमंडल दल के नेता शकील अहमद पर टिकट के बदले पैसों के लेनदेन के आरोप तक लगा दिए। यही नहीं राजद नेता मदन शाह ने टिकट न मिलने पर लालू प्रसाद यादव के सर्कुलर रोड आवास के बाहर प्रदर्शन किया। अपना कुर्ता फाड़कर जमीन पर लेटकर रोते हुए उन्होंने आरोप लगाए कि लालू और तेजस्वी ने टिकट बेच दिया है।
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