बिहार विधानसभा चुनाव में एक-एक वोट अहम, ये पार्टियां नजदीकी मुकाबले में खा चुकी हैं गच्चा
बिहार विधानसभा चुनाव में जीत आसान नहीं है, जहाँ छोटे दलों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। पिछले चुनाव में चिराग पासवान के अलग होने से जदयू को नुकसान हुआ था। एनडीए और महागठबंधन के बीच वोटों का मामूली अंतर सत्ता का फैसला करता है। कई सीटों पर जीत-हार का अंतर बहुत कम रहा, जिससे पता चलता है कि हर वोट कितना कीमती है। कुछ सीटों पर तो परिणाम 500 वोटों से भी कम अंतर से तय हुआ।

कुमार रजत/ व्यास चंद्र, पटना। बिहार के चुनावी महासमर में जीत इतना आसान नहीं। दो बड़े गठबंधनों के मुख्य मुकाबले और तीसरे मोर्चे की सेंधमारी के बीच मात्र कुछ वोटों से जीत-हार तय होती है। यही कारण है कि जाति आधारित छोटे दलों की भूमिका गठबंधन में बड़ी हो जाती है।
छोटे दल भले ही अकेले चुनाव लड़करधिक सीटें न जीत सकें, मगर अपने आधार वोट के जरिए किसी भी बड़े गठबंधन को नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखते हैं। पिछली बार का विधानसभा चुनाव इसका गवाह है, जब चिराग पासवान ने एनडीए से अलग हटकर अपने अधिसंख्य प्रत्याशी जदयू के विरुद्ध उतार दिए।
लोजपा को तो मात्र एक सीट मिली, मगर जदयू की जीती सीटें 71 से घटकर 43 हो गई थीं। पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच मात्र 12 हजार वोटों के अंतर से सत्ता का निर्णय हुआ था।
यही कारण है कि इस बार दोनों ही गठबंधन अपने किसी सहयोगी घटक दल को छोड़ने का खतरा नहीं लेना चाहते। क्या पता, किस दल के चंद हजार वोट सत्ता से बेदखल कर दें। पिछली बार जो नजारा सामने आया, वह लोकतंत्र की असली शक्ति को भी दर्शाता है।
राज्य की जनता ने बताया कि एक-एक वोट किस कदर मूल्यवान है। चुनावी मैदान में ऐसा रोमांच देखने को मिला कि जीत-हार का अंतर कई सीटों पर हजार से भी कम रहा। पूरे राज्य में कांटे की टक्कर का माहौल था और यही कारण रहा कि परिणाम आने में समय भी ज्यादा लगा।
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, एनडीए को 37.26 प्रतिशत, जबकि महागठबंधन को 37.23 प्रतिशत वोट मिले। मतों का यह अंतर मात्र 0.03 प्रतिशत का था, यानी हर 10,000 वोट पर मात्र तीन वोटों का अंतर!
नजदीकी मुकाबले वाली आधी से अधिक सीटें राजद-जदयू की
पिछली बार 52 सीटें ऐसी थीं, जहां जीत-हार का अंतर पांच हजार वोटों से भी कम था। उनमें 28 सीटें ऐसी थीं, जहां राजद या जदयू को जीत मिली। इन नजदीकी मुकाबले में सर्वाधिक 15 सीटें राजद और 13 सीटें जदयू ने जीतीं। कांग्रेस और भाजपा के खाते में नौ-नौ सीटें आईं।
विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम), लोजपा, भाकपा, भाकपा-माले और निर्दलीय ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज की। अगर हम और महीन विश्लेषण करें तो कांटे का मुकाबला इस कदर था कि मात्र 500 वोटों से सात सीटों पर जीत-हार तय हुई।
हिलसा में तो मात्र 12 वोट से जदयू ने बाजी मारी। इसके अलावा बरबीघा में 113, रामगढ़ में 189, मटिहानी में 333, भोरे में 462, डेहरी में 464 और बछवाड़ा में 484 वोट से जीत-हार तय हुई थी।
एक हजार से कम मतों में जीत-हार का फैसला
क्षेत्र | विजेता | उपविजेता | अंतर |
---|---|---|---|
हिलसा | जदयू (61,848) | राजद (61,836) | 12 |
बरबीघा | जदयू (39,878) | कांग्रेस (39,765) | 113 |
रामगढ़ | राजद (58,083) | बसपा (57,894) | 189 |
मटिहानी | लोजपा (61,364) | जदयू (61,031) | 432 |
भोरे | जदयू (74,067) | माले (73,605) | 462 |
डेहरी | राजद (64,567) | भाजपा (64,103) | 464 |
बछवाड़ा | भाजपा (54,738) | भाकपा (54,254) | 484 |
चकाई | निर्दलीय (45,548) | राजद (44,967) | 581 |
बखरी | भाकपा (72,177) | भाजपा (71,400) | 777 |
कुढ़नी | राजद (78,549) | भाजपा (77,837) | 712 |
परबत्ता | जदयू (77,226) | राजद (76,275) | 951 |
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