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    Bihar Chunav Election Duty: चुनाव ने रोकी मरीजों की रफ्तार, बसों की कमी से अस्पतालों में सन्नाटा

    By PAWAN KUMAR MISHRAEdited By: Radha Krishna
    Updated: Wed, 05 Nov 2025 08:59 AM (IST)

    पटना में चुनावी ड्यूटी के कारण बसों की कमी से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं। सरकारी अस्पतालों के ओपीडी में मरीजों की संख्या में भारी गिरावट आई है। पीएमसीएच, आईजीआईएमएस और अन्य अस्पतालों में मरीजों की संख्या सामान्य दिनों की तुलना में काफी कम हो गई है। दूर-दराज के जिलों से आने वाले मरीजों को निजी वाहनों या ट्रेनों का सहारा लेना पड़ रहा है, जिससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है।

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    गाड़ी नहीं मिलने से मरीज परेशान

    जागरण संवाददाता, पटना। चुनावी ड्यूटी में बसों की तैनाती का असर अब स्वास्थ्य सेवाओं पर भी दिखने लगा है। पटना जिले की रोडवेज और प्राइवेट बसों को चुनाव कार्य में लगा दिए जाने के कारण शहर के प्रमुख सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या में भारी गिरावट आई है।

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    आंकड़े बताते हैं कि ओपीडी में सामान्य दिनों के मुकाबले आधे से भी कम मरीज पहुंचे हैं। पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में सुबह 9:30 से शाम 2:00 बजे तक केवल 1,081 मरीजों ने उपचार कराया, जबकि सामान्य दिनों में यह संख्या 2,500 से 2,700 तक रहती है।

    इसी तरह आइजीआइएमएस में जहां रोजाना 6,500 से 7,000 मरीज आते थे, वहीं मंगलवार को केवल 4,100 मरीज ही पहुंचे।

    न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल में सिर्फ 427 मरीज उपचार के लिए आए, जबकि आम दिनों में यहां एक हजार तक मरीज पहुंचते हैं। वहीं, एलएनजेपी अस्पताल में भी मरीजों की संख्या घटकर 598 रह गई, जबकि सामान्य दिनों में 1,100 मरीज इलाज कराने आते हैं।

    बसों की अनुपलब्धता से वैशाली, बिहारशरीफ, शेखपुरा, नवादा, आरा, हाजीपुर, गया, जहानाबाद और रोहतास जैसे पटना से सटे जिलों के मरीज सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।

    इन जिलों से आने वाले कई मरीज या तो निजी वाहनों से पटना पहुंचे या ट्रेनों का सहारा लिया। मुजफ्फरपुर से आए मरीज संजय कुमार के भाई रवि राज ने बताया कि पटना जाने वाली सभी बसें चुनाव में लगी हैं।

    मजबूरी में हमें निजी वाहन से आना पड़ा। डॉक्टर ने 15 दिन बाद का समय दिया था, इसलिए किसी भी तरह समय पर आना जरूरी था।

    जिलों के बस स्टैंडों पर यात्रियों की भारी भीड़ देखी गई। कई मरीजों और उनके परिजनों को बसों के इंतजार में तीन से चार घंटे तक खड़ा रहना पड़ा।

    जो बसें चल भी रही थीं, उनमें भीड़ इतनी थी कि पैर रखने तक की जगह नहीं थी। कई मरीज सुबह-सुबह बस स्टैंड पहुंच गए, लेकिन उन्हें पटना आने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा।