Bihar Chunav: सत्ता तक पहुंचने के लिए तीन हजार घंटे हवा में रहे नेता, यहां समझें पूरा गणित
बिहार चुनाव में सत्ता पाने के लिए नेताओं ने लगभग 3000 घंटे हवाई यात्रा की। उन्होंने हेलीकॉप्टर और विमानों का इस्तेमाल करके राज्य के हर कोने में रैलियां कीं और मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश की। राजनीतिक दलों ने हवाई यात्रा पर करोड़ों रुपये खर्च किए, जिससे उन्हें कम समय में ज्यादा लोगों तक पहुंचने में मदद मिली।

चुनाव प्रचार के लिए हेलीकॉप्टर से नेताओं ने खूब भड़ी उड़ान।
विद्या सागर, पटना। Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के प्रचार का शोर रविवार शाम पांच बजे थम गया।
इसके साथ ही पिछले 24 दिनों से लगातार उड़ान भर रहे राजनीतिक दलों के उड़नखटोले यानी हेलीकाप्टरों की उड़ान भी थम गई।
पटना एयरपोर्ट का आसमान, जो अब तक नेताओं के हेलीकाप्टरों की गड़गड़ाहट से गूंज रहा था, वहां अब केवल हवाई जहाज की आवाज ही सुनाई दे रही है।
राजनीतिक दलों ने सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने के लिए इस बार प्रचार में आसमान को भी रणक्षेत्र बना दिया था।
आंकड़ों के मुताबिक, एनडीए और महागठबंधन समेत अन्य दलों ने कुल मिलाकर 72 करोड़ रुपये से अधिक खर्च उड़न खटोले पर कर दिए। पटना एयरपोर्ट से 16 अक्टूबर के बाद से हेलीकाप्टरों की गतिविधि में भारी बढ़ोतरी हुई थी।
हर दिन औसतन 25 हेलीकाप्टरों ने भरी उड़ान
चुनावी प्रचार के दौरान प्रतिदिन औसतन 25 हेलीकाप्टर पटना एयरपोर्ट से उड़ान भरते रहे। जमीन पर जनसभाओं की गूंज थी, तो आसमान में नेताओं के दौरे का शोर।
10 अक्टूबर से ही उड़ानें शुरू हो गई थीं, लेकिन 16 अक्टूबर के बाद संख्या कई गुना बढ़ी। ग्लोबल फ्लाइट एविएशन सर्विसेज जो पटना एयरपोर्ट पर हेलीकाप्टर और चौपर की ग्राउंड हैंडलिंग का कार्य देखती है, के अनुसार, अब तक 600 से अधिक हेलीकाप्टर और करीब चार्टर्ड प्लेन यहां से उड़ान भर चुके हैं।
लैंडिंग और डिपार्चर दोनों मिलाकर यह आंकड़ा 1200 हेलीकाप्टर मूवमेंट और 80 चार्टर्ड एयरक्राफ्ट मूवमेंट को पार कर गया।
हेलीकाप्टर संचालन में भी खर्च किसी जमीनी रैली से कम नहीं रही। एक हेलीकाप्टर पर प्रतिदिन जीएसटी समेत लगभग 12 लाख रुपये खर्च हुए।
औसतन प्रत्येक हेलीकाप्टर ने प्रतिदिन 4 से 5 घंटे की उड़ान भरी। कुल मिलाकर यह तीन हजार घंटे से अधिक की हवाई उड़ानें रहीं।
चुनाव प्रचार में दिखी ताकत और रणनीति
इस हवाई प्रचार ने न सिर्फ नेताओं की व्यस्तता और संसाधनों का प्रदर्शन किया, बल्कि यह भी दिखाया कि बिहार की सियासत अब जमीन से आसमान तक फैल चुकी है।
नेताओं ने हर विधानसभा क्षेत्र में पहुंचने के लिए हेलीकाप्टरों का अधिकतम उपयोग किया, ताकि सीमित समय में अधिक से अधिक मतदाताओं तक पहुंचा जा सके।
अब जब प्रचार थम गया है, तो पटना का आसमान भी सुकून में है पर आने वाले नतीजे यह जरूर बताएंगे कि इन करोड़ों की हवाई उड़ानों ने किसे राजनीतिक ऊंचाई दी।

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