Bihar Assembly Election: 2005 के बाद बदली बिहार चुनाव की तस्वीर, इस मामले में नारी पुरुषों पर भारी
बिहार में पिछले तीन विधानसभा चुनावों से मतदान केंद्रों पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। 2010 के बाद से पुरुषों की तुलना में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 5-7% अधिक रहा है। 1990 में महिला मतदाताओं ने 50% का आंकड़ा पार किया। 2005 के बाद पंचायत चुनावों में 50% आरक्षण और महिला शिक्षा में वृद्धि जैसे कारकों ने इस बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

जयशंकर बिहारी, पटना। पिछले तीन विधानसभा चुनावों से महिलाएं मतदान केंद्रों पर ज्यादा उमड़ रही हैं। 2010 से पहले मतदान में पुरुषों की भागीदारी अधिक होती थी। अब स्थिति बदल गई है।
पुरुषों की तुलना में आधी आबादी पांच से सात प्रतिशत अधिक मतदान कर रही हैं। महिला मतदाताओं ने 50 प्रतिशत का आंकड़ा 1990 में प्राप्त किया।
संपूर्ण क्रांति व आपातकाल के बाद सत्ता बदलने को 1977 के चुनाव में मतदान प्रतिशत काफी बढ़ा, परंतु महिलाओं की भागीदारी काफी कम रही।
71.27 प्रतिशत पुरुषों ने, जबकि महिलाओं का मतदान केवल 38.32 प्रतिशत रहा। पहले और दूसरे विधानसभा चुनाव में महिला और पुरुष मतदाताओं की भागीदारी का प्रतिशत उपलब्ध नहीं है।
1962 में सबसे कम 32.47 प्रतिशत महिलाओं ने ही वोट डाला। 2005 में फरवरी में किसी दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने पर अक्टूबर में दोबारा चुनाव कराए गए। इसमें महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों के लगभग बराबर रहा।
अब तक कैसा रहा मतदान प्रतिशत
वर्ष | पुरुष | महिला | कुल |
---|---|---|---|
1951 | - | - | 30.51 |
1957 | - | - | 41.32 |
1962 | 54.94 | 32.47 | 44.47 |
1967 | 60.82 | 41.09 | 51.51 |
1969 | 62.86 | 41.43 | 52.79 |
1972 | 63.06 | 41.30 | 52.79 |
1977 | 71.27 | 38.32 | 50.51 |
1980 | 66.57 | 46.86 | 57.28 |
1985 | 65.81 | 45.63 | 56.27 |
1990 | 69.63 | 53.25 | 62.04 |
1995 | 67.13 | 55.80 | 61.79 |
2000 | 70.71 | 53.28 | 62.57 |
2005 | 49.94 | 42.51 | 46.19 |
2005 | 47.92 | 44.62 | 45.91 |
2010 | 51.11 | 54.44 | 52.65 |
2015 | 53.32 | 60.48 | 56.66 |
2020 | 54.45 | 59.69 | 56.93 |
पांच का दिख रहा दम
डेवलपमेंट मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (डीएमआइ), के डीन एकेडमिक प्रो. शंकर पूर्वे का कहना है कि इस बदलाव के पीछे पांच कारक प्रमुख हैं। 2005 के बाद पंचायत चुनाव में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया।
इससे बड़ी आबादी चुनाव प्रक्रिया में प्रत्यक्ष रूप से शामिल हुईं। महिला शिक्षा और महिलाओं के निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि भी प्रमुख कारक है। कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहतर हुई।
जीविका जैसी योजना ने उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया। आर्थिक उन्नति ने भी उन्हें बूथ तक लाने में महती भूमिका निभाई।
आवागमन के लिए किराया तय
विधानसभा चुनाव के लिए परिवहन विभाग ने वाहनों का किराया तय कर दिया है। श्रेणी के हिसाब से वाहनों का अलग-अलग किराया निर्धारित किया गया है। इंधन अलग से निर्वाचन विभाग उपलब्ध कराएगा। प्रतिदिन के हिसाब से किराया मिलेगा।
वाहन प्रकार | किराया (रुपये में) |
---|---|
बड़ी बस (50 से अधिक सीट) | 3500 |
बस (40-49 सीटर) | 3200 |
मिनी बस | 2500 |
मैक्सी, सीटी राइड, विंगर, टेंपो | 2000 |
छोटी कार | 1000 |
छोटी कार (एसी) | 1100 |
ट्रेकर, जीप, कमांडर, जिप्सी एवं समकक्षीय वाहन | 1000 |
सुमो/मार्शल (सामान्य) | 1200 |
जाइलो, बोलेरो, सुमो व मार्शल (एसी) | 1500 |
स्कॉर्पियो, क्वालिस, टैवेरा (एसी) | 1900 |
इनोवा/सफारी (एसी) | 2100 |
विक्रम, मैजिक, एसमैजिक, मिनीडोर, ओमनी, फोर्स, मेटाडोर एवं समकक्षीय वाहन | 900 |
आटो व ई रिक्शा | 700 |
बाइक | 350 |
सीएनजी बस (40-49 सीटर) | 3200 |
सीएनजी बस (23-39 सीटर) | 2500 |
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