धान खरीद के बाद अब गेहूं क्रय केंद्र खोलेगी बिहार सरकार, समर्थन मूल्य और बाजार भाव में कितना अंतर
Wheat Procurement in Bihar बिहार में सरकार अब किसानों से न्यूनतम समर्थल मूल्य पर गेहूं खरीदने की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए सहकारिता विभाग की ओर से क्रय केंद्र बनाए जाएंगे। गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण हो गया है।

पटना, जागरण टीम। बिहार में सरकारी क्रय केंद्रों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद की प्रक्रिया अब बंद हो चुकी है। अब सहकारिता विभाग गेहूं की खरीद की तैयारियों में जुट गया है। हालांकि गेहूं के सरकारी समर्थन मूल्य और बाजार भाव में बहुत अधिक का अंतर नहीं है। इस वजह से किसान भी क्रय केंद्र पर गेहूं बेचने के लिए अधिक परेशान नहीं रहेंगे। इस रबी सीजन में सहकारी समितियों की ओर से गेहूं की खरीद 2015 रुपए प्रति क्विंटल की दर से होगी। खाद्य व आपूर्ति विभाग ने नई दर की जानकारी किसानों को देने के लिए अधिकारियों को निर्देश जारी किया है। पिछले साल 1925 रुपये की दर से गेहूं की खरीद की गई थी। पिछले सीजन में 28 हजार मीट्रिक टन का लक्ष्य प्राप्त किया गया था ।
बाजार भाव दो हजार रुपए प्रति क्विंटल
गेहूं का बाजार भाव इन दिनों 1950 से 2000 रुपए प्रति क्विंटल है। ऐसे में सहकारी समितियों को गेहूं खरीद का दबाव नहीं होगा। किसानों को भी सहकारी समितियों में गेहूं बेचने की विवशता नहीं होगी। हां, यदि बाजार भाव गिरने पर सहकारी समितियों में गेहूं बेचने में किसानों को फायदा होगा। जिला सहकारिता पदाधिकारी सत्येंद्र कुमार प्रसाद ने बताया कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
बिक्रम में खाद की कमी से किसानों में आक्रोश
पटना जिले के बिक्रम प्रखंड क्षेत्र में गेहूं की फसल को अंतिम समय में यूरिया खाद की जरूरत है, लेकिन बाजार में इसकी आपूर्ति नहीं हो पाने से संकट गहराने लगा है। किसान खाद की दुकानों पर घंटों कतार में लग रहे हैं और बिना खाद लिए वे वापस लौट रहे हैं। स्थानीय किसानों की मानें तो जितनी खाद की जरूरत है, उतनी खाद बाजार में नहीं है। ऐसी परिस्थिति में किसानों को अतिरिक्त रकम देकर खाद लेने की मजबूरी है। किसानों ने बताया कि यूरिया की सरकारी कीमत 265 रुपये तय की गई है, लेकिन बाजार में उन्हें इसके लिए 300 से 400 रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। दुकानदारों ने बताया कि खाद का उठाव करने में ही उन्हें अतिरिक्त राशि देनी पड़ती है। इस परिस्थिति में किसानों से अधिक रकम लेने पर हंगामा शुरू हो जाती है।
प्रखंड के बघाकोल गांव के किसान रामजीत ङ्क्षसह ने बताया कि उन्होंने सात एकड़ में गेहूं लगाया है। अंतिम क्षण में खाद नहीं मिलने से फसल को नुकसान हो सकता है। गांव के सनद कुमार ने भी यही बात कही। गोरखरी के अरुण ङ्क्षसह ने भी खाद की आपूर्ति नहीं होने से रोष प्रकट किया। रामदरश शर्मा ने बताया कि घंटों प्रतीक्षा के बाद उन्हें एक बोरा खाद मिल पाया है।
नवल सिंह ने बताया कि पूरे दिन लाइन में लगने पर भी उन्हें खाद नहीं मिला। ऐसी ही शिकायत दतियाना के बाल मुकुंद शर्मा, खोरैठा के तेजनारायण शर्मा ने की है। वहीं खाद की किल्लत से आक्रोशित किसानों ने आंदोलन की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि चार-पांच दिन ही खाद को डालने का समय है। बाद में डालने का कोई मतलब नहीं बनता। लोगों ने खाद की पूरी आपूर्ति की मांग की है।

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