एक्शन में बिहार सरकार, हेराफेरी करने वाले 53 उर्वरक विक्रेताओं पर FIR और 255 प्रतिष्ठानों का लाइसेंस रद
बिहार सरकार खरीफ 2025 में किसानों को पर्याप्त उर्वरक मुहैया कराने के लिए तत्पर है। कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने उर्वरक की उपलब्धता की समीक्षा की और बताया कि राज्य में खाद की कोई कमी नहीं है। कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं जिसके तहत कई उर्वरक प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई की गई है।

राज्य ब्यूरो, पटना। सरकार किसानों को शारदीय (खरीफ) 2025 मौसम में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध कराने की पैनी निगरानी करा रही है।
भारत सरकार की ओर से अभी तक 10.32 लाख टन यूरिया, 2.20 लाख टन डीएपी, 2.50 लाख टन एनपीके, 0.50 लाख टन एमओपी एवं 0.75 लाख टन एसएसपी की आवश्यकता का निर्धारण किया गया है।
उप मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने शुक्रवार को प्रदेश में उर्वरक की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी जिले में उर्वरक की कमी नहीं है।
12 सितंबर तक राज्य में 1.26 लाख टन यूरिया, 1.60 लाख टन डीएपी, 1.94 लाख टन एनपीके, 0.61 लाख टन एमओपी एवं 0.96 लाख टन एसएसपी का पर्याप्त स्टाक उपलब्ध है। किसानों की आवश्यकता के अनुसार इन उर्वरकों का वितरण सुनिश्चित करने के लिए विभाग निरंतर निगरानी रख रहा है।
कालाबाजारी रोकने को उठाए गए कदम
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि उर्वरक की कालाबाजारी एवं अधिक मूल्य वसूली पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। शारदीय (खरीफ) 2025 सीजन के दौरान अब तक 53 उर्वरक प्रतिष्ठानों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है।
जबकि 255 प्रतिष्ठानों का उर्वरक लाइसेंस रद किया गया है। यह कार्रवाई सरकार की पारदर्शिता और किसानों के हितों की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
उन्होंने सभी जिला कृषि पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि जिला स्तरीय एवं प्रखंड स्तरीय उर्वरक निगरानी समितियों की बैठकें नियमित रूप से आयोजित की जाएं। प्रखंडवार उर्वरक का उप-आवंटन आच्छादन एवं स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार किया जाए।
साथ ही उर्वरक प्रतिष्ठानों में पास मशीन पर प्रदर्शित मात्रा एवं वास्तविक भौतिक उपलब्धता का सत्यापन किया जाए। किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे जिलों में छापेमारी अभियान तेज कर दिया है। इसके लिए सशस्त्र सीमा बल के साथ समन्वय स्थापित किया गया है ताकि उर्वरक की तस्करी पर प्रभावी रोक लगाई जा सके।
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