बिहार में अवैध शराब तस्करी के नेटवर्क पर ED का शिकंजा, कई ठिकानों पर छापेमारी
बिहार में शराबबंदी के बावजूद अवैध शराब कारोबार जारी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुजफ्फरपुर समेत कई शहरों में छापेमारी की। यह कार्रवाई शराब तस्करी के सरगना सुनील भारद्वाज और उसके करीबियों पर केंद्रित थी। ईडी को अहम दस्तावेज़ और वित्तीय लेन-देन के सबूत मिले हैं जिनसे नेटवर्क के फैलाव का पता चल सकता है। जांच एजेंसियां इस रैकेट के तारों की पड़ताल कर रही हैं।

राज्य ब्यूरो, जागरण। बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद शराब का बड़ा अवैध कारोबार चोरी-छिपे फैला हुआ है। विभिन्न जांच एजेंसियां समय-समय पर इसके खिलाफ अपनी कार्रवाई करती रही हैं। इसी कड़ी में बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बार फिर अवैध शराब तस्करी के नेटवर्क पर बड़ी कार्रवाई की है।
ईडी की विभिन्न टीमों ने बुधवार को मुजफ्फरपुर, हरियाणा के गुरुग्राम, अरुणाचल प्रदेश के नाहरलागुन और नामसाई तथा झारखंड की राजधानी रांची में एक साथ सात जगहों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई अवैध शराब तस्करी के मुख्य सरगना सुनील भारद्वाज और उसके करीबियों पर केंद्रित है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यह छापेमारी उसी मामले की कड़ी है जिसमें ईडी पहले ही जाँच कर चुकी है और लगभग 9.31 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की जा चुकी है।
सूत्रों के अनुसार, सुनील भारद्वाज पर बिहार में शराबबंदी कानून के बावजूद राज्य के भीतर और बाहर शराब की अवैध तस्करी का एक संगठित नेटवर्क स्थापित करने का आरोप है।
इस नेटवर्क के ज़रिए न सिर्फ़ शराब की खेप शराबबंदी वाले राज्य बिहार में लाई जाती थी, बल्कि फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों और गुप्त रास्तों का इस्तेमाल करके लाखों रुपये का काला धन भी इकट्ठा किया जाता था।
जानकारी के अनुसार, आज की छापेमारी में ईडी को कई अहम दस्तावेज़, डिजिटल डेटा और वित्तीय लेन-देन के सबूत मिले हैं, जो इस नेटवर्क के दायरे और पैमाने को उजागर कर सकते हैं। जाँच एजेंसी को शक है कि इस रैकेट के तार न सिर्फ़ बिहार के बाहर के राज्यों से जुड़े हैं, बल्कि इसमें कुछ रसूखदार लोग भी शामिल हो सकते हैं।
बिहार में लगभग 10 साल से पूर्ण शराबबंदी कानून लागू होने के बाद भी अवैध शराब का धंधा पूरी तरह से बंद नहीं हो पाया है। आए दिन पुलिस और दूसरी एजेंसियाँ तस्करी के मामलों में गिरफ्तारियां और बरामदगी करती रहती हैं, लेकिन सुनील भारद्वाज जैसे नेटवर्क राज्य की कानून-व्यवस्था और सरकारी मशीनरी के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं।
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