मशरूम की खेती में बिहार की बादशाहत, ओडिशा को छोड़ा पीछे
बिहार मशरूम उत्पादन में अग्रणी राज्य बन गया है, जिसका भारत के कुल उत्पादन में 11% का योगदान है। मशरूम रिसर्च निदेशालय, सोलन के अनुसार, बिहार ने अन्य र ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, पटना। सुपर फूड मशरूम की खेती में दुनिया में भले ही चीन की बाहशाहत हो, भारत में तो इसके बाजार में बिहार का राज है। भारत में हो रहे कुल मशरूम के उत्पादन में बिहार का योगदान 11 पर पहुंच गया है।
मशरूम रिसर्च निदेशालय, सोलन की रिपोर्टों के अनुसार, बिहार भारत में मशरूम उत्पादन में नंबर एक पर बना हुआ है। बिहार ने को पीछे छोडकर यह स्थान हासिल किया है। वर्ष 2010 में बिहार में 400 टन बटन मशरूम एवं 80 टन ओयस्टर मशरूम का उत्पादन होता था। यह बढकर आज 41,0310 टन हो गया है।
मशरूम की बढती वैश्विक और घरेलू मांग को देखते हुए बिहार सरकार इसकी खेती के लिए सब्सिडी और वित्तीय सहायता दे रही है। एक अनुमान के मुताबिक वैश्विक स्तर पर 2025 तक मशरूम बाजार में $75 बिलियन तक की वृद्धि का अनुमान है।बढ़ती उपभोक्ता मांग और टिकाऊ खेती के तरीकों के कारण मशरूम की खेती एक लाभदायक व्यवसाय बनी रहेगी।
इस योजना के तहत, किसानों को मशरूम किट और झोपड़ी (मशरूम हट) निर्माण पर 50 से 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है। महिला किसानों को प्राथमिकता दी जा रही है। बिहार में बटन, ओएस्टर और दूधिया मशरूम का उत्पादन होता है।
बिहार में 60 से 70 हजार किसान इसकी खेती में लगे हुए हैं। समस्तीपुर में डॉ. राजेंद्र प्रसाद विश्वविद्यालय की तरफ से किसानों को मशरूम के विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाता है। किसान पंजीयन करा कर मशरूम की खेती का विधिवत प्रशिक्षण ले सकते हैं।
मशरूम उत्पादन में गया अव्वल
जिला उद्यान पदाधिकारी तबस्सुम परवीन ने बताया कि हर घर मशरूम योजना के तरह गया के लगभग प्रत्येक गांव में चार से पांच परिवार मशरूम उत्पादन से जुड़े है। वजीरगंज,कोंच,मानपुर,बोधगया और इमामगंज सहित अन्य क्षेत्रों में मशरूम की खेती हो रही है। गया के मशरूम की मांग दिल्ली,कोलकाता,रांची,जमशेदपुर के बाजारों में भी है।
सक्सेस स्टोरी
गोपालगंज के कुचायकोट के प्रकाश राय विज्ञान स्नातक हैं। कोराना काल में प्राइवेट नौकरी छोडकर मशरूम की खेती करने लगे। खेती से पहले उत्पादन व बाजार का आकलन किया। उद्यान विभाग से मशरूम उत्पादन योजना के तहत 30 फीट चौड़ी एवं 50 फीट लंबी झोपड़ी के लिए एक लाख 89 हजार 750 की राशि स्वीकृत हुई थी।
इसमें 50 प्रतिशत उद्यान विभाग ने अनुदान दिया था। प्रकाश को मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में उद्यान निदेशालय, पटना की ओर से प्रथम बटन मशरूम पुरस्कार सम्मानित किया जा चुका है।
वैशाली जिले के हाजीपुर के राजीव रंजन इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद पुणे की एक मल्टीनेशनल कंपनी नौकरी कर रहे थे। दस साल पहले नौकरी छोड दी। अब बटन मशरूम की खेती कर रहे हैं। राजीव वैशाली जिले के पहले किसान थे, जिन्होंने बटन मशरूम की खेती शुरू की।
कई सम्मान से सम्मानित राजीव कहते हैं कि जब वह नौकरी के दौरान डेनमार्क गए थे। वहां उन्होंने ने मशरूम की खेती के बारे में जाना।राजीव अब मशरूम के होलसेलर बन चुके हैं।प्रतिदिन पांच क्विंटल मशरूम की आपूर्ति पटना की मीठापुर मंडी को करते हैं।

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