महागठबंधन का नया फार्मूला : कांग्रेस और वामदल को भी उप मुख्यमंत्री का पद, जातीय संतुलन पर फोकस
बिहार में महागठबंधन सरकार बनाने की तैयारी में है। तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद, मुकेश सहनी को उप मुख्यमंत्री बनाने की बात चल रही है। कांग्रेस और वाम दल से भी उप मुख्यमंत्री बनाने पर विचार किया जा रहा है, ताकि जातीय समीकरण को साधा जा सके और सहयोगी दलों को संतुष्ट किया जा सके। इससे एनडीए के लिए मुश्किल हो सकती है।

जातीय संतुलन पर फोकस
सुनील राज, पटना। बिहार की राजनीति में तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने के बाद अब महागठबंधन जातीय और सामाजिक समीकरणों के नए संतुलन की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम घोषित करने के बाद गठबंधन में अब कांग्रेस और वाम दल से भी एक-एक उप मुख्यमंत्री बनाने पर मंथन कर रहा है।
सहनी के नाम की घोषणा करने के बीच ही कांग्रेस के चुनाव पर्यवेक्षक और पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संकेत दे दिए हैं कि सहनी के अलावा गठबंधन में कुछ और उप मुख्यमंत्री होंगे। इनमें एक अन्पसंख्यक समाज से जबकि दूसरा दलित वर्ग से हो सकता है।
गहलोत के इस बयान ने साफ कर दिया है कि सहयोगी को साथ लेकर और वर्गीय प्रतिनिधित्व को केंद्र में रखकर चुनावी रणनीति तैयार होगी। इससे जातियों के समीकरण का संतुलन साधा जा सकेगा साथ ही सहयोगी दलों को सत्ता में बराबरी का हिस्सा देकर उनकी नाराजगी दूर कर संतुष्ट किया जा सकेगा।
राजनीतिक जानकार भी मानते हैं कि अगर सहनी के बाद महागठबंधन के अन्य सहयोगी दलों से एक-एक उप मुख्यमंत्री होगा तो इससे बराबरी का भाव होगा साथ ही यदि दो अन्य उप मुख्यमंत्री दलित और अल्पसंख्यक वर्ग के हुए तो यह समीकरण एनडीए के लिए बड़ी चुनौती होगी।
वैसे भी सहनी के नाम की मंच से घोषणा हो चुकी है। सहनी की घोषणा के साथ गठबंधन ने निषाद और अति पिछड़ा समाज में मजबूत संदेश भी दे दिया है। जिससे निषाद-मल्लाह और अतिपिछड़े वर्ग की एकजुटता सत्ता की राह करीब-करीब आसान होती दिख रही है। परंतु सहनी जिनकी पार्टी का न कोई सांसद है न विधायक और न ही विधान पार्षद उनके नाम की घोषणा से कांग्रेस-वामदल असहज हो सकते हैं।
लिहाजा गहलोत ने अन्य उप मुख्यमंत्री का तुरूप का पत्ता चला। जिसके बाद अब गठबंधन एक दलित और अल्पसंख्यक समाज को प्रतिनिधित्व देने की ओर कदम बढ़ा रहा है। जिस पर गठबंधन में मंथन शुरू हो गया है। चर्चा है कि कांग्रेस और इसके बाद भाकपा माले से एक-एक नेता को यह पद मिल सकता है।
यहां बता दें कि महागठबंधन के भीतर हाल के दिनों में मतभेद के संकेत मिले थे। खासकर कांग्रेस का विरोध मुखर होकर सामने आया था। हालांकि नाराजगी वाम दलों में भी थी। परंतु इस संकट से महागठबंधन पार पा गया है। अब उप मुख्यमंत्री पद को लेकर भविष्य में नाराजगी न हो इसकी पहल हो रही है।
इससे यह मैसेज भी जाएगा कि महागठबंधन में सबकी भूमिका बराबर है और सरकार बनने पर हर वर्ग को हिस्सा होगा। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि महागठबंधन का तीन उप मुख्यमंत्री फार्मूला बिहार की सामाजिक संरचना के हिसाब से बेहद सोच-समझकर तैयार किया गया है।

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