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    Bihar Politics: चुनावी हार से ज्‍यादा इस एक बात से ज्‍यादा बेचैन है RJD; क्‍या भव‍िष्‍य के लिए अच्‍छे नहीं संकेत?

    By Vikash Chandra Pandey Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Sun, 23 Nov 2025 10:49 PM (IST)

    बिहार की राजनीति में, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) चुनावी हार से अधिक एक विशेष मुद्दे पर चिंतित है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व को लेकर पार्टी के भीतर सवाल उठ रहे हैं। कार्यकर्ताओं में निराशा है और पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की चुनौती है। गठबंधन सहयोगियों के साथ संबंधों को सुधारने और भविष्य के लिए नई रणनीति बनाने की आवश्यकता है।

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    आधार वोटों में सेंधमारी से राजद चिंत‍ित। जागरण आर्काइव

    विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। अब तक की प्रतिक्रियाएं बता रहीं कि विधानसभा चुनाव (Bihar Chunav 2025) में करारी पराजय का कारण राजद वस्तुत: वोट चोरी को मान रहा!

    इसका आरोप चुनाव के पहले से ही राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ मिलकर तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) लगाते रहे हैं।

    दरअसल, वोटर अधिकार यात्रा के दौरान महागठबंधन के नेता जब इस आरोप को बारंबार दोहरा रहे थे, तब तक एनडीए अपने जनाधार में विस्तार का चक्रव्यूह रच चुका था।

    15 सीटें जीती हैं 10 हजार से कम मतों के अंतर से 

    उस चक्रव्यूह का एक सिरा राजद के आधार मतों में सेंधमारी से जुड़ा था, जिसमें एनडीए सफल रहा। चुनाव परिणाम बता रहा कि राजद का परंपरागत माय (मुसलमान-यादव) समीकरण इस बार दरक गया है।

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    इसी कारण एनडीए ने उन क्षेत्रों में भी बाजी मार ली, जहां मुसलमान और यादव मतदाताओं की संख्या निर्णायक है। 
    यह राजद के लिए असह्य पीड़ा है, क्योंकि उसके हिस्से की दो तिहाई सीटों पर जीत-हार का अंतर बेहद कम रहा है।

    भविष्य की राजनीति के लिए यह इसलिए भी खतरनाक संकेत है, क्योंकि उन क्षेत्रों के समीकरण में थोड़ा-बहुत परिवर्तन भी जीत की संभावना को संदिग्ध कर देगा।

    एनडीए की अब तक की रणनीति बता रही कि अंकगणित के साथ केमिस्ट्री में भी उसका जोड़ नहीं, लिहाजा राजद के रणनीतिकार चिंतित हैं।

    विपरीत परिस्थिति में भी जिन क्षेत्रों को लेकर वे आश्वस्त रहे हैं, उनमें से 80 प्रतिशत पर अब एनडीए काबिज हो चुका है। यह आकलन वोटिंग पैटर्न का अध्ययन करने वाली संस्था लोकनीति व सीएसडीएस का है।


    वोटिंग पैटर्न (प्रतिशत में)

    यादव

    • 2025 एनडीए : 19
    • 2025 महागठबंधन : 74
    • 2020 महागठबंधन : 84

    मुसलमान

    • 2025 एनडीए : 7
    • 2025 एआइएमआइएम : 9
    • 2025 महागठबंधन : 70
    • 2020 महागठबंधन : 76

    अनुसूचित जाति

    • 2025 एनडीए : 60
    • 2025 महागठबंधन : 28

    अति-पिछड़ा वर्ग

    • 2025 एनडीए : 68
    • 2025 महागठबंधन : 18

    उच्च वर्ग

    • 2025 एनडीए : 67
    • 2025 महागठबंधन : 9
    • 2020 एनडीए : 54

    (स्रोत : सीएसडीएस) 

    यादव मतों का ध्रुवीकरण कम, मुस्‍ल‍िम वोटों में हुआ बंटवारा

    इस बार यादव मतदाताओं का धुव्रीकरण अपेक्षाकृत कम हुआ। इसके अलावा यादवों के अतिरिक्त बाकी सभी जातियों में एनडीए के प्रति आकर्षण बढ़ा।

    अपनी हिस्सेदारी तय कर एआइएमआइएम ने भी मुसलमानों के वोटों को एकमुश्त नहीं रहने दिया। यादवों-मुसलमानों के ध्रुवीकरण वाले क्षेत्रों में उनकी प्रतिगामी जातियों ने एनडीए के पक्ष में बढ़-चढ़कर मतदान किया।

    इसके अलावा वर्गीय वोटों (राजनीतिक रूप से महिला, युवा, किसान और आर्थिक रूप से उच्च, मध्यम, निम्न) को भी एनडीए ने अपनी ओर अधिक खींच लिया।

    इसके साथ ही अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित 40 में से 35 सीटें एनडीए के पाले में चली गईं। राजद को इनसे बड़ी आस थीं, उनमें पिछली बार जीती गई उसकी 12 सीटें भी रहीं।

    कम मतों के अंतर से राजद या महागठबंधन को उन्हीं सीटों पर सफलता मिली है, जहां मुकाबला त्रिकोणीय रहा है। इससे स्पष्ट है कि समीकरण में मामूली परिवर्तन या मतदान प्रतिशत में थोड़ा-बहुत उतार-चढ़ाव भी जीत की संभावना को बाधित कर सकता था। ढाका, जहानाबाद, बोधगया, मखदूमपुर, टिकारी, ब्रह्मपुर, महिषी, मधेपुरा, रानीगंज आदि इसी श्रेणी की सीटें रही हैं।