समस्तीपुर में नाबालिग बच्चों का चुनाव प्रचार में इस्तेमाल, बाल अधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने समस्तीपुर में चुनावी प्रचार में नाबालिग बच्चों के इस्तेमाल का संज्ञान लिया है। एक राजनीतिक दल द्वारा रैली में बच्चे को मंच पर बुलाकर प्रचार कराने की खबर के बाद आयोग ने जिलाधिकारी को नोटिस जारी किया है। आयोग ने इसे बाल अधिकारों का उल्लंघन बताया है और मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने कहा है कि बच्चों का राजनीतिक इस्तेमाल कानूनन अपराध है।

समस्तीपुर में नाबालिक बच्चों का चुनावी प्रचार-प्रसार में इस्तेमाल किए जाने के मामले का संज्ञान लिया
जागरण संवाददाता, पटना। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने बिहार के समस्तीपुर जिले में एक नाबालिग बच्चे को चुनावी रैली में मंच पर लाए जाने की खबर पर गंभीर रुख अपनाया है। आयोग ने इस मामले को बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए समस्तीपुर के जिलाधिकारी को नोटिस जारी किया है और तीन दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
आयोग ने कहा है कि उसे यह मामला एक समाचार पोर्टल पर प्रकाशित रिपोर्ट के माध्यम से संज्ञान में आया, जिसमें दावा किया गया था कि एक राजनीतिक दल की रैली में बच्चे को प्रचार अभियान में शामिल किया गया था।
आयोग ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि किसी भी प्रकार की राजनीतिक गतिविधि में बच्चों को शामिल करना न केवल बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2005 के प्रावधानों का उल्लंघन है, बल्कि यह बच्चों के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
एनसीपीसीआर के रजिस्ट्रार द्वारा जारी इस नोटिस में कहा गया है कि जिला प्रशासन को यह बताना होगा कि इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की गई है और क्या किसी व्यक्ति या संगठन की जिम्मेदारी तय की गई है।
आयोग ने साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि भविष्य में इस तरह के मामलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए जिले में क्या ठोस कदम उठाए जा रहे हैं, इसकी जानकारी भी रिपोर्ट में दी जाए।
समस्तीपुर जिले के अधिकारियों से मिली प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, प्रशासन ने मामले की जांच प्रारंभ कर दी है। जिलाधिकारी ने संबंधित थाना प्रभारी और बाल संरक्षण इकाई को निर्देश दिया है कि वे रिपोर्ट तैयार कर आयोग को भेजें।
गंभीर अपराध की श्रेणी में आ सकता है मामला
आयोग ने इस प्रकरण में संबंधित वीडियो और समाचार रिपोर्ट का भी संज्ञान लिया है। आयोग ने कहा है कि चुनावी रैलियों या राजनीतिक प्रचार में बच्चों की भागीदारी बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986, तथा बाल यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम (पोस्को), 2012 के प्रावधानों के अंतर्गत भी गंभीर अपराध की श्रेणी में आ सकती है, यदि बच्चे के साथ कोई शोषण या अनुचित व्यवहार हुआ हो।
एनसीपीसीआर ने राज्य के मुख्य सचिव, बिहार राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, तथा समस्तीपुर के पुलिस अधीक्षक को भी इस नोटिस की प्रति भेजी है ताकि सभी संबंधित विभाग मिलकर मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित कर सकें।
आयोग ने स्पष्ट किया है कि बच्चों को किसी भी राजनीतिक, धार्मिक या वाणिज्यिक कार्यक्रमों में प्रचार का माध्यम बनाना पूरी तरह से अनुचित है।
ऐसे कार्य न केवल बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न करते हैं, बल्कि उनके बचपन और शिक्षा के अधिकारों को भी प्रभावित करते हैं।



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