अपने लाडले को रखना चाहते हैं स्वस्थ तो ध्यान दें, IGIMS के विशेषज्ञ डॉक्टर ने बताई है इसकी तरकीब
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के शिशु रोग विशेषज्ञ डा. एनके अग्रवाल दैनिक जागरण के हैलो डाक्टर कार्यक्रम में शामिल हुए। यहां उन्होंने कई कालरों ...और पढ़ें

पटना, जागरण संवाददाता। वर्षा और उमस भरी गर्मी के साथ बच्चों पर सर्दी-खांसी और वायरल बुखार ने शिकंजा कस दिया है। आजकल अस्पताल पहुंचने वाले हर सौ बच्चों में से 50 इन्हीं समस्याओं से पीड़ित है। करीब 20 प्रतिशत बच्चे फूड प्वायजनिंग के लक्षण जैसे पतले दस्त, पेट में दर्द के साथ तेज बुखार और शेष 30 प्रतिशत में टाइफाइड जैसे सिर्फ बुखार, मीजल्स, लाल आंखों के साथ खुजली व कीचड़ के अलावा कुछ फंगल इंफेक्शन के कारण दिनाय आदि की समस्या लेकर आ रहे हैं।
घर का बना संतुलित आहार ही खिलाएं
बड़ी संख्या में बच्चों काे सर्दी-खांसी व बुखार होने का कारण उनका दो वर्ष तक कोरोना के कारण घरों में बंद रहने से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास नहीं होना और निर्धारित वैक्सीन की डोज नहीं लेना है। इसके लिए बच्चों को घर का बना संतुलित आहार खासकर प्रोटीन, सब्जियां व फल देना जरूरी है। बहुत से अभिभावक बच्चों के सब्जी-फल व घर का बना खाना नहीं खाने की शिकायत लेकर आते हैं। इसके लिए घर और स्कूल में वेजी पासपोर्ट सिस्टम यानी हरी सब्जी-फल व घर का खाना खाने वाले बच्चों को टांगने वाला बैच देकर व अन्य माध्यमों से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। स्कूल और अभिभावक यदि बच्चों के बीच प्रतियोगी माहौल बनाकर हरी सब्जी, फल या पौष्टिक आहार खाने को प्रोत्साहित करेंगे तो उन्हें इसका स्वाद मिलने लगेगा।
ये बातें रविवार को दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम हेलो डाक्टर में इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के शिशु रोग विशेषज्ञ डा. एनके अग्रवाल ने पाठकों के सवालों के जवाब में कहीं। उन्होंने कहा कि स्कूलों के टायलेट गंदे होने से बच्चों में यूरिनरी ट्रैक्ट संक्रमण बढ़ा है। स्कूलों को इस पर ध्यान देना चाहिए।
बच्चों को हरी सब्जियां और दाल-रोटी खिलाएं
एक कॉलर ने पूछा कि छह वर्ष का बच्चा, चिप्स-बिस्किट व बाहर की चीजें ज्यादा खाता है, अक्सर कोई समस्या बनी रहती है। डा. अग्रवाल ने कहा कि छोटे बच्चों को हर चीज सिखानी पड़ती है, उन्हें हरी सब्जियों व फलों के साथ दाल-रोटी, चावल व सलाद के फायदे बताकर थोड़ा-थोड़ा खिलाएं। पहले सब्जियों की आदत डालें, स्वाद मिलने के बाद वे फल खुद खाने लगेंगे। बाहर की चीजें खिलाने के वादा कर पहले एक निर्धारित मात्रा में घर का खाना खिलाएं। बाहर की जो चीजें पसंद हैं, उससे मिलते-जुलते स्वाद की पौष्टिक आहार बनाकर खिलाएं। इससे न केवल कब्ज व पेटदर्द की समस्या बल्कि जल्दी-जल्दी सर्दी-खांसी व बुखार की समस्या भी कम होगी।
सामान्य है जन्मजात हाइड्रोसिल की समस्या
पटना सिटी के एक पाठक ने पूछा कि नवजात बच्चे का एक ओर हाइड्रोसिल सख्त व बड़ा है। डाक्टर साहब ने बताया कि नवजात बच्चों में जन्मजात हाइड्रोसिल की समस्या काफी सामान्य है। कई बार यह समय के साथ ठीक हो जाती है और कुछ मामलों में शिशु सर्जरी के विशेषज्ञ इंजेक्शन से पानी निकालकर या दवाओं से इसे ठीक कर देते हैं। लेकिन, इसके इलाज में देरी नहीं करें, तुरंत किसी शिशु सर्जन से परामर्श लें।
सदी-खांसी, बुखार है सामान्य मौसमी समस्या
पटना की एक महिला ने पूछा कि चार वर्ष का बच्चा है, एक माह से पेट दर्द व सर्दी-खांसी के साथ बुखार रह रहा है। उन्हें बताया गया कि यह सामान्य मौसमी समस्या है। इतने दिन में आराम नहीं होने का कारण या तो दवा सही नहीं चली, डोज कम रही या पूरा कोर्स नहीं किया गया। किसी दूसरे शिशु रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें कुछ दिन में ठीक हो जाएगा। बुखार, सर्दी-खांसी व पेट दर्द ठीक होते ही बच्चे को भूख लगने लगेगी।
एक कॉलर ने पूछा कि दो वर्ष का बच्चा हो गया लेकिन कुछ बोलता नहीं है। चिकित्सक ने कहा कि यह आटिज्म का लक्षण हो सकता है। किसी शिशु रोग विशेषज्ञ या हो सके तो एम्स पटना के शिशु रोग में संपर्क करें। वहां इसका मूल्यांकन कर आपको बताया जाएगा कि किस प्रकार बच्चों को उम्र के अनुसार व्यवहार का प्रशिक्षण दिया जा सकता है। बच्चों को इलेक्ट्रानिक गैजेट्स से दूर रखते हुए अधिक से अधिक हमउम्र बच्चों के साथ रखें। उन्हें पूरा समय दें और नई-नई चीजें सिखाएं।
बच्चे रहेंगे स्वस्थ, डलवाएं ये आदतें
- कुछ भी खाने के पहले हाथ को अच्छे से साबुन से धोएं।
- हर दिन साबुन लगाकर ठीक से नहाएं।
- प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, हरी सब्जी-फल युक्त पौष्टिक आहार खिलाएं।
- स्कूल का टायलेट गंदा नहीं रहे और बच्चे नैचुरल काल रोकें नहीं इसका अभिभावक व शिक्षक ध्यान रखें।
- भीड़भाड़ वाली जगहों या स्कूल बिना मास्क पहनें हुए नहीं जाएं।
- पानी को चारकोल कैंडिल युक्त फिल्टर से छानकर ही बच्चों को दें। यह आरओ व यूवी सिस्टम से बेहतर है। मोबाइल व अन्य गैजेट के बजाय हर दिन कम से कम दो घंटे आउटडोर एक्टीविटी में सक्रिय रखें।

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