Bihar Phase 2 Hot Seats: साफ सूरत वाली सीटों पर भी समीकरण पेचीदा, भागलपुर-गया और जमुई में टाइट फाइट!
बिहार में दूसरे दौर के मतदान में साफ छवि वाली सीटों पर भी चुनावी समीकरण पेचीदा बने हुए हैं। जातीय समीकरण, विकास के मुद्दे और युवा मतदाताओं की भूमिका इस चरण के चुनाव को और भी दिलचस्प बना रहे हैं।
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साफ सूरत वाली सीटों पर भी समीकरण पेचीदा, भागलपुर-गया और जमुई में टाइट फाइट!
डिजिटल डेस्क, पटना। पहले चरण की बंपर वोटिंग ने विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के लिए रोमांच बढ़ा दिया है। राजनीतिक दलों ने भी प्रचार-प्रसार में कोई कोर-कसर नहीं रहने दी, इस आशा के साथ कि मतदाता उन्हीं का बेड़ा पार लगाएंगे।
वहीं, दूसरे चरण की सीटों को सत्ता के लिए निर्णायक माना जा रहा है। इस कड़ी में हम आपको बिहार चुनाव के दूसरे चरण की 5 हॉट सीटों का सियासी समीकरण बताएंगे।

भागलपुर में पांच सीटों पर सीधा व दो पर है त्रिकोणीय मुकाबला
भागलपुर जिले की सातों विधानसभा सीटों पर इस बार का चुनावी मुकाबला बेहद रोचक मोड़ पर पहुंच चुका है। कहीं पारंपरिक द्वंद्व जारी है तो कहीं बागी और नए मोर्चों की एंट्री ने चुनावी जमीन को और उलझा दिया है। जिले में मतदाता खामोश हैं, लेकिन माहौल काफी गर्म हो चुका है। भागलपुर सदर में कांग्रेस के अजीत शर्मा और भाजपा के रोहित पांडेय के बीच जोरदार टक्कर है।
पीरपैंती में भाजपा और राजद आमने-सामने हैं। भाजपा ने इस बार नया चेहरा मुरारी पासवान को उतारा है। राजद ने राम बिलास पासवान पर दोबारा भरोसा जताया है। जन सुराज के घनश्याम दास मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं, हालांकि मुख्य लड़ाई अब भी भाजपा और राजद के बीच ही मानी जा रही है।
नाथनगर में समीकरण और दिलचस्प हैं। राजद ने पूर्व प्रशासनिक अधिकारी शेख जियाउल हसन को टिकट दिया है, जबकि एलजेपी (आर) ने जिला परिषद अध्यक्ष मिथुन कुमार को मैदान में उतारा है। जन सुराज के अजय कुमार राय यहां वोटों के बिखराव में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। मुकाबला राजद और लोजपा-आर के बीच सिमटने के संकेत मिल रहे हैं।
सुल्तानगंज में त्रिकोणीय संघर्ष बन चुका है। जदयू के ललित नारायण मंडल, कांग्रेस के ललन कुमार और राजद के चंदन कुमार वोटरों को साधने में लगे हैं। जन सुराज के राकेश कुमार भी मैदान में हैं, जिससे मुकाबला और पेचीदा हो गया है।
कहलगांव में स्थिति और दिलचस्प है। जदयू के शुभानंद मुकेश, कांग्रेस के प्रवीण सिंह और राजद के रजनीश भारती तीनों मजबूत दावेदार हैं। भाजपा के बागी पवन कुमार यादव और जन सुराज के मंजर आलम भी प्रभाव डाल रहे हैं, जिससे मुकाबला कड़ा हो गया है।
बिहपुर में भाजपा के कुमार शैलेंद्र और वीआइपी की अर्पणा कुमारी के बीच सीधी लड़ाई है। जन सुराज के पवन चौधरी तीसरा कोण बनने की कोशिश में जुटे हैं। गोपालपुर विधानसभा में जदयू के शैलेश कुमार और वीआईपी के प्रेम सागर के बीच मुख्य मुकाबला है। निर्दलीय नरेंद्र नीरज और जन सुराज के मंकेश्वर सिंह मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं।

गया में एनडीए और महागठबंधन के बीच सभी सीटों पर कड़ा मुकाबला
बिहार में विधानसभा की सर्वाधिक सीटों वाला एक जिला गया भी है। अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित तीन सीटों के साथ यहां की 10 सीटों पर इस बार की लड़ाई काफी रोचक है। एनडीए के प्रति मतदाताओं के झुकाव को विपक्ष भटकाने में लगा है। पार्टियों द्वारा मतदाताओं को गोलबंद करने का पूरा प्रयास हुआ है। एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अंतिम दिन गया में रैलियां कीं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अतरी में सभा की। महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव ने रोहतास-गया सीमा पर रैलियां कीं। राहुल गांधी सीमांचल पर फोकस कर रहे, लेकिन मगध में अपेक्षाकृत कम सक्रिय रहे। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी यहां सभी सीटों पर लड़ रही।
गया जिला में भूमिहार, राजपूत, यादव, अनुसूचित जाति, कुशवाहा और मुसलमान मतदाता निर्णायक हैं। 2020 में मुकाबला बराबरी का रहा था, लेकिन इस बार गया संसदीय क्षेत्र में एक लाख से अिधक मतों से हुई मांझी की जीत से एनडीए मान रहा कि वह बढ़त विधानसभा सीटों पर असर डालेगी और परिणाम उसके पक्ष में होगा। दूसरी तरफ विधानसभा के पिछले चुनाव में यहां की पांच सीटें जीतने वाला महागठबंधन अपने किलों को लेकर आश्वस्त है। भाजपा के दिग्गज प्रेम कुमार गया शहर में पिछले आठ चुनाव से अजेय हैं। कांग्रेस के अखौरी ओंकार नाथ और जन सुराज पार्टी के धीरेंद्र अग्रवाल से उनका मुकाबला है। ओंकारनाथ को वे पिछले चुनाव में मात दे चुके हैं। धीरेंद्र का पेच नया है, जबकि प्रेम कुमार का अनुभव पुराना।
दूसरा रोचक मुकाबला इमामगंज का है, जहां 2020 में मांझी विजयी रहे थे। उनके सांसद चुन लिए जाने के बाद इमामगंज में उप चुनाव हुआ था। मांझी की बहू दीपा मांझी विजयी रही थीं, जो हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के टिकट पर फिर से मैदान में हैं।
इमामगंज और बाराचट्टी में दो-दो महिला प्रत्याशी आमने-सामने हैं। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और राजद के बीच दोनों सीटों पर सीधा मुकाबला है। एनडीए की सहयोगी लोजपा-रामविलास शेरघाटी और बोधगया में सीधे मुकाबले में है। शेरघाटी में जन सुराज पार्टी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है, जबकि बोधगया में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के बागी प्रत्याशी ने चुनाव को रोचक बनाया है।
वजीरगंज और गया शहरी सीट पर भाजपा से कांग्रेस का सीधा टकराव है। टिकारी और अतरी की सीट पर हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रत्याशी मुकाबला कर रहे।

जमुई की चारों सीटों पर सीधी टक्कर में नए खिलाड़ी भी सक्रिय, वोटरों की गोलबंदी तेज
झारखंड के सीमावर्ती जमुई जिला में मतदान की तैयारी करीब-करीब पूरी हो गई है। जिले में कुल 41 प्रत्याशी हैं, जिनमें तीन महिलाएं और 38 पुरुष शामिल हैं। मतदान के लिए 1595 केंद्र बनाए गए हैं। जमुई जिले में चार विधानसभा क्षेत्र हैं और कुल मिलाकर मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच है।
चकाई और सिकंदरा में क्रमशः निर्दलीय संजय प्रसाद और जनसुराज के सुभाष पासवान ने तीसरा कोण बनाकर मुकाबला और दिलचस्प कर दिया है। चकाई में पिछली बार निर्दलीय विजेता रहे सुमित इस बार जदयू से हैं। मुकाबला राजद की सावित्री देवी से है। सिकंदरा में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रफुल्ल मांझी का मुकाबला राजद के उदय नारायण चौधरी से है। यहां कांग्रेस के विनोद चौधरी और एआइएमआइएम के मनोज दास भी मैदान में हैं, जिससे राजद की चुनौती बढ़ गई है।
झाझा में एआइएमआइएम के इरफान ने राजद की मुश्किलें बढ़ाई हैं, जबकि जनसुराज पार्टी के एनडी मिश्रा एनडीए के वोट बैंक में सेंध लगाने का पूरा प्रयास किए हैं। जमुई सीट पर भाजपा की श्रेयसी सिंह और राजद के शमशाद आलम के बीच सीधा मुकाबला है। यहां जन सुराज पार्टी के अनिल साह और निर्दलीय अमरेंद्र उर्फ खोखन सिंह भी तीसरा कोण बनाने की कोशिश में हैं।
रोहतास की छह सीटों पर कांटे की टक्कर, एक पर लड़ाई त्रिकोणीय
रोहतास जिले के सात विधानसभा क्षेत्रो में से छह पर एनडीए व महागठबंधन के बीच टक्कर है, जबकि एक पर बसपा भी लड़ाई में आ गई है। सासाराम सीट से रालोमो प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता एनडीए से तथा राजद से वैश्य समाज के सत्येंद्र साह उम्मीदवार हैं। जदयू के पूर्व विधायक अशोक कुमार बसपा से, जबकि जन सुराज से विनय कुमार सिंह हैं। अशोक कुशवाहा व विनय राजपूत वोटों पर नजर लगाए हैं। करगहर में महागठबंधन से कांग्रेस व भाकपा के उम्मीदवार होने के कारण वोटों की छीनाझपटी मची है।
राजद के कोर वोटरों को साधने में बसपा भी लगी है। यहां बसपा से कुर्मी जाति से आने वाले पूर्व मंत्री रामधनी सिंह के पुत्र उदय प्रताप सिंह, कांग्रेस से पूर्व मंत्री गिरिश नारायण मिश्र के पुत्र संतोष मिश्र, जदयू से पूर्व विधायक वशिष्ठ सिंह तथा जन सुराज पार्टी से भोजपुरी गायक रितेश रंजन पांडेय चुनाव मैदान में हैं। चेनारी में पूर्व मंत्री व लोजपा-रामविलास के उम्मीदवार मुरारी प्रसाद गौतम तथा कांग्रेस के मंगल राम के बीच सीधा मुकाबला है।
डेहरी में लोजपा-रामविलास के राजीव रंजन सिंह व राजद के गुड्डू चंद्रवंशी के बीच सीधी टक्कर है। निवर्तमान विधायक फते बहादुर सिंह दोनों दलों के वोटों में सेंधमारी कर रहे हैं। काराकाट में भाकपा-माले के अरुण कुमार सिंह व जदयू के महाबली सिंह के बीच मुकाबला है। जदयू के वोट में जन सुराज पार्टी के योगेंद्र सिंह सेंधमारी कर रहे हैं। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भोजपुरी अभिनेता व गायक पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह दोनों दलों के वोट में सेंधमारी कर रही हैं।
चर्चित सीट दिनारा में रालोमो प्रत्याशी व बिहार सरकार के मंत्री संतोष सिंह के छोटे भाई आलोक सिंह तथा राजद के शशि शंकर कुमार उर्फ राजेश यादव के बीच अब सीधा मुकाबला दिख रहा है। यहां जदयू के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री रहे जय कुमार सिंह भी एनडीए तथा राजद के वोटों में सेंधमारी कर रहे हैं। नोखा विधानसभा में भी राजद की पूर्व मंत्री व निवर्तमान विधायक अनिता देवी तथा जदयू के नागेंद्र चंद्रवंशी के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है।
किशनगंज की सभी सीटों पर प्रत्यािशयों की तरह समीकरण भी है गुत्थमगुत्था, मुकाबला बेहद कड़ा
किशनगंज जिले की चारों विधानसभा सीटों पर मुकाबला तेजी से दिलचस्प मोड़ ले रहा है। प्रचार के अंतिम दिन माहौल गरम है, लेकिन मतदाता अब भी चुप्पी साधे हुए हैं। कोचाधामन में छह प्रत्याशी मैदान में हैं और पूरा समीकरण मुस्लिम बहुल क्षेत्रों पर केंद्रित है। यहां राजद के मुजाहिद आलम और एआइएमआइएम के सरवर आलम के बीच करीबी मुकाबला दिख रहा है। भाजपा की वीणा देवी इसे त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में हैं, जबकि जनसुराज और बसपा भी पूरी ताकत से जुटे हैं। दो लाख 50 हजार मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में समीकरण आखिरी वक्त तक उलझे हुए हैं।
ठाकुरगंज में 10 उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां जदयू के गोपाल अग्रवाल, राजद के सउद आलम और एआइएमआइएम के गुलाम हसनैन मुख्य दावेदार माने जा रहे हैं। जनसुराज समेत अन्य दल मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाने के प्रयास में हैं।
किशनगंज सीट पर मुकाबला कांग्रेस के कमरूल हुदा और भाजपा की स्वीटी सिंह के बीच सीधा दिख रहा है। एआइएमआइएम के शम्स आगाज इसे त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
उधर, बहादुरगंज में कांग्रेस के मुसब्बिर आलम, लोजपा के कलीमउद्दीन और एआइएमआइएम के तौसीफ आलम आमने-सामने हैं। जनसुराज के वरुण सिंह यहां भी चौथा कोण बनाने की कोशिश में जुटे हैं। कुल मिलाकर चारों सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी होता दिख रहा है।

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