बिहार कांग्रेस में बगावत की दस्तक, क्या सच होगी पीएम नरेन्द्र मोदी की भविष्यवाणी?
बिहार कांग्रेस में अंदरूनी कलह की सुगबुगाहट तेज हो गई है, जिससे पार्टी के कई नेता नेतृत्व से असंतुष्ट हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भविष्यवाणी सच साबित होगी, जिसमें उन्होंने कांग्रेस के कमजोर होने की बात कही थी? पार्टी के भीतर चल रही गतिविधियों को देखते हुए, बगावत की आशंका जताई जा रही है।

कृष्णा अल्लावारू व राजेश राम पर उठने लगे सवाल। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Chunav 2025 में कांग्रेस एक बार फिर पराजित रही। यह हार सिर्फ संयोग या राजनीतिक हवा का रुख नही थी।
बल्कि यह अनेक ऐसे निर्णयों का नतीजा रही जिनमें रणनीतिक स्पष्टता की कमी और संगठनात्मक कमजोरियां साफ दिखी।
प्रदेश अध्यक्ष व अल्लावारू के खिलाफ रणनीति
करीब 15 वर्ष के बाद सबसे खराब प्रदर्शन को लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और प्रभारी कृष्णा अल्लावारू के खिलाफ बड़ी बगावत की रणनीति बन रही है।
कांग्रेस के अंदर खान के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पार्टी के कई वरिष्ठ और युवा नेता अब खुलकर प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारू की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
नेता-कार्यकताओं के आरोप हैं कि परंपरागत सीटों तक पर बेहद खराब प्रदर्शन और टिकट बंटवारे में हुई कथित मनमानी ने बिहार की राजनीति में कांग्रेस को कमजोर कड़ी बना दिया है।
चेहरे और रैलियों से नहीं जीते जाते चुनाव
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि बिहार जैसे जटिल सामाजिक-राजनीतिक राज्य में चुनाव केवल गठबंधन, चेहरे और रैलियों से नहीं जीते जाते।
बूथ स्तर तक मजबूत पकड़, समय पर सही फैसले और जनता के मुद्दों पर जीता जाता है। कांग्रेस इन मोर्चों पर पिछड़ गई।
इसके अलावा पार्टी ने चुनावी जमीन पर उतने आक्रामक और संगठित तरीके से काम नहीं किया जितनी जरूरत थी। गठबंधन प्रबंधन में भी गड़बड़ी रही।
दिल्ली के संपर्क में हैं कई नेता
राजद के साथ तालमेल को लेकर शुरू से अंत तक असमंजस और खींचतान रही। सीट शेयरिंग में असंतोष, कई सीटों पर दोस्ताना मुकाबला, और रणनीतिक एकरूपता के अभाव में महागठबंधन का वोट बैंक को बिखेरता रहा।
अब यह खबर आ रही है कि कम से कम दर्जनभर नेता सीधे दिल्ली के संपर्क में हैं। सूत्रों की माने तो जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली जाकर हाईकमान को विस्तृत रिपोर्ट देगा।
कुछ नेता तो यहां तक कह रहे हैं कि अगर संगठन संरचना में तुरंत बदलाव नहीं किया गया तो पार्टी आने वाले वर्षों में और कमजोर हो जाएगी। परंतु इन मुद्दों पर आधिकारिक तौर पर खुलकर बोलने के लिए पार्टी का कोई बड़ा नेता तैयार नहीं।

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