Dularchand Murder: मोकामा से बाढ़ तक बवाल, साथ दिखे जसुपा और राजद प्रत्याशी; प्रशांत किशोर का विरोध
मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या के बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। महागठबंधन ने एनडीए सरकार पर नाकामी का आरोप लगाया है, जबकि एनडीए ने इसे जंगलराज की वापसी बताया है। इस घटना ने इलाके में चुनावी माहौल को और गरमा दिया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

दुलारचंद यादव के शव को ले जाते लोग
संवाद सूत्र, मोकामा। पंडारक प्रखंड के भदौर थाना क्षेत्र में हुई हत्या मामले में पहली प्राथमिकी मृतक दुलारचंद यादव के पौत्र नीरज कुमार के लिखित आवेदन पर दर्ज की गई है। इसमें मोकामा के पूर्व विधायक व जद यू प्रत्याशी अनंत सिंह, कर्मवीर सिंह, राजवीर सिंह, कंजय सिंह और छोटन सिंह को नामजद आरोपित बनाया गया है।
प्राथमिकी में जसुपा प्रत्याशी प्रियदर्शी पीयूष के प्रचार अभियान के दौरान हत्या का आरोप लगाया गया है। दूसरी प्राथमिकी नालंदा जिले के हरनौत थाना क्षेत्र के पोआरी गांव निवासी बलराम सिंह के बेटे जितेंद्र कुमार की लिखित शिकायत पर की गई है।
प्राथमिकी में जसुपा उम्मीदवार प्रियदर्शी पीयूष, लखन महतो, बाजो महतो, नीतीश महतो, ईश्वर महतो, अजय महतो समेत सौ से अधिक अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज कराया गया है। इसमें आरोपितों पर हत्या की नीयत से पिस्तौल से गोली चलाने, लाठी, राड से हमला करने और पथराव कर गाड़ियों के शीशे तोड़ने का आरोप है।
भदौर थानाध्यक्ष रविरंजन चौहान ने तीसरी प्राथमिकी की है। इसमें दोनों उम्मीदवारों के अज्ञात समर्थकों को आरोपित किया गया है। सार्वजनिक स्थल पर फायरिंग करने, पत्थर चलाने, वाहनों में तोड़फोड़ करने, दहशत पैदा करने और विधि व्यवस्था भंग करने का आरोप है।
भारी सुरक्षा दस्ता तैनात
घटना के बाद से अर्धसैनिक बल व पुलिस अधिकारी तारतर गांव में कैंप कर रहे हैं। दुलारचंद यादव की हत्या के बाद उनके समर्थकों ने मोकामा से लेकर बाढ़ तक बवाल मचाया। गुरुवार को लगभग साढ़े तीन बजे बाहुबली नेता की हुई हत्या के बाद ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए शव उठाने में पुलिस असमर्थ रही।
ग्रामीण एसपी विक्रम सिहाग समेत बाढ़ अनुमंडल के तमाम पुलिस अधिकारियों के अनुरोध के बावजूद ग्रामीणों ने शव उठाने से रोक दिया। शुक्रवार की सुबह मृतक के स्वजन और ग्रामीणों की सहमति के बाद पुलिस शव उठाने में कामयाब रही।
ट्रैक्टर-ट्राली पर शव को रखा गया, जिस पर मोकामा से राजद प्रत्याशी वीणा देवी (सूरजभान की पत्नी), जसुपा उम्मीदवार प्रियदर्शी पीयूष और दुलारचंद यादव के स्वजन सवार हुए।
मोर चौक पर पहुंचते ही वीणा देवी अपनी गाड़ी पर सवार हो गईं। मोर चौक के बाद रास्ते भर समर्थकों का जमकर उत्पात मचाया। मोर और सुल्तानपुर गांव में अनंत सिंह के प्रचार वाहनों में लगे पोस्टर और बैनर फाड़ दिए। रास्ते भर नारेबाजी भी करते रहे।
कन्हाईपुर गांव पहुंचते ही लोगों का गुस्सा और भड़क उठा और शव लदे ट्रैक्टर को रोककर दस मिनट तक जमकर हंगामा किया। हालांकि, अर्धसैनिक बलों की मौजूदगी और पुलिस अधिकारियों की तत्परता से आक्रोशित लोगों को नियंत्रित कर लिया गया।
मोकामा में दुलारचंद की हत्या से सुलगा चुनावी समर
राज्य ब्यूरो, पटना। मोकामा में बाहुबली नेता दुलारचंद यादव की हत्या ने बिहार की सियासत को झकझोर दिया है। विधानसभा चुनाव के बीच हुई इस हत्या ने न केवल इलाके का राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है, बल्कि चुनावी बहस को जंगलराज बनाम गुंडाराज की ओर मोड़ दिया है।
महागठबंधन जहां इस घटना को एनडीए शासन की नाकामी और प्रशासनिक पतन बता रहा है, वहीं भाजपा-जदयू इसे पुराने जंगलराज की वापसी बताकर जवाबी हमला कर रहे हैं। इस राजनीतिक हत्या ने राजनीतिक दलों को एक-दूसरे पर हमला करने का मौका दे दिया है। दुलारचंद बिहार की राजनीति में एक ऐसा नाम है, जिसका कई दलों से सीधा संपर्क था।
ऐसे में हत्या सिर्फ एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि चुनावी समीकरण को प्रभावित करने वाली बड़ी राजनीतिक घटना बन गई है। घटना 30 अक्टूबर की है। हालांकि अब नई बात यह आ रही है कि उसे गोली नहीं मारी गई थी।
बहरहाल यह अलग बहस का मुद्दा है। हकीकत यह है कि हत्याकांड के बाद महागठबंधन ने इसे मुद्दा बनाकर एनडीए सरकार पर सीधा हमलावर है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि लोकतंत्र में विचारधारा और जनहित के मुद्दों की लड़ाई होती है। बमबारी और गोलीबारी की नहीं।
उन्होंने एनडीए पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सत्ता संपोषित दुर्दांत अपराधी एनडीए के महाजंगलराज में बाहर घूमकर तांडव मचा रहे हैं। अपराध के लिए कुख्यात मोकामा में सत्ता संरक्षित गुंडों ने एक सामाजिक कार्यकर्ता दुलारचंद यादव की हत्या कर दी।
वहीं वीआइपी नेता मुकेश सहनी ने कहा कि मोकमा में सामाजिक कार्यकर्ता दुलारचंद की निर्मम हत्या ने साबित कर दिया है कि बिहार में राक्षसराज का दौर चल रहा है। बिहार कांग्रेस ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा कि मोकामा में कल हत्या, आज शव यात्रा में गोलीबारी, ये है बिहार में कानून व्यवस्था की सच्चाई।
NDA ने किया पलटवार
दूसरी ओर भाजपा-जदयू गठबंधन ने इस मुद्दे पर पलटवार किया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि आरजेडी के लोग बदले नहीं हैं। इनके डीएनए में गुंडागर्दी करना, जंगलराज फैलाना और अपहरण उद्योग फैलाना है।
जनसुराज नेता प्रशांत किशोर ने कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए और कहा कि जिस बिहार में जंगलराज की बात होती थी, चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा होती है। यह हत्या वही दर्शाती है। बहरहाल बयानों के बीच यह चर्चा आम हो चली है कि दोनों गठबंधन इसपर आरोप-प्रत्यारोप का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देंगे।
घटना को चुनाव में भी बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जाएगा। महागठबंधन इसे सत्ता के अहंकार और सुरक्षा तंत्र की विफलता के रूप में पेश करेगा, जबकि एनडीए के लिए यह चुनौती है कि वह इस नैरेटिव को बदल सके। विशेष रूप से उस इलाके में जहां जातीय और प्रभाव आधारित राजनीति का असर गहरा दिखता है।
सूरजभान ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग
संवाद सूत्र, मोकामा। पूर्व सांसद सूरजभान सिंह ने दुलारचंद यादव हत्याकांड पर अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने इस हत्याकांड की निंदा करते हुए लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया है। मोकामा में मीडिया से बातचीत में उन्होंने चुनाव आयोग से निष्पक्ष जांच की मांग की है। कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव पर पूरी दुनिया की नजर है। ऐसे में चुनावी रंजिश में हत्या उचित नहीं है। चुनाव आयोग को कड़ा संज्ञान लेना चाहिए।
कुढ़नी में प्रशांत किशोर का विरोध, काफिले को रोका
संवाद सहयोगी,कुढ़नी (मुजफ्फरपुर) : कुढ़नी में रोड शो के दौरान ओवरब्रिज के सामने कुछ युवाओं ने काफिले को रोकते हुए जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर का विरोध किया।
आक्रोशित युवा रोड शो में शामिल वाहनों के आगे आकर विरोध में नारे लगाए। नारेबाजी कर रहे युवाओं व अन्य लोगों का कहना था कि मोकामा के दुलारचंद यादव जनसुराज के समर्थक थे। उनकी हत्या हो गई, किंतु आज तक प्रशांत किशोर उनके स्वजन से मिलने नहीं पहुंचे।
हालांकि समर्थकों के काफिले के आगे विरोध करने वाले युवाओं की कुछ नहीं चली। समर्थकों ने विरोध कर रहे युवाओं को आगे से हटाते हुए काफिले को आगे बढ़ा दिया।
इसके बाद पीके का काफिला तुर्की मुख्यालय से चढुआ, बसौली रामचंद्रा चौक होते हुए अन्य टोले-मोहल्लों में पहुंचा। समर्थकों के साथ क्षेत्रों में रोड शो किया। प्रशांत किशोर ने कहा कि यह विरोध साबित करता है कि हम विरोधियों से आगे बढ़ रहे हैं।
राजद प्रत्याशी की गाड़ी पर पथराव
पंडारक की सीमा में पहुंचते ही पथराव शुरू हो गया। पथराव की चपेट में राजद उम्मीदवार वीणा देवी की गाड़ी भी आई। जिससे गाड़ी के शीशे टूट गए। पंडारक में हुए बवाल के कारण गांव से पार्थिव शरीर उठाए जाने के छह घंटे बाद उसे बाढ़ अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचाया जा सका।
इधर, बवाल की आशंका को लेकर तारतर से लेकर बाढ़ तक पुलिस ने भी सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था कर रखी थी, इस कारण भीड़ अनियंत्रित नहीं हुई। हालांकि मोकामा से बाढ़ तक वाहनों का परिचालन अस्त-व्यस्त रहा।
चुनाव के दौरान पहले भी हुई हैं वारदातें
1991 के बाढ़ लोकसभा उपचुनाव में मतदान के दिन कांग्रेस के पोलिंग एजेंट सीताराम सिंह की पंडारक के धीवर गांव में हत्या कर दी गई। घटना के बाद वहां के मतदान केंद्र पर अंधाधुंध फायरिंग हुई, जिसमें आठ लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए।
वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में बाहुबलियों की रंजिश में भावनचक गांव में दर्जनों राउंड फायरिंग की गई। जिसमें बच्चू सिंह सहित एक अन्य मारे गए थे। 2005 के विधानसभा चुनाव में बड़हिया की सीमा पर बसे नौरंगा-जलालपुर गांव में एक बाहुबली के समर्थकों ने तीन लोगों को मौत के घाट उतार दिया। उनके नाम गोपाल, सलवीर और भोसंगवा थे।

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