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    Health News: दिल में छेद का पटना में होगा फ्री इलाज, IGIC में शुरू हुआ नया प्रोग्राम

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 02:26 PM (IST)

    पटना के IGIC अस्पताल में दिल में छेद (Septal Defect) वाले बच्चों के लिए मुफ्त इलाज की शुरुआत की गई है। यह प्रोग्राम गरीब परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करेगा, जो महंगे इलाज का खर्च उठाने में असमर्थ हैं। IGIC का लक्ष्य है कि हर बच्चे को स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार मिले, और वे इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।

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    दिल में छेद वाले बच्चों का फ्री इलाज

    जागरण संवाददाता, पटना। Septal Defect Treatment Free: इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ कार्डियोलाजी (IGIC) में राज्य के चयनित 30 बच्चों के दिल के छेद को अत्याधुनिक डिवाइस क्लोजर तकनीक से बंद किया जाएगा। मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना एवं राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत यह सभी आपरेशन पूरी तरह मुफ्त होंगे।

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    सिविल सर्जन स्तर पर चयनित इन बच्चों की सर्जरी आइजीआइसी के विशेषज्ञों की टीम द्वारा फोर्टिस एस्कार्ट्स हर्ट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली के शिशु हृदय रोग निदेशक डॉ. नीरज अवस्थी (Neeraj Awasthi) के निर्देशन में की जाएगी।

    आइजीआइसी के निदेशक डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि दूसरे फ्लोर स्थित कैथ लैब में डिवाइस क्लोजर प्रक्रिया से बिना बड़े ऑपरेशन के ही बच्चों के दिल का छेद बंद कर दिया जाएगा। दिल्ली के विशेषज्ञ बुधवार और गुरुवार को संस्थान में मौजूद रहेंगे। टीम में डॉ. एनके अग्रवाल और डॉ. अंबिकानंदन भारतवासी शामिल हैं।

    कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं संयुक्त निदेशक डॉ. बीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि जन्मजात दिल के छेद वाले बच्चे अक्सर निमोनिया, सांस लेने में कठिनाई, दूध पीने में परेशानी और विकास बाधित होने जैसी समस्याओं से जूझते हैं।

    निजी अस्पतालों में इस तरह की सर्जरी की लागत डेढ़ से ढाई लाख रुपये तक होती है, जबकि आइजीआइसी में यह पूरी तरह निशुल्क की जा रही है।

    गर्भावस्था में दिल के अधूरे, विकास से होती है परेशानी

    आइजीआइसी के संयुक्त निदेशक सह बाल हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. बीरेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि गर्भ में बच्चे का दिल धीरे-धीरे विकसित होता है। इस प्रक्रिया में कोई रुकावट आ जाए तो सेप्टम (दिल की दीवार) पूर्ण रूप से नहीं बन पाती और छेद रह जाता है। इसके अतिरिक्त आनुवंशिक (जेनेटिक) कारण से भी यह संभावना होती है।

    यदि परिवार में पहले से किसी को दिल का छेद या हार्ट डिजीज होने पर बच्चे में भी इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। मां को गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में जर्मन खसरा (रूबेला) या अन्य वायरल संक्रमण होने पर जोखिम बढ़ जाता है। गर्भावस्था के दौरान कुछ दवाएं, शराब, धूम्रपान, या ड्रग्स बच्चे के हृदय के विकास को प्रभावित कर सकते हैं।

    मां में शुगर या बीपी की समस्या अनियंत्रित होने से भी जन्मजात हृदय रोगों की संभावना बढ़ जाती है। बताया कि असमय जन्म लेने वाले बच्चों में दिल का छेद होने की संभावना अधिक रहती है।

    दिल का छेद होने के आम लक्षण

    • बार-बार निमोनिया या खांसी
    • दूध पीते समय थकान या सांस फूलना
    • वजन नहीं बढ़ना
    • तेज सांसें चलना
    • दिल की धड़कनें तेज होना
    • ज्यादा पसीना आना
    • रोने पर होंठ नीले पड़ना (कुछ मामलों में)