महंगे होंगे रेडीमेड कपड़े! बढ़ सकती हैं GST की दरें, निर्मला सीतारमण के पास पहुंचा प्रस्ताव
महंगे रेडीमेड कपड़ों पर जीएसटी की दरें (GST On Readymade Garments) बढ़ सकती हैं। उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता वाला मंत्रियों का समूह (जीओएम) पहले ही अपनी अनुशंसा कर चुका है। अब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद को निर्णय लेना है। राजस्थान के जैसलमेर में 21 दिसंबर को इसकी बैठक प्रस्तावित है।

राज्य ब्यूरो, पटना। महंगे रेडीमेड कपड़ों पर जीएसटी (GST On Readymade Garments) की दरें बढ़ाई जा सकती हैं। इसके लिए उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी (Samrat Choudhary) की अध्यक्षता वाला मंत्रियों का समूह (जीओएम) पहले ही अपनी अनुशंसा कर चुका है।
उस अनुशंसा पर अब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद (GST Council) को निर्णय लेना है। राजस्थान के जैसलमेर में 21 दिसंबर को इसकी बैठक प्रस्तावित है।
दो दिसंबर को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में सम्राट रेडीमेड कपड़ों पर दरों के तीन स्लैब निर्धारित करने का सुझाव दे चुके हैं। 1500 रुपये तक के मूल्य वाले रेडीमेड कपड़ों पर 05 प्रतिशत, 1501 से 10000 रुपये तक के लिए 18 प्रतिशत और 10000 रुपये से अधिक के मूल्य पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने की अनुशंसा हुई है।
वित्त विभाग के सूत्र बता रहे कि जैसलमेर में होने वाली बैठक में जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी के प्रमुख प्रस्ताव पर भी विचार होना है। स्वास्थ्य बीमा के लिए वरिष्ठ नागरिकों द्वारा भुगतान किए गए प्रीमियम और टर्म लाइफ इंश्योरेंस के लिए हर द्वारा भुगतान किए गए प्रीमियम पर छूट मिलने की संभावना है।
रेडीमेड कपड़ों पर जीएसटी की अनुशंसा
मूल्य | दर |
1500 रुपये तक | 05 प्रतिशत |
1501-10000 रुपये तक | 18 प्रतिशत |
10000 से अधिक | 28 प्रतिशत |
पिछले माह से कम जीएसटी की वसूली हुई नवंबर में
पिछले वर्ष नवंबर की तुलना में इस बार नवंबर में बिहार में 12 प्रतिशत अधिक जीएसटी का संग्रहण हुआ है। इस बार 1561 करोड़ रुपये मिले हैं। नवंबर, 2023 में कुल 1388 करोड़ रुपये की वसूली हुई थी। विवाह आदि समारोह शुरू हो जाने के कारण राजस्व में यह उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है। वाणिज्य-कर विभाग को आशा है कि वित्तीय वर्ष के समापन तक वृद्धि का यह क्रम जारी रहेगा। हालांकि, इसी वर्ष अक्टूबर में हुई 1604 करोड़ रुपये की वसूली से नवंबर में 43 करोड़ रुपये कम जीएसटी मिले हैं।
अक्टूबर में अच्छी वसूली का कारण दशहरा और दीपावली रहा था। प्रतिशत के रूप में बड़े राज्यों में एकमात्र महाराष्ट्र की उपलब्धि बिहार से अधिक रही है। उसने 14 प्रतिशत अधिक का संग्रहण किया है। हालांकि, राशि के रूप में बिहार और महाराष्ट्र का अंतर काफी अधिक है। इस वर्ष नवंबर में महाराष्ट्र में 29948 करोड़ रुपये की वसूली हुई है। पड़ोसी झारखंड की उपलब्धि भी बिहार के बराबर ही 12 प्रतिशत अधिक की रही है। वहां कुल 2950 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं।
पिछली बार की तुलना में इस बार नवंबर में बंगाल और उत्तर प्रदेश में क्रमश: छह और पांच प्रतिशत अधिक जीएसटी की वसूली हुई है। राष्ट्रीय स्तर पर यह 9.38 प्रतिशत अधिक रही है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि अपने पड़ोसी राज्यों की तुलना में बिहार जीएसटी के रूप में राजस्व प्राप्त करने में अभी काफी पीछे है। इसका कारण उन राज्यों में औद्योगिक और व्यावसायिक परिवेश का बेहतर होना है।
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