Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Hallo Doctor: बदल गया है मौसम, बिना सलाह नहीं छोड़ें BP की दवा; पटना एम्‍स के डॉक्‍टर का परामर्श, यहां पढ़ें

    By Nalini Ranjan Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Sun, 07 Dec 2025 09:37 PM (IST)

    पटना एम्‍स के डॉक्‍टरों का कहना है कि मौसम बदलने पर ब्‍लड प्रेशर की दवाइयां बिना चिकित्‍सक की सलाह के नहीं छोड़नी चाहिए। तापमान में बदलाव के कारण ब्‍ल ...और पढ़ें

    Hero Image

    पाठकों के प्रश्‍नों का जवाब देते एम्‍स के मेडिसिन विभागाध्‍यक्ष प्रो. ज्योति प्रकाश। जागरण

    जागरण संवाददाता, पटना। Health News: ठंड का मौसम उच्च रक्तचाप (Hypertension) से पीड़ित लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार सर्दी बढ़ने के साथ रक्त धमनियों के सिकुड़ने, तला-भुना और नमकयुक्त भोजन की अधिकता, शारीरिक गतिविधियों की कमी और पसीना न निकलने जैसी वजहों से बीपी अनियंत्रित होने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यही कारण है कि शीतलहर के इस दौर में लगभग 20 प्रतिशत मरीजों का रक्तचाप नियंत्रण से बाहर पाया जा रहा है। BP नियंत्रित न रहने के कारण हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में भी करीब 25 प्रतिशत तक वृद्धि देखी गई है। अचानक दवा को छोड़ने से बीपी बढ़ सकता है, ऐसे में बगैर डाक्टर की सलाह के दवा नहीं छोड़नी चाहिए।

    रविवार को दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम ‘हेलो जागरण’ में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना के मेडिसिन विभागाध्यक्ष डा. ज्योति प्रकाश ने पाठकों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए यह बताया।

    उन्‍होंने कहा कि सर्दी में बीपी का उतार–चढ़ाव सामान्य है, लेकिन इसे हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। उन्होंने कहा कि समय-समय पर बीपी की जांच, दवाओं में आवश्यक समायोजन और चिकित्सकीय सलाह बेहद जरूरी है। प्रस्तुत है चुनींदा प्रश्नों के जवाब।

    85 वर्ष का हूं, बीपी और प्रोस्टेट है। क्या बीपी की दवा छोड़ सकते है।
    नहीं, बीपी की दवा एक बार शुरू करने के बाद अपने से नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि, बीपी की दवा छोड़ने पर अचानक बढ़ने का खतरा रहता है। ऐसे में बगैर परामर्श के दवा नहीं छोड़नी चाहिए।


    कहीं बैठते है तो पैर सुन्न हो जाता है, चलने पर ठीक रहता है।
    - बैठने पर नस दबने की संभावना होती है, इसे परिफेरल न्यूरोपैथी कहा जाता है। यह शुगर मरीजों में आम समस्या है। आप विशेषज्ञ से मिलकर आवश्यक जांच कराएं।

    बीपी लो रहता है, रात में पसीना आता है।
    -यदि बीपी की दवा नहीं खाते है तो खाने में नमक की मात्रा बढ़ा दें। पर्याप्त पानी लें। शुगर व थायराइड की जांच कराकर विशेषज्ञ से मिले।

    खांसी व सांस लेने में परेशानी होती है।
    - इस मौसम में अस्थमा की परेशानी बढ़ने लगती है। इसमें बचाव करें। ठंडी हवा, धूल-धुआं से परहेज करें। इसके बाद भी समस्या बरकरार रहने पर ओपीडी में दिखाएं।

    गला बैठ गया है, आवाज नहीं निकलता है, हल्की खांसी है।
    - दिन में तीन-चार बार गुनगुने पानी से गारगिल करें। कोई एंटी एलर्जिक दवा लें सकते है।

    2010 में बैलूनी हुआ था, मुंह सूखता है, क्या करें।
    - प्रोस्टेट ग्लैंड, थायराइड की जांच कराकर ओपीडी में मिले। 


    बीपी बढ़ने के मुख्य कारण 

    • ठंड में रक्त धमनियों के सिकुड़ने से हृदय को खून पंप करने में अधिक दबाव लगता है।
    • हार्ट रेट और हार्मोनल उतार–चढ़ाव भी बीपी को प्रभावित करते हैं।
    • तला-भुना, अधिक नमक वाला खानपान, तनाव और गुस्सा बीपी बढ़ाने वाले प्रमुख कारक हैं।
    • ब्लड प्रेशर बढ़ने पर हार्ट फेल्योर, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है।
    • एंड्रिनल हार्मोन का अधिक स्राव बीपी हाई करता है जबकि कम स्राव से बीपी लो हो सकता है।

     

    किन कारणों से और बढ़ता है खतरा

    • हृदय की रक्त वाहिनियों में रुकावट
    • किडनी संबंधी रोग, मधुमेह
    • स्टेरायड का लगातार सेवन
    • अधिक वजन या मोटापा
    • इन स्थितियों में बीपी अनियंत्रित होने पर हार्ट फेल्योर, ब्रेन हैमरेज, माइग्रेन और तेज सिरदर्द की शिकायतें बढ़ सकती हैं।

     

    सर्दी में कैसे नियंत्रित रखें BP 

    • ठंड से बचाव करते हुए धूप में हल्का व्यायाम या नियमित टहलना
    • नमक, तेल, तला-भुना और पैकेज्ड फूड से बचें
    • धूम्रपान और शराब से परहेज करें
    • तनाव कम करें और पर्याप्त नींद लें
    • बीपी की नियमित जांच करें और दवा बंद करने की गलती न करें