High Court News: पत्नी को 20 हजार मासिक भरण-पोषण देने के आदेश को हाईकोर्ट ने किया रद्द
पटना हाईकोर्ट ने सारण के पारिवार न्यायालय के पत्नी को 20 हजार मासिक भरण-पोषण देने के आदेश को रद्द कर दिया। अदालत ने पाया कि पत्नी ने पहले विवाह और गुजारा भत्ता की जानकारी छुपाई थी। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि भरण-पोषण तय करने से पहले पति-पत्नी दोनों की आय का शपथपत्र अनिवार्य है।

विधि संवाददाता, पटना। पटना हाईकोर्ट ने सारण के पारिवार न्यायालय द्वारा पत्नी को 20 हज़ार मासिक भरण-पोषण देने के आदेश को रद्द कर दिया है। न्यायाधीश विवेक चौधरी की एकल पीठ ने पति रवि प्रकाश सक्सेना की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि आदेश पारित करते समय परिवार न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय दिशानिर्देशों की अनदेखी की है।
अदालत ने पाया कि पत्नी ने न्यायिक कार्यवाही में अपने पहले विवाह और उससे प्राप्त भारी-भरकम गुजारा भत्ता को छुपाया। रिकॉर्ड के अनुसार, पहले पति से तलाक के समय उसे ₹40 लाख का सेटलमेंट मिल चुका था। इसके बावजूद पारिवार न्यायालय ने मई 2024 में उसे ₹20 हज़ार मासिक भरण-पोषण देने का आदेश दिया था।
पति की ओर से दलील दी गई कि पत्नी को उच्च शिक्षा प्राप्त है, आत्मनिर्भर हो सकती है और जानबूझकर आय-व्यय की सही जानकारी अदालत से छुपाती रही। वहीं पत्नी ने पति पर ₹15 लाख दहेज मांगने और मानसिक-शारीरिक उत्पीड़न के आरोप लगाए।
हाईकोर्ट ने कहा कि राजनीश बनाम नेहा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि भरण-पोषण तय करने से पहले पति-पत्नी दोनों की आय, संपत्ति और देनदारियों का शपथपत्र अनिवार्य है। चूंकि परिवार न्यायालय ने इस पर विचार नहीं किया, इसलिए आदेश को अवैध ठहराया जाता है।
मामले को दोबारा सुनवाई के लिए छपरा स्थित पारिवार न्यायालय को भेजते हुए हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि दोनों पक्ष चार हफ्तों में अपनी संपत्ति और आय का शपथपत्र दाखिल करें और इसके बाद अदालत चार हफ्तों के भीतर नए सिरे से निर्णय दे ।
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