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    Lohri 2025: सूर्यास्त के बाद मचेगी लोहड़ी की धूम, घर में समृद्धि के लिए अग्नि देव को अर्पित करें ये चीजें

    Updated: Mon, 13 Jan 2025 02:31 PM (IST)

    लोक संस्कृति व कृषि से जुड़ा है लोहड़ी का पर्व उत्तर भारत के प्रमुख पर्वों में से एक है। इसे सूर्यास्त के बाद मनाते हैं। लोहड़ी का त्योहार बसंत के आगमन का प्रतीक माना जाता है। इस दिन अग्नि में मूंगफली तिलपट्टी मकई के लावा आदि को अर्पित करके अग्नि देव की परिक्रमा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

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    सूर्यास्त के बाद मनाया जाएगा लोहड़ी का त्योहार

    जागरण संवाददाता, पटना। मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व उत्तर भारत के प्रमुख पर्वों में से एक लोहड़ी का पर्व राजधानी में प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाया जाता है। पंजाबी बिरादरी की ओर से आयोजित कार्यक्रम में महिलाओं के साथ पुरुष व बच्चों की भागीदारी होती है। पर्व को लेकर महिलाओं में खास उत्साह रहता है।

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    अपनेपन, प्रेम और भाईचारे का पर्व

    • बिरादरी की अध्यक्ष उमा सिंह बताती हैं कि पर्व हमारी लोक संस्कृति, कृषि से जुड़ी हुई है। यह पर्व अपनापन, प्रेम और भाईचारे का होता है।
    • रबी की फसल कटने के बाद उसे लोहड़ी के दिन अग्नि देवता को भेंट कर उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं। लोगों के बीच गुड़ व तिल से बनी सामग्री को वितरित की जाती है।

    पंजाबी लोक गीतों पर नृत्य कर मनाते हैं जश्न

    पर्व को खास बनाने को लेकर महिलाएं पारंपरिक परिधान में सजने के बाद पंजाबी लोक गीत गाती हुई गिद्धा तथा भांगड़ा जैसे नृत्य करती हैं। पर्व सूर्यदेव के साथ अग्नि देवता से जीवन में खुशहाली की प्रार्थना के लिए किया जाता है।

    सूर्यास्त के बाद मनाया जाएगा पर्व

    बिरादरी की वित्तीय समन्वयक हेमा गाला बताती हैं कि लोहड़ी का पर्व हम सभी पंजाबी बिरादरी से जुड़े लोग सूर्यास्त के बाद मनाते हैं। इसके लिए 10-15 दिनों से तैयारी चलती है।

    लोग घर-घर जाकर लकड़ी, सूखे उपले मांगते हैं। पर्व के दिन अग्नि देव की पूजा करने के बाद इसमें सारी सामग्री को डाल दी जाती है। इस दौरान मूंगफली, तिलपट्टी, मकई के लावा आदि सामग्री अग्नि देव को भेंट की जाती है और अग्नि की सात परिक्रमा की जाती है।

    अग्नि में काले तिल अर्पित करने का विशेष महत्व

    तिल को घर की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। लोग इस दौरान अग्नि के चारों ओर सात परिक्रमा करते हैं और काले तिल को अग्नि में अर्पित करते हैं। खुशी दिखाने के लिए पारंपरिक गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं।

    बसंत के आगमन का प्रतीक है लोहड़ी का पर्व

    यह पर्व सर्दियों के अंत और बसंत के आगमन का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व उन लोगों के लिए सबसे खास होता है, जिनकी नई शादी हुई होती है या फिर जिनके घर में बच्चों का जन्म होता है।

    लोहड़ी के पर्व में सभी रिश्तेदार शामिल होते हैं। इस पर्व के जरिए समाज में एक दूसरे का मेलजोल और एकता को बल बढ़ाने में सहयोग मिलता है।

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