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    Mahagathbandhan Seat Sharing: अभी करना होगा और इंतजार, दीपंकर भट्टाचार्य ने बताया कब तक होगी सीट शेयरिंग

    Updated: Sat, 11 Oct 2025 07:42 PM (IST)

    भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि महागठबंधन में सीट बंटवारे पर बातचीत अंतिम चरण में है और जल्द ही इसका समाधान हो जाएगा। उन्होंने 2020 की कमियों को दूर कर एनडीए को हराने का लक्ष्य बताया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार को जेपी के रास्ते पर चलकर तानाशाही से मुक्ति की भूमिका निभानी होगी।

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    एक-दो दिनों में महागठबंधन में सीट शेयरिंग की घोषणा : दीपंकर भट्टाचार्य 

    राज्य ब्यूरो, पटना। भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर बातचीत अंतिम चरण में है। बस फाइनल टच देने की कोशिश हो रही है। एक-दो दिनों में महागठबंधन में सीट शेयरिंग का मामला हल हो जाएगा और इसकी घोषणा भी होगी। 

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    2020 में एनडीए को हराने में जो कमी रह गई थी, उस कमी को इस बार दूर कर महागठबंधन एनडीए को हराकर भारी बहुमत से सरकार बनाएगी। शनिवार को उन्होंने यह बात पत्रकारों से कही। 

    सीट बंटवारा कोई मसला नहीं

    इससे पहले दीपंकर ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर गांधी मैदान स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस अवसर भाकपा माले की विधान पार्षद शशि यादव, वीरेंद्र झा, दिव्या गौतम, जितेंद्र यादव, रणविजय कुमार, संतोष सहर, पुनीत पाठक और अली शाहिद समेत अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी।

    मौके पर पत्रकारों द्वारा माले के 40 सीटों पर चुनाव लड़ने संबंधी सवाल पर दीपंकर ने कहा कि यह सही है कि 2020 की तुलना में भाकपा माले ने अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है लेकिन अब सवाल एनडीए को हराने का है, महागठबंधन की मजबूती का है। इसलिए अब यह कोई मसला नहीं है। 

    सम्मानजनक सीटें मिलनी चाहिए

    सबसे महत्वपूर्ण है कि इस चुनाव में महागठबंधन को बहुमत कैसे मिले। कुछ नई पार्टी भी जुड़ी है। उन्होंने मुकेश सहनी का समर्थन करते हुए कहा कि उन्हें भी सम्मानजनक सीटें मिलनी चाहिए। 

    कांग्रेस से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि उनसे भी अंतिम दौर में बातचीत है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण को याद करते हुए दीपंकर ने कहा कि लोकनायक तानाशाही और भ्रष्टाचार के खिलाफ चले ऐतिहासिक आंदोलन के प्रेरणा स्रोत थे। 

    आज जब देश में फिर से लोकतंत्र पर हमले हो रहे हैं, तब बिहार को एक बार फिर जेपी के रास्ते पर चलकर भाजपा-जद(यू) की तानाशाही से मुक्ति की भूमिका निभानी है।