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    Nitish Kumar: 1985 में पहली बार बने विधायक, 6 बार सांसद और अटल सरकार में संभाली 'रेल'

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 01:34 PM (IST)

    नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण नाम हैं। वे दो बार चुनाव हारने के बावजूद 2006 से लगातार MLC कोटे से मुख्यमंत्री बने हुए हैं। उनका लंबा राजनीतिक अनुभव और राज्य के विकास में योगदान उन्हें खास बनाता है। उन्होंने बिहार को आगे बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।

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    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार।

    डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विधायी सफर राजनीतिक अनुभव और प्रशासनिक दक्षता का उदाहरण है। उन्होंने विधानसभा चुनावों में भाग लिया और 2005 से विधान परिषद (MLC) के सदस्य के रूप में कार्य करते हुए मुख्यमंत्री पद संभाला। 2024 में वे चौथी बार विधान परिषद पहुंचे थे।

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    राजनीतिक विश्लेषक ओमप्रकाश अश्क कहते हैं कि चुनाव लड़े या न लड़े बिहार के सर्वमान्य लीडर नीतीश कुमार ही हैं। हरनौत उनका पारंपरिक सीट रहा है। यहां से वे दो बार चुनाव हारे हैं, तो दो बार जीते भी हैं।

    विधानसभा क्षेत्र से उनकी आखिरी जीत 1995 में हुई। इसके बाद से विधानसभा का प्रत्यक्ष चुनाव नहीं लड़े हैं। यह दृष्टिकोण चुनावी प्रक्रियाओं से अलग होकर प्रशासन पर अधिक समय देने की अनुमति प्रदान करता है।

    विधानसभा चुनाव में भागीदारी

    • 1977: हरनौत विधानसभा सीट से चुनाव लड़े, लेकिन निर्वाचित नहीं हुए।
    • 1980: हरनौत सीट से चुनाव लड़े, हार का सामना करना पड़ा।
    • 1985: हरनौत (नालंदा) सीट से निर्वाचित हुए।
    • 1995: हरनौत सीट से दूसरी बार निर्वाचित।
    • इसके बाद उनका ध्यान राष्ट्रीय स्तर की राजनीति पर केंद्रित हुआ।

    छह बार सांसद चुने गए, अटल सरकार में रेल मंत्री रहे

    1995 के बाद नीतीश कुमार ने केंद्र की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई। वह कुल 6 बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए, जिनमें 1989, 1991, 1996, 1998, 1999, और 2004 के निर्वाचन वर्ष शामिल हैं। 1989 से 2004 तक, उन्होंने केंद्र में सक्रिय रूप से कार्य किया और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में महत्वपूर्ण पद संभाले, जिनमें कृषि मंत्री और रेल मंत्री के पद प्रमुख हैं।

    विधान परिषद में सदस्यता

    2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने विधान परिषद का विकल्प चुना, जो उन्हें शासन पर ध्यान केंद्रित करने की सुविधा देता है।

    नीतीश कुमार के विधान परिषद कार्यकाल

    • 2006: पहली बार सदस्य बने।
    • 2012: दूसरी बार सदस्य बने।
    • 2018: तीसरी बार सदस्य बने।
    • 2024: चौथी बार सदस्य बने।

    बिहार विधान परिषद का संवैधानिक महत्व

    बिहार विधान परिषद भारतीय संविधान के अनुच्छेद 171 के तहत द्विसदनीय विधायिका का ऊपरी सदन है, जिसमें 75 सदस्य हैं। यह विधायी प्रक्रिया में जांच और संतुलन सुनिश्चित करता है।

    यह प्रणाली विशेषज्ञता और विविध प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है, जिससे प्रशासक अपनी क्षमताओं का उपयोग कर सकते हैं। सदस्यों का चयन विभिन्न कोटे से होता है।

    • एक तिहाई: विधानसभा सदस्यों द्वारा निर्वाचित।
    • एक तिहाई: स्थानीय निकायों के सदस्यों द्वारा निर्वाचित।
    • एक बारहवां भाग: स्नातकों द्वारा निर्वाचित।
    • एक बारहवां भाग: शिक्षकों द्वारा निर्वाचित।
    • एक छठवां भाग: राज्यपाल द्वारा कला, साहित्य, विज्ञान आदि क्षेत्रों के विशेषज्ञों को मनोनीत।

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