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    नीतीश सरकार में विधानसभा में बढ़ी आधी आबादी की भागीदारी, महिला विधायकों की संख्या में बढ़ोतरी की उम्मीद

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 04:26 PM (IST)

    बिहार की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है राजनीतिक दल उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर जिम्मेदारी दे रहे हैं। विधानसभा में महिला विधायकों की आवाज सशक्त हो रही है। नीतीश सरकार ने महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ने का अवसर दिया है जिससे वे अब विधायिका और संसद तक पहुंच रही हैं।

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    नीतीश सरकार में विधानसभा में बढ़ी आधी आबादी की भागीदारी

    दीनानाथ साहनी, पटना। बिहार की राजनीति में आधी आबादी की भागीदारी बढ़ रही है। इसकी नजीर है-राजनीतिक पार्टियों में आधी आबादी को विभिन्न पदों पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा रही है तो उन्हें चुनावी मैदान में उतारने में भी पार्टियां पीछे नहीं हैं। इसकी धमक विधानसभा में बखूबी सुनाई दे रही है।

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    सदन में महिला विधायकों की मुखर होती आवाज ने आधी आबादी को राजनीति में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी किया है। इसकी वजह महिलाओं में अपने अधिकारों के प्रति आई जागृति को माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नीतीश शासन में विभिन्न क्षेत्रों में आधी आबादी को आगे बढ़ने का भरपूर अवसर मिला।

    यही अवसर महिलाओं को राजनीति के रास्ते विधानसभा से लेकर संसद तक पहुंचाने में मददगार साबित हो रहा है। देखा जाए तो बीते दो दशक में आधी आबादी की भागीदारी विधायिका में तेजी से बढ़ी और यह उम्मीद की जा रही है कि इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में भी आधी आबादी की विधायिका में भागीदारी बढ़ने वाली है।

    सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि देश की आजादी के बाद 1952 के पहले बिहार विधानसभा चुनाव में 46 महिला उम्मीदवारों में से 25 ने दमदार जीत के साथ बतौर विधायक सदन में पहुंची थीं। तब से आधी आबादी की जीत का सिलसिला चल पड़ा। हालांकि, 1972 के चुनाव में महिला विधायक की संख्या शून्य पर आ गई थी, जबकि उस चुनाव में 45 महिलाएं चुनाव मैदान में थीं। इससे पहले 1957 के चुनाव में 46 महिलाए बतौर उम्मीदवार थीं तब 30 महिलाएं विधायक बनी थीं।

    1962 में 42 महिला उम्मीदवार में से 25,1967 में 29 उम्मीदवार में से 6 और 1969 में 20 उम्मीदवार में से चार महिलाएं जीती थीं। रोचक यह कि 1977 के चुनाव में 96 महिला उम्मीदवार थीं उनमें मात्र 13 महिलाएं ही जीत पायी थीं। वैसे बिहार विधानसभा के सत्रह बार चुनाव हुए हैं जिसमें कुल 285 महिलाएं विधायक हुईं।

    बिहार विधानसभा चुनाव संबंधी भारत निर्वाचन आयोग के आंकड़े को देखें तो 1980 के चुनाव में 77 महिला उम्मीदवार थीं, किंतु उनमें से मात्र 11 महिलाओं को जीत नसीब हुईं।इसी प्रकार 1985 के चुनाव में 103 महिला उम्मीदवार थीं, परंतु सिर्फ 15 महिलाएं ही जीत दर्ज कर पायीं। 1990 को सामाजिक व राजनीतिक रूप से उथल-पुथल का दौर माना जाता है। इस बदलाव के दौर में जब 1990 का विधानसभा चुनाव हुआ तब 147 महिला उम्मीदवार मैदान में उतरीं, किंतु मात्र 10 महिला ही विधायक बन पाईं। वहीं 1995 के चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या 263 पर आई, किंतु मात्र 11 महिलाएं ही सदन में पहुंची।

    2000 के चुनाव में 189 महिला उम्मीदवारो में 19 ही जीत पाईं। 2005 में विधानसभा का दो बार चुनाव हुआ। इस साल फरवरी के चुनाव में 138 महिला उम्मीदवार थीं परंतु 25 महिलाएं ही जीतीं। दोबारा अक्टूबर के चुनाव हुआ तब 234 महिला उम्मीदवारों में से मात्र तीन ही जीत सकीं। 2010 के चुनाव में 307 महिला उम्मीदवार थीं इनमें से 34 महिलाएं जीतीं। 2015 के चुनाव में 273 महिलाएं उम्मीदवारों में से 28 विधायक बनीं। 2020 के चुनाव में 370 महिला उम्मीदवार थीं उनमें 26 महिलाएं विधायक बनकर सदन में पहुंची।

    1952 से 2020 तक महिला विधायकों की संख्या

    1952 25
    1957 30
    1962 25
    1967 6
    1969 4
    1972 शून्य
    1977 13
    1980 11
    1985 15
    1990 10
    1995 11
    2000 19
    2005 (फरवरी) 3
    2005 (अक्टूबर) 25
    2010 34
    2015 28
    2020 26