दो लाख से अधिक डाक मतपत्रों में से लगभग 24 हजार अस्वीकृत, महिला मतदाताओं ने ज्यादा किया वोट
इस बार दो लाख से अधिक डाक मतपत्रों में से लगभग 24 हजार अस्वीकृत हो गए। अस्वीकृति के पीछे तकनीकी कारण बताए जा रहे हैं। चुनाव में महिला मतदाताओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक भागीदारी दिखाई है। चुनाव आयोग ने निष्पक्ष चुनाव के लिए पूरी तैयारी की है।

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के मतों की गणना के दौरान दो लाख से अधिक डाक मतपत्रों में से लगभग 24,000 अस्वीकृत हो गए। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, कुल 5.02 करोड़ मतों (ईवीएम और डाक मतपत्र सहित) में से 4.93 करोड़ वैध और 9.34 लाख अवैध पाए गए।
कुल 2.01 लाख डाक मतों में से 23,918 अस्वीकृत हो गए। कुल डाक मतों में अस्वीकृत डाक मतों का प्रतिशत 11.87 प्रतिशत दर्ज किया गया। उपरोक्त में से कोई नहीं (नोटा) के तहत डाले गए मतों की संख्या 9.10 लाख थी, जिसमें ईवीएम और डाक मतपत्रों के माध्यम से भेजे गए मत भी सम्मिलित हैं।
यह 1.81 प्रतिशत है। वरिष्ठ नागरिक (85 वर्ष से अधिक आयु के), दिव्यांगजन और आवश्यक सेवाओं में कार्यरत व्यक्ति डाक मतपत्र के लिए पात्र हैं। उल्लेखनीय है कि इस बार कुल 67.25 प्रतिशत मतदान हुआ।
यह राज्य में अब तक का सबसे अधिक मतदान है, जहां 91 हजार से कुछ अधिक मतदान केंद्रों पर महिला मतदाताओं ने पुरुषों की तुलना में लगभग नौ प्रतिशत अधिक मतदान किया।
इस बार विधानसभा चुनाव में 187 मंगलामुखी (थर्ड जेंडर) मतदाताओं ने मतदान किया, जबकि ऐसे मतदाताओं की संख्या 1,701 (सर्विस वोटर्स सहित) है।
बिहार के चुनावी इतिहास में पहली बार एक मंगलामुखी प्रत्याशी भी रही, जिसकी जमानत जब्त हो गई। गोपालगंज जिला में भोरे के मैदान में प्रीति किन्नर पर जान सुराज पार्टी ने दांव था। इस बार बंपर मतदान का रिकार्ड (67.25 प्रतिशत) बना, जिसमें मंगलामुखी का 10.99 प्रतिशत मतदान रिकार्ड हुआ।
2,107 की जमानत जब्त
चुनाव मैदान में 2,616 प्रत्याशी थे, जिनमें से 2,107 की जमानत जब्त हो गई।विधानसभा चुनाव लड़ने वाले को 10,000 रुपये की सिक्योरिटी डिपाजिट देनी होती है।
अनुसूचित जाति या जनजाति के लिए यह 5,000 रुपये है। अगर कोई प्रत्याशी संबंधित विधानसभा क्षेत्र में डाले गए वैध वोटों के छठे हिस्से से कुछ अधिक वोट नहीं ला पाता है, तो वह अपनी सिक्योरिटी डिपाजिट गंवा देता है।

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