बिहार के 3 करोड़ मतदाताओं के पास नहीं है दस्तावेज, अब उनका क्या होगा? भाकपा-माले के नेता ने पूछा सवाल
भाकपा-माले ने मतदाता सूची पुनरीक्षण के खिलाफ राज्यव्यापी अभियान शुरू किया। दीपंकर भट्टाचार्य ने चुनाव आयोग पर गरीबों और मजदूरों से दस्तावेज मांगने का आरोप लगाया जबकि उनके पास दस्तावेज नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आयोग सफाई दे रहा है मामला उलझाऊ है। आजादी के बाद पहली बार नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज मांगे जा रहे हैं।

राज्य ब्यूरो, पटना। चुनाव आयोग के मतदाता सूची पुनरीक्षण के खिलाफ भाकपा-माले की ओर से मंगलवार को राज्यव्यापी जागरुकता अभियान शुरू किया गया।
पार्टी के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य के 4.96 करोड़ मतदाताओं की बात करके चुनाव आयोग झूठी तसल्ली दे रहा है कि उन्हें दस्तावेज नहीं देने होंगे। लेकिन, लगभग 3 करोड़ मतदाता, खासकर गरीब, दलित, पिछड़े और मजदूर, जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं, उनका क्या होगा?
दीपंकर ने कहा कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर जितनी सफाई चुनाव आयोग दे रहा है, मामला उतना ही ज्यादा उलझाऊ और संदेहास्पद होता जा रहा है। वोट केवल भारत के नागरिक दे सकते हैं, यह सभी जानते हैं।
लेकिन, आजादी के बाद से आज तक कभी किसी मतदाता से उसकी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज नहीं मांगे गए। यह राज्य की जिम्मेदारी रही है कि अगर किसी पर संदेह है तो उसे राज्य साबित करें।
अब हर मतदाता पर शक करके ऐसे कागज मांगे जा रहे हैं, जो आज भी करोड़ों भारतीयों के पास नहीं हैं। हर जन्म का पंजीकरण कराना राज्य की जिम्मेदारी है। पंजीकरण न होने से कोई जन्म अमान्य नहीं होता।
चुनाव आयोग यह क्यों नहीं बताता कि विशेष गहन पुनरीक्षण जैसी बड़ी प्रक्रिया शुरू करने से पहले किसी राजनीतिक दल से कोई सलाह-मशविरा क्यों नहीं किया गया?

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।