बिहार में मॉडल प्रिजन मैनुअल 2016 लागू करने को लेकर दायर लोकहित याचिका पर हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
पटना हाईकोर्ट ने बिहार में मॉडल प्रिजन मैनुअल, 2016 को लागू करने के संबंध में राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। अधिवक्ता अभिनव शांडिल्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार से पूछा कि इस मामले में क्या प्रगति हुई है। अदालत ने 21 नवंबर 2025 तक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार के मॉडल प्रिजन मैनुअल को लागू करने की मांग की है, जिसे कई राज्यों ने पहले ही लागू कर दिया है।

विधि संवाददाता, पटना। पटना हाईकोर्ट ने अधिवक्ता अभिनव शांडिल्य द्वारा दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा है कि बिहार में मॉडल प्रिजन मैनुअल, 2016 के क्रियान्वयन को लेकर अब तक क्या प्रगति हुई है। अदालत ने राज्य के गृह विभाग सहित संबंधित अधिकारियों को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश पी. बी. बजनथ्री और न्यायाधीश आलोक कुमार सिन्हा की खंडपीठ ने उक्त आदेश पारित करते हुए 21 नवंबर 2025 को पुनः सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है। अधिवक्ता अभिनव शांडिल्य ने अपनी लोकहित याचिका में मांग की है कि केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016 में तैयार मॉडल प्रिजन मैनुअल को बिहार में लागू किया जाए।
यह मैनुअल सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अनुरूप तैयार किया गया था ताकि देशभर की जेलों में कानून और नीतियों में एकरूपता लाई जा सके। उन्होंने दलील दी कि वर्ष 2023 में राज्य सरकार द्वारा प्रिजन मैन्युअल में संशोधन कर पूर्व सांसद आनंद मोहन को रिहा किया गया था । हालांकि, बिहार सरकार इस मैनुअल को लागू करने के अपने वैधानिक दायित्व के बावजूद पिछले नौ वर्षों में भी इसे लागू नहीं कर पाई है, जबकि देश के अधिकांश राज्यों ने इसे पहले ही लागू कर दिया है।
खंडपीठ ने यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार को इस विषय पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी और अदालत के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी कि मॉडल प्रिजन मैनुअल, 2016 को लागू करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी ।
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