ITR Return: सुबह का भुगतान शाम तक नहीं हुआ अपडेट, एडवांस टैक्स जमा करने में भी परेशानी
आयकर विभाग के अनुसार आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की अंतिम तिथि पर वेबसाइट की धीमी गति के कारण करदाताओं को काफी परेशानी हुई। सर्वर डाउन होने ओटीपी में देरी और एआईएस डाउनलोड में समस्या आई। विशेषज्ञ बताते हैं कि अंतिम समय में वेबसाइट पर अधिक भार होने के कारण यह समस्या आई। अब करदाता जुर्माने के साथ आईटीआर दाखिल कर सकते हैं।

जागरण संवाददाता, पटना। आयकर विभाग की ओर से निर्धारित आयकर रिटर्न (ITR Return) दाखिल करने की अंतिम दिन सोमवार को देर रात तक आईटीआर दाखिल करने की प्रक्रिया चलती रही। आयकर विभाग की वेबसाइट की धीमी गति के कारण एक आईटीआर दाखिल करने में दो-दो घंटे लग रहे थे।
कभी लिंक फेल होना तो कभी सर्विस अनएवलेवल के संदेश से करदाताओं और चार्टर्ड अकाउंटेंट, प्रोफेशनल परेशान रहे। रविवार से ही साइट की परेशानी सोमवार को जारी रहा। सर्वर डाउन होने से करदाताओं की आईटीआर दाखिल करने व ई-वेरिफिकेशन की परेशानी रही।
ओटीपी नहीं आने के कारण सभी केवल आईटीआर फाइल कर ई-वेरिफिकेशन को लेकर बाद में प्रक्रिया करने की बात सीए अपने क्लाइंटों को दे रहे थे।
वेबसाइट की परेशानी के कारण एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (एआईएस) एवं टैक्स पेयर इन्फॉर्मेशन समरी (टीआईएस) भी डाउनलोड करने में परेशानी हो रही थी, जबकि सुबह में ऑनलाइन टैक्स के भुगतान की जानकारी शाम तक अपडेट नहीं दिखी। रात आठ बजे के बाद वेबसाइट थोड़ी राहत दी, लेकिन परेशानी बरकरार रही।
आयकर विशेषज्ञ सीए रश्मि गुप्ता व सीए आशीष रोहतगी ने बताया कि अंतिम समय नजदीक आने के कारण वेबसाइट पर अधिक भार पड़ा है, इसके कारण काफी संख्या में लोगों का रिटर्न दाखिल नहीं हो सका। बताया कि सुबह का ऑनलाइन भुगतान किया हुआ, शाम तक अपडेट नहीं हो रहा था। लगातार सर्विस अनएवलेवल दिख रहा था। इस कारण से एक आयकर रिटर्न फाइल करने में करीब दो घंटे लगे।
अब जुर्माने के साथ दाखिल किया जा सकता है आयकर रिटर्न
करदाताओं की सुविधा के लिए आयकर विभाग ने अंतिम तिथि बीत जाने के बाद भी आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की सुविधा दी है। इसके लिए करदाताओं को जुर्माना (लेट फीस) चुकाना होगा। नियमों के अनुसार, यदि किसी करदाता की आय कर योग्य है और उसने निर्धारित समय सीमा तक रिटर्न दाखिल नहीं किया है, तो वह विलंब शुल्क जमा कर रिटर्न दाखिल कर सकता है।
यह शुल्क कर योग्य आय के आधार पर तय होता है, जो पांच हजार रुपये तक हो सकता है। विभागीय निर्देश के अनुसार कुल आय पांच लाख रुपये से कम हो तो एक हजार रुपये तथा पांच लाख से अधिक आय की स्थिति में पांच हजार रुपये लेट फाइन निर्धारित है।
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