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    आइजीआइएमएस में करोड़ों की पेट स्कैन मशीन धूल फांक रही, मरीज दर-दर भटकने को मजबूर

    Updated: Tue, 19 Aug 2025 06:13 PM (IST)

    राजधानी के प्रतिष्ठित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में करोड़ों रुपये की लागत से खरीदी गई पेट पाजिट्रान एमिशन टोमोग्राफी (पेट) स्कैन मशीन कई महीनों से यूं ही पड़ी हुई है। तकनीकी स्टाफ की कमी के कारण यह अत्याधुनिक मशीन धूल फांक रही है मशीन चालू न होने से इसका लाभ नहीं मिल पा रहा।

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    आइजीआइएमएस में करोड़ों की पेट स्कैन मशीन धूल फांक रही, मरीज दर-दर भटकने को मजबूर

    नलिनी रंजन, पटना। राजधानी के प्रतिष्ठित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) में करोड़ों रुपये की लागत से खरीदी गई पेट पाजिट्रान एमिशन टोमोग्राफी (पेट) स्कैन मशीन कई महीनों से यूं ही पड़ी हुई है। तकनीकी स्टाफ की कमी के कारण यह अत्याधुनिक मशीन धूल फांक रही है, जबकि कैंसर सहित गंभीर बीमारियों के सैकड़ों मरीजों को जांच के लिए निजी केंद्रों या दूसरे अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है।

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    मरीजों का कहना है कि संस्थान में मशीन तो है, लेकिन उसका कोई लाभ नहीं मिल रहा। निजी केंद्रों पर एक पेट स्कैन की कीमत 20 से 30 हजार रुपये तक है, जो गरीब मरीजों की पहुंच से बाहर है। सरकारी अस्पताल में यह जांच सस्ती दरों पर हो सकती थी, लेकिन मशीन चालू न होने से इसका लाभ नहीं मिल पा रहा।

    आइजीआइएमएस के चिकित्सा अधीक्षक डा. मनीष मंडल ने बताया कि संस्थान में पेट स्कैन चालू कराने को लेकर आवश्यक कवायद की जा रही है। डाक्टर नियुक्त हो चुके है, जबकि तकनीकी कर्मचारी की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है।

    22 सितंबर 2020 को आरंभ हुआ था स्टेट कैंसर संस्थान

    आइजीआइएमएस परिसर में 22 सितंबर 2020 में स्टेट कैंसर संस्थान (एससीआइ) बनकर तैयार हुआ था। यहां अत्याधुनिक पेट स्कैन सहित कई रेडिएशन की उपकरण लगाएं गए थे। वर्ष 2021 से पेट स्कैन जांच आरंभ हुआ, फरवरी 2024 में सीनियर रेजीडेंसी कर रहे डाक्टर ने अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद दूसरे अस्पताल में नौकरी कर लिया। जबकि, इसी बीच एक तकनीकी कर्मचारी भी दूसरे संस्थान में नौकरी कर लिया। इसके बाद से ही आइजीआइएमएस में पेट स्कैन बंद है। अब संस्थान की ओर से रेजीडेंट डाक्टर नियुक्ति तो हो गए है, लेकिन तकनीकी कर्मचारी के नियुक्ति नहीं होने से पेट स्कैन बंद है।

    हर दिन ओपीडी में पहुंचते है करीब तीन-साढ़े तीन सौ मरीज

    स्टेट कैंसर मरीज में हर दिन 300-350 मरीज पहुंचते है। इसमें करीब 300 मरीज फालोअप में, जबकि 40-50 नए मरीज आते है। इसके अतिरिक्त कुछ मरीज दूसरे अस्पतालों से ट्रांसफर होकर बेहतर उपचार के लिए आते है। करीब ढ़ाई सौ करोड़ की लागत से बने स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में अत्याधुनिक सुविधाएं है।

    यहां एक छत के नीचे ही इमरजेंसी से लेकर ओपीडी व अत्याधुनिक आपरेशन थिएटर की सुविधा संचालित हो रही है। यहां के करीब 10-15 मरीजों को हर दिन पेट-स्कैन कराने की सलाह दी जाती है, मशीन के नहीं चलने के कारण मरीजों को दूसरे अस्पतालों में जाना पड़ता है, जहां 20-30 हजार रुपये खर्च करने पड़ते है, जबकि आइजीआइएमएस में महज 10 हजार में ही यह सुविधा उपलब्ध थी।