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    Life Insurance: बीमा कंपनी ने 50 लाख देने में आनाकानी की, अब देने पड़े 64.36 लाख

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 06:52 PM (IST)

    विनोद शर्मा की मृत्यु के बाद पीएनबी मेट लाइफ इंश्योरेंस ने उनकी पत्नी के दावे को गुर्दे की बीमारी के कारण अस्वीकार कर दिया। जिला उपभोक्ता आयोग ने पाया कि कंपनी के पास बीमारी छुपाने का कोई सबूत नहीं है। आयोग ने बीमा कंपनी को ब्याज सहित 50 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया साथ ही मानसिक उत्पीड़न और कानूनी खर्च के लिए मुआवजा भी देना पड़ा।

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    बीमा कंपनी ने 50 लाख देने में आनाकानी की, अंतत: देने पड़े 64.36 लाख

    राज्य ब्यूरो, पटना। पीएनबी मेट लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से फुलवारीशरीफ के विनोद शर्मा ने 50 लाख रुपये की बीमा पॉलिसी ली थी। 18 अप्रैल, 2022 को उनकी मृत्यु हो गई। पत्नी गीता देवी नॉमिनी थी। गुर्दे की बीमारी का हवाला देकर बीमा कंपनी ने दावे को निरस्त कर दिया।

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    मामला जिला उपभोक्ता आयोग तक पहुंचा। बीमा कंपनी को ब्याज सहित दावे की राशि के साथ मुआवजा का भी भुगतान करना पड़ा है। बीमा कंपनी ने गीता को कुल 64 लाख 36 हजार 18 रुपये का भुगतान किया है।

    बीमा कंपनी ने 22 सितंबर, 2022 को लिखित रूप में गीता के दावे को निरस्त कर दिया था। यह आधार बताते हुए कि ऐसे मेडिकल रिकॉर्ड मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि विनोद शर्मा किडनी की बीमारी से पीड़ित थे और पॉलिसी जारी होने के पहले से ही उनकी चिकित्सा हो रही थी।

    पॉलिसी के समय उन्होंने बीमारी के बारे में जानकारी नहीं दी थी। पॉलिसी 27 मई, 2021 को जारी हुई थी।

    मामले की जांच-पड़ताल में पटना जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष प्रेम रंजन मिश्रा और सदस्य रजनीश कुमार ने पाया कि बीमा कंपनी के पास ऐसा कोई साक्ष्य नहीं, जिससे सिद्ध हो कि विनोद ने पॉलिसी खरीदते समय अपनी बीमारी की बात छुपाई, इसलिए दावे को अस्वीकार करना पूरी तरह से अवैध और निराधार है। दावा जायज है।

    विद्वान निर्णयकर्ताओं ने बीमा कंपनी को शिकायत दर्ज होने की तिथि (29 सितंबर, 2022) से नौ प्रतिशत ब्याज जोड़ते हुए 50 लाख रुपये भुगतान का निर्देश दिया।

    मानसिक-शारीरिक उत्पीड़न के एवज में एक लाख रुपये मुआवजा और कानूनी प्रक्रिया में खर्च के एवज में 25 हजार रुपये अतिरिक्त। तीन माह के भीतर भुगतान का निर्देश था। बीमा कंपनी ने उससे पहले ही भुगतान कर दिया, क्योंकि आगे कानूनी कार्रवाई का डर था।

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